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भाई-भतीजावाद, ड्रग्स के आरोपों पर फ़िल्मकारों ने कहा- बॉलीवुड को बदनाम करने की कोशिश

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद भाई-भतीजावाद, प्रताड़ना और ड्रग्स के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे फ़िल्म उद्योग ने खुला ख़त लिखकर क़रारा जवाब दिया है। लगातार इन आरोपों के कारण बॉलीवुड की प्रतिष्ठा पर आँच आने के बाद प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने यह ख़त लिखा है। इसने कहा है कि सुशांत की दुर्भाग्यपूण मौत के सहारे फ़िल्म उद्योग को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। इस ख़त में भाई-भतीजावाद, प्रताड़ना और ड्रग्स के आरोपों को भी बेबुनियाद बताया गया है और कहा गया है कि यह 'नीच और दुष्ट ट्रोलिंग' की कारामात है।

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सुशांत की मौत के बाद से बॉलीवुड में नये आने वालों की प्रताड़ना, भाई-भतीजावाद और ड्रग्स को लेकर बहस तेज़ हो गई है। इस ताज़ा बहस की शुरुआत अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद के आरोप लगाने से हुई थी, लेकिन सुशांत की मौत के बाद इसमें न्यूकमर्स की प्रताड़ना और फिर बाद में ड्रग्स का एँगल भी जुड़ गया। बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत की 14 जून को मौत हो गई थी। लेकिन इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब उनके पिता के के सिंह ने एफ़आईआर दर्ज कराई और उनकी मौत पर संदेह जाहिर किया। बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को लपका और सीबीआई जाँच की माँग होने लगी। बिहार और मुंबई पुलिस के बीच विवाद होने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा और आख़िरकार कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया।

सुशांत की मौत के मामले में जब हाल में ड्रग्स का एंगल सामने आया तो इसकी जाँच शुरू की गई। इसमें रिया के भाई और सुशांत के तत्कालीन मैनेजर का नाम आया। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर यह कहकर ट्रोलिंग की जा रही है कि बॉलीवुड में ट्रग्स का बोलबाला है।

सुशांत की मौत के मामले में क़रीब दो महीने से चल रही जाँच के बीच ही हर रोज़ इस पर नये सिरे से बहस तेज़ हो जा रही है। इस बहस में सबसे ख़ास बात यह है कि ये तीनों ही आरोप पूरे बॉलीवुड इंडस्ट्री पर लगाए जा रहे हैं। इन्हीं आरोपों के बाद प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया का यह ख़त सामने आया है।

इस खुले ख़त में लिखा गया है कि एक होनहार युवा सितारे की दुखद मौत को फ़िल्म उद्योग और उसके सदस्यों को बदनाम करने के लिए एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया है।

ख़त के अनुसार, 'एक तसवीर पेश की जा रही है कि बाहरी लोगों के लिए यह एक भयावह जगह हो गई है; एक ऐसा स्थान जो उन लोगों के साथ अपमान के साथ व्यवहार करता है जो यहाँ आने का साहस करते हैं; एक ऐसी जगह जो मादक पदार्थों के सेवन और अपराध की एक अँधेरी मांद है।'

पत्र में कहा गया है कि फ़िल्म उद्योग की भी अपनी खामियाँ हैं, लेकिन एक ग़लत मामले के कारण पूरे फ़िल्म इंडस्ट्री की वैसी तसवीर पेश करना सही नहीं है। 

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फ़िल्म निर्माताओं के समूह ने कहा है, 'हम इस इंडस्ट्री में किसी के व्यक्तिगत अनुभवों को नकारते नहीं हैं, और निस्संदेह इसमें आने वाले और ख़ुद को स्थापित करने वालों में से कई लोगों को कई कठिनाइयों, संघर्षों और निराशाओं का सामना करना पड़ा है।' पत्र में यह भी कहा गया है कि बॉलीवुड उस किसी भी क्षेत्र से अलग नहीं है जहाँ नये लोगों को प्रवेश करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है चाहे वह राजनीति हो, क़ानून, व्यवसाय, चिकित्सा या मीडिया। 

पत्र में आगे कहा गया है इसके बावजूद चुनिंदा तौर पर सिर्फ़ फ़िल्म उद्योग को निशाना बनाने के लिए संगठित प्रयास किया गया है कि यह नई प्रतिभाओं को पनपने से रोकता है। पत्र में कहा गया है कि यह आरोप सच नहीं हो सकता है।

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क़मर वहीद नक़वी
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