यूरोपीय संघ (ईयू) ने शुक्रवार को रूस के तेल निर्यात पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की। इससे गुजरात के वडिनार में नायरा एनर्जी की रिफाइनरी भारत में पहली बार पश्चिमी प्रतिबंधों (Western Sancation) के दायरे में आई है। इन प्रतिबंधों का मकसद रूस के युद्ध प्रयासों के लिए धन की आपूर्ति को रोकना है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने कहा, "पहली बार, हम एक फ्लैग रजिस्ट्री और भारत में रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी को टारगेट कर रहे हैं।"

भारत-रूस संबंध हमेशा बेहतर रहे हैं। कारोबार को लेकर दोनों निकट भी है। अमेरिका ने जब ईरान पर आर्थिक पाबंदियां लगाईं तो भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू कर दिया। भारत के तेल की कमी को रूस काफी हद तक पूरा कर रहा था। लेकिन इसके बाद अमेरिका ने दबाव बनाया और भारत अब अमेरिकी तेल कंपनियों के जरिए भी तेल खरीद रहा है। सिर्फ यूरोपियन यूनियन ही नहीं, बल्कि अमेरिका भी अब रूस के खिलाफ आर्थिक मोर्चेबंदी में जुटा हुआ है। रूस के साथ अब चीन, उत्तर कोरिया और ईरान खुलकर हैं। लेकिन यह ईयू और नाटो देशों की रूस की घेराबंदी के अलावा और कुछ नहीं है। 
भारत ने इन प्रतिबंधों पर कड़ा विरोध जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध उपायों को स्वीकार नहीं करता। हम एक जिम्मेदार देश हैं और अपनी कानूनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा को भारत के नागरिकों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की सर्वोच्च प्राथमिकता बताया और ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंडों की आलोचना की।

रिफाइनरी और रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी 

नायरा एनर्जी की वडिनार रिफाइनरी, जिसकी वार्षिक क्षमता 20 मिलियन टन है, को रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने 2017 में ट्रैफिगुरा और रूसी निवेश फर्म यूसीपी के साथ मिलकर 12.9 बिलियन डॉलर में खरीदा था। रोसनेफ्ट के पास इस उद्यम में 49.1% हिस्सेदारी है। यह रिफाइनरी मुख्य रूप से यूरोप और अफ्रीका को निर्यात पर निर्भर है, क्योंकि इसके पास केवल 6,750 ईंधन स्टेशनों का छोटा घरेलू नेटवर्क है। रूसी तेल से बने उत्पादों पर प्रतिबंधों से निर्यात प्रभावित हो सकता है, जिससे संचालन और नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
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प्रतिबंधों का प्रभाव 

यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर मूल्य सीमा को $60 प्रति बैरल से घटाकर 15% नीचे बाजार मूल्य पर तय किया है। इससे भारत, जो रूस के तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, को सस्ते दामों पर तेल खरीदने का लाभ मिल सकता है। हालांकि, इन प्रतिबंधों से नायरा की निर्यात क्षमता पर असर पड़ सकता है, जिससे रोसनेफ्ट की इस उद्यम से बाहर निकलने की योजना भी बाधित हो सकती है। पहले खबर थी कि रोसनेफ्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन $20 बिलियन की मांग कीमत एक रुकावट थी।

भारत की स्थिति 

भारत ने हमेशा रूस के साथ अपने ऊर्जा संबंधों का बचाव किया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ग्लोबल एनर्जी सप्लाई चेन की वास्तविकताओं को समझता है और रियायती तेल की खरीद से वैश्विक बाजारों को स्थिर करने में मदद की है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा था कि रूस से तेल आयात ने दुनियाभर में तेल कीमतों को $120-130 प्रति बैरल तक बढ़ने से रोका।
ये प्रतिबंध यूरोपीय संघ की रूस के खिलाफ 18वीं आर्थिक कार्रवाई का हिस्सा हैं, जो 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से लागू की गई हैं। इन उपायों में रूसी बैंकों पर लेनदेन प्रतिबंध, युद्ध में इस्तेमाल होने वाले सामानों के निर्यात पर रोक और रूस की छाया बेड़े (शैडो फ्लीट) के 400 से अधिक जहाजों पर प्रतिबंध शामिल हैं।
भारत ने इन प्रतिबंधों को "अनुचित" बताते हुए दोहराया कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है। यह घटना भारत-रूस संबंधों और वैश्विक ऊर्जा व्यापार की जटिलताओं को और गंभीर बनाने जा रही है।