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किसान नेता बोले- सरकार का प्रस्ताव खारिज, 14 को घेरेंगे जिला मुख्यालय

किसानों को मनाने में भले ही मोदी सरकार ने पूरी ताक़त झोंक दी हो लेकिन किसान टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं। बुधवार शाम को हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेताओं ने कहा है कि उन्हें केंद्र सरकार की ओर से भेजा गया प्रस्ताव क़तई मंजूर नहीं है और वे अपने आंदोलन को और तेज़ करेंगे। 

किसान नेताओं ने कहा कि जियो के जितने भी प्रोडक्ट हैं, देश भर में उनका बॉयकाट किया जाएगा। 14 दिसंबर को पूरे देश में जिला मुख्यालयों का घेराव किया जाएगा और धरना देंगे। इसके अलावा सभी राज्यों में धरने-प्रदर्शन जारी रहेंगे। 

किसान नेताओं ने कहा कि 12 दिसंबर तक दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम कर देंगे। इसके अलावा अडानी-अंबानी के प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे और बीजेपी के मंत्रियों-नेताओं का घेराव और बहिष्कार करेंगे। 12 दिसंबर को पूरे देश में एक दिन के लिए टोल प्लाजा को फ्री कर देंगे।

राष्ट्रपति से मिले विपक्षी नेता

इस बीच, बुधवार शाम को विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले। राष्ट्रपति से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि किसानों और विपक्ष से बातचीत किए बिना इन क़ानूनों को पास कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘सरकार किसानों का विश्वास खो चुकी है और इसीलिए उन्हें सड़क पर आना पड़ा। वे लोग इतनी ठंड में भी अहिंसापूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे। जब तक ये क़ानून वापस नहीं होंगे, किसान अपनी जगह से नहीं हटेंगे।’ 

सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी प्रमुख मांग है कि तीनों कृषि क़ानूनों के साथ ही बिजली से जुड़ा बिल भी वापस लिया जाए। येचुरी ने कहा, ‘राष्ट्रपति को बताया गया कि इन क़ानूनों को अलोकतांत्रिक तरीक़े से पास किया गया।’ 

एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा कि इन तीनों कृषि क़ानूनों को जल्दबाज़ी में पास कर दिया गया। 

farmers protest in delhi reject govt proposal - Satya Hindi

बढ़ेगा टकराव

मोदी सरकार को सूझ नहीं रहा है कि आख़िर वह करे तो क्या करे। पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर्स पर डेरा डाल दिया है। किसानों का जमावड़ा बॉर्डर्स पर बढ़ता जा रहा है। ठंड के दिनों में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं अपनी मांग को लेकर डटे हुए हैं और पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर, केंद्र सरकार भी कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं दिखती। ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार और किसानों के बीच टकराव बढ़ेगा, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। 
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कैबिनेट की बैठक बुलाई  

इससे पहले बुधवार सुबह केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई गई। बैठक के बाद सरकार ने किसानों को इन क़ानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया। यह पहली बार हुआ जब केंद्र सरकार की ओर से लिखित में आधिकारिक रूप से कोई प्रस्ताव किसानों को भेजा गया। लेकिन अब किसानों ने इसे खारिज कर दिया है। 

किसानों के उग्र तेवरों के बीच सरकार ने मंगलवार शाम को एक बार फिर बातचीत के लिए हाथ आगे बढ़ाया था। विवाद का हल निकालने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं के बीच दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के गेस्ट हाउस में काफी देर तक बैठक हुई थी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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