दिल्ली में MCD टोल बूथों से बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त सवाल उठाए हैं। क्या टोल बूथ अस्थायी रूप से बंद होंगे? पढ़िए कोर्ट की टिप्पणी, प्रदूषण का असर और दलीलें।
क्या एमसीडी के टोल बूथ प्रदूषण बढ़ा रहे हैं? दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान एमसीडी टोल बूथ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई के उस बयान पर गौर किया जिसमें कहा गया कि दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी के टोल बूथों के कारण राजमार्गों पर लंबी कतारें लग रही हैं। इससे घंटों ट्रैफिक जाम लग रहा है और वाहनों से निकलने वाला धुआँ प्रदूषण बढ़ा रहा है। कोर्ट ने एमसीडी को एक सप्ताह के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया कि क्या उसके नौ टोल प्लाजा को अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है ताकि ट्रैफिक जाम नहीं लगे और गाड़ियों से धुआँ कम निकले।
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने एनएचएआई को भी निर्देश दिया कि वह नौ टोल प्लाजा को राजधानी की सीमाओं से हटाकर ऐसी जगहों पर शिफ्ट करने की संभावना जांचे जहां एनएचएआई उन्हें चला सके। कोर्ट ने सुझाव दिया कि नए स्थान पर शिफ्ट किए गए टोल प्लाजा से जुटाए गए टोल का कुछ हिस्सा एमसीडी को दिया जा सकता है ताकि अस्थायी नुक़सान की भरपाई हो।
अगले साल के लिए भी प्रावधान होगा?
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि टोल प्लाजा शहर की सीमाओं पर नहीं होने चाहिए और राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा शहर से 50 किलोमीटर दूर लगाए जाने चाहिए। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि अगले साल से 1 अक्टूबर से 31 जनवरी तक जब प्रदूषण काफ़ी ज़्यादा बढ़ जाता है तो टोल की वसूली बंद रखी जाए।
यह मुद्दा दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर एमसीडी टोल प्लाजा पर लगने वाले लंबे जाम को लेकर उठा, जहां वाहन घंटों फँसे रहते हैं। पीठ ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन यानी सीएक्यूएम और एनसीआर सरकारों को प्रदूषण फैलाने वाली शहरी गतिविधियों, किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन देने जैसे फैसलों पर फिर से विचार करने को कहा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के मौजूदा उपाय पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं और इसके लिए व्यावहारिक, लंबे समय तक चलने वाले समाधान की ज़रूरत है।
पुराने वाहनों को मिली छूट ख़त्म
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में एंड-ऑफ-लाइफ यानी ईओएल वाहनों को नियमों से दी गई छूट भी ख़त्म कर दी। कोर्ट ने अपने 12 अगस्त 2025 के इस आदेश में सुधार किया, जिसमें पहले सभी पुराने वाहनों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई पर रोक थी। लेकिन अब बीएस-4 और उससे ऊपर के वाहनों को ही छूट मिलेगी, जबकि बीएस-3 और उससे नीचे के उत्सर्जन मानक वाले वाहनों यानी 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर कार्रवाई की जा सकेगी। स्कूल बंद करने के फ़ैसले में दखल नहीं
कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली सरकार के नर्सरी से कक्षा 5 तक नियमित क्लास बंद करने के फ़ैसले में दखल नहीं देगा। जब अदालत से कहा गया कि गरीब बच्चे मिड-डे मील पर निर्भर हैं और कक्षाएँ बंद करने से उन्हें परेशानी आएगी तो इसने कहा कि इस पर अलग अलग मत हैं और इसको नीति तय करने वालों पर छोड़ना बेहतर होगा। कोर्ट ने प्रदूषण से प्रभावित कंस्ट्रक्शन मज़दूरों को सीधे बैंक खातों में सहायता राशि डालने का भी निर्देश दिया।
अदालत का यह फ़ैसला तब आया है जब दिल्ली-एनसीआर में हवा बेहद ख़राब है। एक्यूआई यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है। हवा को और ख़राब होने से रोकने के उपाय के तौर पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी ग्रैप का स्टेज-4 लागू किया गया है। ऐसे उपायों पर कोर्ट ने कहा कि केवल प्रोटोकॉल बनाने से नहीं, उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने से काम चलेगा। एमसीडी और एनएचएआई के निर्णय पर कोर्ट की नज़र रहेगी और अगली सुनवाई में रिपोर्ट मांगी जाएगी।