सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के सदस्यों में ज़बरदस्त बहस, झड़प और हंगामे के बीच किसानों से जुड़े दो विधेयक राज्यसभा में पारित हो गए। उप सभापति हरिवंश ने बिल पर वॉयस वोटिंग (ध्वनिमत) से ही फ़ैसला सुना दिया।
सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के सदस्यों में ज़बरदस्त बहस, झड़प और हंगामे के बीच किसानों से जुड़े दो विधेयक राज्यसभा में पारित हो गए। उप सभापति हरिवंश ने बिल पर वॉयस वोटिंग (ध्वनिमत) से ही फ़ैसला सुना दिया। ये दोनों ही विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित किए जा चुके हैं।
इससे पहले सदन ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का माँग खारिज कर दी। किसान विधेयकों को सेलेक्ट कमिटी में भेजने की माँग बीजू जनता दल ने की थी।
'लोकतंत्र के लिए दुखद दिन'
राज्यसभा में इन दो विधेयकों के पारित होने के बाद भी हंगामा होता रहा, विपक्ष के सदस्य सदन में शोरगुल करते रहे, विरोध प्रदर्शन करते रहे। वे इन विधेयकों को ध्वनि मत से पारित किए जाने का विरोध कर रहे थे और इसे ग़लत बता रहे थे। कांग्रेस सदस्य बाजवा ने सदन के बाहर पत्रकारों से कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही बुरा दिन है। बीजेपी के पास राज्यभा में बहुमत नहीं है, यह उप सभापति को पता है। उन्होंने ध्वनि मत से विधेयक इसलिए पारित कर दिया कि वे जानते थे कि इस पर मत विभाजन होने से बिल गिर पड़ता और सरकार की बेइज्ज़ती होती।
टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि
'यह अभूतपूर्व है कि सरकार के पास बहुमत नहीं होने पर उप सभापति ने विधेयक को ध्वनि मत से पारित करवा दिया। यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही बुरा दिन है। उप सभापति को ऐसा नहीं करना चाहिए था। '
राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य मनोज झा ने कहा कि बिहार के किसान बीजेपी को इसका जवाब देंगे। बता दें कि बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं।
इससे पहले इन दो विधेयकों पर राज्यसभा में गर्मागर्म बहस के बीच तृणमूल कांग्रेस और सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच ज़ोरदार झड़प हुई। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी के पास जाकर सदन की रूल बुक फाड़ दी। सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी गई थी। कार्यवाही शुरू होने के बाद विधेयक पर मतदान हुआ।
डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने ही रूल बुक फाड़ दी। डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसे फाड़ डाला।
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बहस में भाग लेते हुए सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद में हर नियम को तोड़ा है। पश्चिम बंगाल के इस सांसद ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्यसभा टीवी के फीड काट देते हैं ताकि देश देख न सके।
सदन में दिन की शुरुआत में ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से जुड़े विधेयकों को पेश कर दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार कृषि विधेयकों को लेकर जल्दबाजी दिखा रही है।
याद दिला दें कि एनडीए की पुरानी सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने इन बिलों का विरोध किया है और सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि पार्टी किसानों के ज़बरदस्त दबाव में है। राज्यसभा में बिल पारित कराने के लिए बीजेपी ने व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को बिल पर मतदान के समय सदन में मौजूद रहने को कहा है।
सरकार ने किसान बिल को पास करवाने के लिए समर्थन जुटाने की खातिर विपक्षी दलों से भी मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। कुल 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। दो स्थान खाली होने की वजह से फिलहाल बहुमत का आँकड़ा 122 है।
डेथ वारंट?
कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सदन की बहस में भाग लेते हुए किसान बिल को किसानों की आत्मा पर चोट बताया। उन्होंने कहा, 'इन विधेयकों को समर्थन देने का मतलब किसानों के डेथ वारंट पर दस्तख़त करना। इसलिए उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है।' कांग्रेस सांसद ने कहा,'कांग्रेस पार्टी इस बिल को खारिज करती है... हम किसानों के इस डेथ वारंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।'
बाजवा ने इसके आगे कहा, 'आप जैसा दावा कर रहे हैं, किसान उस लाभ को नहीं लेना चाहते हैं तो फिर आप जबर्दस्ती उन्हें चारा देने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?'
बाजवा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'अब किसान अनपढ़ नहीं रहे. वो समझ रहे हैं कि इसके जरिए आप उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य छीनना चाह रहे हैं। अगर यह बिल एक बार पास हो गया तो पूंजीपति उनके खेतों पर कब्जा जमा लेंगे।'
सदन में हंगामा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से पेश दो बिल - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर बहस के दौरान हुई।