दिल्ली पुलिस द्वारा बांग्ला भाषा को "बांग्लादेशी भाषा" के रूप में लिखने वाले एक पत्र ने रविवार को राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इसे संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा की पहचान को कम करने का जानबूझकर किया गया प्रयास करार दिया और माफी की मांग की। सीपीएम ने भी इस मुद्दे को उठाया। 

बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के दावों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और ममता बनर्जी पर "भाषा को हथियार बनाकर" विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच दुश्मनी भड़काने का आरोप लगाया। उसने कहा कि ममता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
24 जुलाई को लोदी कॉलोनी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अमित दत्त द्वारा बंगा भवन के प्रभारी अधिकारी को लिखे गए पत्र में संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों से जब्त दस्तावेजों को समझने के लिए ट्रांसलेटर की मांग की गई थी। पत्र में बांग्ला को "बांग्लादेशी भाषा" के रूप में उल्लेख किया गया, जिसे टीएमसी ने बंगालियों और उनकी संस्कृति पर हमला बताया।
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसे "बीजेपी द्वारा बंगाल को बदनाम करने और हमारी सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करने का सुनियोजित प्रयास" करार दिया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा, "यह Article 343 और संविधान की आठवीं अनुसूची का सीधा उल्लंघन है। कोई 'बांग्लादेशी' भाषा नहीं है। बांग्ला को विदेशी भाषा कहना न केवल अपमान है, बल्कि यह हमारी पहचान, संस्कृति और अपनत्व पर हमला है।"
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस कदम को "निंदनीय, अपमानजनक, राष्ट्र-विरोधी और असंवैधानिक" बताया। उन्होंने कहा, "बांग्ला, हमारी मातृभाषा, रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद की भाषा, जिसमें हमारा राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत लिखा गया है, उसे बांग्लादेशी भाषा कहना सभी बंगाली भाषी लोगों का अपमान है।"
टीएमसी ने इस मामले में जांच अधिकारी अमित दत्त के तत्काल निलंबन और दिल्ली पुलिस, बीजेपी, और गृह मंत्रालय से औपचारिक माफी की मांग की है। पार्टी ने इसे बंगाली भाषी लोगों को "बाहरी" के रूप में चित्रित करने का प्रयास बताया।
वहीं, बीजेपी ने जवाब में कहा कि दिल्ली पुलिस ने आठ अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा और उनकी बोली को "बांग्लादेशी भाषा" के रूप में संदर्भित किया। बीजेपी ने टीएमसी पर अवैध बांग्लादेशी बस्तियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, "पुलिस ने गिरफ्तार व्यक्तियों की बोली को बांग्लादेशी भाषा के रूप में सही उल्लेख किया, क्योंकि यह पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली बंगाली से भिन्न है।"
यह विवाद उस समय सामने आया है जब ममता बनर्जी ने हाल ही में बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों को "बांग्लादेशी" समझकर परेशान करने के आरोप लगाए थे। टीएमसी ने कोलकाता में "भाषा आंदोलन" शुरू किया है और बंगाली पहचान की रक्षा की मांग की है।
सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी इस कदम की निंदा की और कहा कि यह भारत की बहुभाषी और बहुधार्मिक विविधता पर हमला है।

बीजेपी का अजीबोगरीब बयान 

बीजेपी ने ममता बनर्जी पर भाषा विवाद को भड़काने का आरोप लगाया है। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, "यह बेहद शर्मनाक है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ वैध पुलिस कार्रवाई का बचाव भाषा को हथियार बनाकर और भावनाओं को भड़काकर कर रही हैं। हम पूरी तरह स्पष्ट हैं: सभी अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं से देश के कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।" अमित मालवीय का यह ट्वीट मुद्दे से भटकाने की कोशिश है। क्योंकि ममता बनर्जी ने बंगला भाषा को बांग्लादेशी भाषा कहने पर आपत्ति जताई है। जबकि मालवीय इसे बांग्लादेशियों से जोड़ रहे हैं।