बंगाल की खाड़ी में एक रहस्यमयी चीनी शोध पोत का पता लगने के बाद भारत के समुद्री क्षेत्र में हलचल मच गई है! चीन के इस रिसर्च पोत ने इसलिए भी गंभीर संदेह पैदा किया है क्योंकि यह अपनी पहचान छिपाने के लिए ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम को बंद किए हुए था। यानी यह पोत गुपचुप तरीक़े से काम कर रहा था। फ्रांसीसी समुद्री खुफिया कंपनी 'अनसीन लैब्स' ने अपनी सैटेलाइट निगरानी के आधार पर चीन के इस पोत की गतिविधियों को पकड़ा। तो सवाल है कि आख़िर यह चीनी पोत बंगाल की खाड़ी में गुपचुप तरीक़े से क्या कर रहा था? क्या यह भारत के सामरिक नज़रिए से गंभीर चिंता का विषय नहीं है?

फ्रांसीसी समुद्री खुफिया कंपनी 'अनसीन लैब्स' ने खुलासा किया है कि यह चीनी पोत भारतीय जलक्षेत्र के निकट कई दिनों तक सक्रिय रहा और उसने अपनी मौजूदगी को छिपाने की कोशिश की। इस पोत ने अपने ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम यानी एआईएस को बंद कर दिया था, जो समुद्री जहाजों की स्थिति को ट्रैक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
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चीनी पोत की गतिविधियाँ संदिग्ध क्यों?

इस चीनी पोत का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह चीनी शोध पोत बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास समुद्री तल का नक्शा तैयार करने में लगा था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गतिविधि न केवल वैज्ञानिक शोध के लिए हो सकती है, बल्कि इसके पीछे पनडुब्बी संचालन के लिए समुद्री डेटा जुटाने जैसा सैन्य मक़सद भी हो सकता है। 

फ्रांसीसी कंपनी ने कहा है कि इसने अपनी 16 दिनों की निगरानी के दौरान 1,897 रेडियो फ्रीक्वेंसी का विश्लेषण किया। इसमें से 9.6 फ़ीसदी मामलों में कोई भी एआईएस गतिविधि नहीं दिखी। इसका मतलब है कि इन मामलों में पोतों ने अपनी गतिविधियाँ छुपाने की कोशिश में थीं। 

फ्रांसीसी कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार चीन के इस शोध पोत का रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल असामान्य रूप से सामने आया। यह संकेत देता है कि पोत अपनी पहचान छिपाने की कोशिश कर रहा था।

बंगाल की खाड़ी कितनी अहम?

बंगाल की खाड़ी दक्षिण एशिया में एक अहम समुद्री क्षेत्र है, जहां भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों की सीमाएँ मिलती हैं। यह क्षेत्र मालदीव और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के कारण भी रणनीतिक रूप से संवेदनशील है। चीनी पोत की गतिविधियाँ इस क्षेत्र में तनाव को बढ़ा सकती हैं, खासकर तब जब भारत और चीन के बीच पहले से ही सीमा विवाद और अन्य भू-राजनीतिक मुद्दों पर तनाव बना हुआ है।

फ्रांसीसी कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, यह पोत वैज्ञानिक शोध के नाम पर समुद्री डेटा एकत्र कर रहा था, लेकिन इसकी गतिविधियों को निगरानी के रूप में भी देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के तहत किसी भी देश का पोत दूसरे देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी ईईजेड में बिना अनुमति के शोध कार्य नहीं कर सकता। यदि यह पोत भारत के ईईजेड में बिना अनुमति के सक्रिय था तो यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
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क्षेत्र में चीनी जहाजों की बार-बार उपस्थिति

यह पहली बार नहीं है जब बंगाल की खाड़ी में चीनी अनुसंधान जहाजों की गतिविधियाँ देखी गई हैं। 2024 में चीनी जहाज शियांग यांग होंग 01 और शियांग यांग होंग 03 भारतीय मिसाइल परीक्षणों से ठीक पहले बंगाल की खाड़ी में देखे गए थे। शियांग यांग होंग 03 ने मालदीव में दो बार डॉकिंग की थी, जबकि शियांग यांग होंग 01 विशाखापत्तनम से मात्र 250 समुद्री मील की दूरी पर सक्रिय था।

2023 में चीनी जहाज शी यान-6 ने 36 दिनों तक बंगाल की खाड़ी और भारतीय महासागर में सर्वेक्षण किया और भारतीय नौसेना ने इसे रीयल-टाइम ट्रैक किया था। इसके अलावा, 2019 से 2021 के बीच, शियांग यांग होंग 01 और हाई यांग शी यू 760 जैसे जहाज म्यांमार, थाईलैंड, और श्रीलंका के तटों के पास देखे गए थे।
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भारत के लिए यह किस तरह की चेतावनी?

यह घटना भारत के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है कि उसे अपनी समुद्री निगरानी और खुफिया क्षमताओं को और मज़बूत करने की ज़रूरत है। विशेषज्ञ ने सुझाव दिया है कि भारत को अपनी सैटेलाइट निगरानी प्रणाली को उन्नत करना चाहिए और क्षेत्र में अपनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ानी चाहिए। यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर चीन पर दबाव बनाया जा सकता है। विशेषज्ञ लगातार सलाह देते रहे हैं कि भारत को फ्रांस, अमेरिका और जापान जैसे अपने सहयोगी देशों के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग को और गहरा करना चाहिए। क्वाड जैसे गठबंधनों के माध्यम से भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर नजर रख सकता है।

बंगाल की खाड़ी में चीनी शोध पोत की 'छिपी' गतिविधियाँ भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। यह घटना न केवल समुद्री सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दिखाती है कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव हो रहा है।