पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ फिर से सुर्खियों में हैं। जानिए, उप राष्ट्रपति को आवंटित बंगले और पूर्व विधायक वाली पेंशन को लेकर क्या रिपोर्ट आई है।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा के पूर्व विधायक के रूप में अपनी पेंशन बहाल करने के लिए फिर से आवेदन किया है। उनको पूर्व उपराष्ट्रपति के रूप में भी पेंशन मिलेगी। इसके साथ ही उन्हें अन्य सुविधाएँ भी मिलती रहेंगी। यह जानकारी द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से दी है। धनखड़ 1993 से 1998 तक राजस्थान की किशनगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रहे।
कितनी मिलेगी पेंशन?
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा सचिवालय में पूर्व विधायक के रूप में पेंशन बहाली के लिए आवेदन किया है। वह 1993 से 1998 तक किशनगढ़ से विधायक रहे। राजस्थान विधानसभा (अधिकारियों और सदस्यों के वेतन और पेंशन) अधिनियम, 1956 के तहत, पूर्व विधायकों को पेंशन का प्रावधान है। धनखड़ को 2019 तक पूर्व विधायक के रूप में पेंशन मिल रही थी, लेकिन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद इसे निलंबित कर दिया गया था। बाद में धनखड़ उप राष्ट्रपति बन गए थे। अब जब उपराष्ट्रपति पद पर नहीं हैं तो फिर से उन्होंने पेंशन के लिए आवेदन किया है।
नियमों के अनुसार, राजस्थान में एक कार्यकाल के लिए पूर्व विधायक को 35,000 रुपये मासिक पेंशन मिलती है। 70 वर्ष से अधिक आयु के विधायकों को 20% अतिरिक्त पेंशन और 80 वर्ष से अधिक आयु वालों को 30% अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान है। 74 वर्षीय धनखड़ 20% वृद्धि के साथ 42,000 रुपये मासिक पेंशन के हकदार हैं। इसके अलावा धनखड़ को पूर्व उपराष्ट्रपति के रूप में क़रीब 2 लाख रुपये मासिक पेंशन मिलेगी।
छतरपुर में निजी आवास में शिफ्टिंग
धनखड़ अप्रैल 2023 में उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में शिफ्ट हुए थे। अब संसद भवन के पास चर्च रोड पर स्थित इस आवास को वह खाली करेंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होने हैं और उन्हें उससे पहले यह आवास खाली करना होगा। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जब तक सरकार द्वारा नया आवास आवंटित नहीं होता, धनखड़ छतरपुर एनक्लेव में एक निजी आवास में रहेंगे। पूर्व उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को टाइप-8 बंगला आवंटित करने का प्रावधान है और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय इसकी व्यवस्था करता है।
इस्तीफे को लेकर विवाद
धनखड़ का 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन कांग्रेस ने इसे पूरी तरह अप्रत्याशित बताते हुए दावा किया कि इसके पीछे कुछ और कारण हो सकते हैं। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने पिछले महीने कहा था कि धनखड़ ने 21 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें जे.पी. नड्डा और किरेन रिजिजू जैसे वरिष्ठ मंत्री शामिल थे। बैठक में 4:30 बजे फिर से मिलने का फैसला हुआ, लेकिन नड्डा और रिजिजू नहीं आए और धनखड़ को इसकी सूचना भी नहीं दी गई। रमेश ने कहा, '1 बजे से 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर हुआ, जिसके कारण नड्डा और रिजिजू जानबूझकर अनुपस्थित रहे।'
धनखड़ का राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर लंबा रहा है। 1951 में झुंझुनू में जन्मे धनखड़ ने राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। उन्होंने 1989-1991 तक झुंझुनू से लोकसभा सांसद के रूप में कार्य किया और केंद्र में मंत्री पद भी संभाला। 1993-1998 तक किशनगढ़ से कांग्रेस विधायक रहे और 2003 में वह बीजेपी में शामिल हो गए। 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने और 2022 में भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए।
उनके अचानक इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए, लेकिन धनखड़ ने इस पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की। उनकी ओर से स्वास्थ्य कारणों को छोड़कर कोई अन्य स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।