पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहचान एक ऐसे अर्थशास्त्री के रूप में रही है जिन्होंने 2008 में जब दुनिया में मंदी की आहट थी, तब भी भारत को इसके असर से बचाये रखा था। मनमोहन सिंह अमूमन बेहद कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो सरकार को बताते हैं कि आर्थिक स्तर पर वह कहाँ ग़लत है और देश को इससे क्या नुक़सान हो रहा है। मनमोहन सिंह ने आज फिर देश की अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत को लेकर चिंता जताई है और मोदी सरकार को चेताया है। बता दें कि अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और उद्योग-धंधों से लगातार छंटनी की ख़बरें आ रही हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री ने वीडियो जारी कर कहा, ‘अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंताजनक है। पिछली तिमाही में हमारी जीडीपी वृद्धि दर 5 फ़ीसदी रही है और यह इस ओर इशारा करती है कि हम लंबे समय से मंदी के दौर में हैं।’
उन्होंने कहा, ‘निवेशकों में निराशा का माहौल है और इससे कहीं से भी नहीं कहा जा सकता कि अर्थव्यवस्था की हालत सुधर सकती है।’
मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसकी नीतियों के कारण नौकरियाँ जा रही हैं और ऑटोमोबाइल सेक्टर में 3.5 लाख नौकरियाँ जा चुकी हैं और इसी तरह असंगठित क्षेत्र में भी नौकरियाँ जाने का ख़तरा है। उन्होंने कहा कि इससे हमारे कर्मचारियों को सबसे ज़्यादा नुक़सान होगा।
मनमोहन सिंह ने आगे कहा, ‘ग्रामीण भारत की स्थिति भी बेहद ख़राब है क्योंकि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है और ग्रामीणों की आय गिर गई है।’
सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार गिरती महँगाई दर को अपनी सफलता बता रही है लेकिन यह हमारे देश के किसानों और उनकी आय की क़ीमत पर हासिल की गई है, जिससे देश की 50 फीसद आबादी को चोट पहुँची है। उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में आंकड़ों की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संस्थानों पर लगातार हमला हो रहा है और उनकी स्वायत्ता को ख़त्म किया जा रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘बजट की घोषणाओं और इसे वापस लेने के कारण अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को झटका लगा है। भारत भौगोलिक-राजनीतिक गठजोड़ों के कारण वैश्विक व्यापार में जो मौक़े बने थे, उनका लाभ उठाते हुए भी अपने व्यापार को नहीं बढ़ा पाया। मोदी सरकार में आर्थिक प्रबंधन की ऐसी हालत हो चुकी है।’