लॉ की एक छात्रा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता स्वामी चिन्मयानन्द पर एक साल तक बलात्कार और शारीरिक उत्पीड़न करने के आरोप लगाए हैं। उसने यह भी दावा किया है कि उसके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं और वह विशेष जाँच टीम (एसआईटी) के सामने सभी साक्ष्य पेश करने को तैयार है। उस लड़की ने इसके पहले एक वीडियो भी जारी किया था, जिसमें उसने कई तरह के आरोप लगाए थे। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने अपहरण और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया था।
वीडियो
लड़की ने वीडियो में कहा, 'संत समाज का एक बड़ा नेता जो कई और लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर चुका है और मुझे भी जान से मारने की धमकी देता है। मैं योगी जी और मोदी जी से मदद करने की अपील करती हूँ। उसने मेरे परिवार को भी जान से मारने की धमकी दी है। मैं ही जानती हूँ कि मैं यहाँ कैसे रह रही हूँ, मेरी मदद करें।'
लड़की आगे कहती है, 'यह संन्यासी पुलिस और जिलाधिकारी को अपनी जेब में रखता है और इस बात की धमकी देता है। वह कहता है कोई उसका कुछ नहीं कर सकता लेकिन मेरे पास उसके ख़िलाफ़ सभी सबूत हैं। मैं आप लोगों से अपील करती हूँ कि प्लीज मुझे इंसाफ़ दिलाइये।'
लड़की ने यह वीडियो 24 अगस्त को शाम 4 बजे अपने फ़ेसुबक पेज पर अपलोड किया था।
चिन्मयानंद का मामला अकेला नहीं है, जिसमें किसी धर्मगुरु पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ या किसी दूसरी तरह की गड़बड़ियों के आरोप लगे हों। बीच-बीच में इस तरह के आरोप लगते रहे हैं, कुछ मामलों में इस तरह के बाबा गिरफ़्तार हुए हैं और कुछ को सज़ा भी मिली है। आसा राम, राम-रहीम, दाती महाराज, नित्यानंद, फलाहारी बाबा जैसे पचासों नाम हैं।
14 बाबाओं को बताया फ़र्ज़ी
आसाराम
दाती महाराज
आशु भाई
आशु भाई का मामला कुछ ज़्यादा ही दिलचस्प है। दिल्ली में अपने आश्रम में एक महिला और उसकी बेटी के साथ बलात्कार करने के अभियुक्त स्वयंभू बाबा आशु भाई गुरुजी उर्फ़ आसिफ़ ख़ान हिंदू नहीं मुसलिम है। ज्योतिषी से कमाई करने के लिए उसने अपना नाम बदल लिया और आशु भाई बन गया।
स्वामी परमानंद
प्रपन्नाचार्य महाराज उर्फ़ फलाहारी बाबा
सीडी से चर्चा में आए नित्यानंद
सवाल यह है कि आख़िर इस तरह के धर्मगुरुओं पर बार-बार आरोप क्यों लगते हैं? उन्हें राजनीतिक संरक्षण क्यों प्राप्त होता है? लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन्हें आम जनता का समर्थन क्यों मिलता है, क्यों लोग इनकी बातों में आते हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि स्थापित धार्मिक परंपराओं से सबाल्टर्न तबके का एक बड़ा हिस्सा वंचित रह जाता है। उन्हें इन जगहों पर न उचित स्थान मिलता है न ही सम्मान। ऐसे में ये लोग उसकी ओर मुड़ जाते हैं जो स्थापित मुख्य धारा की धार्मिक परंपराओं से हट कर इन्हें जगह देता है या इनकी सुनता है। इन लोगों का समर्थन मिलने के बाद ये बाबा या धर्मगुरु धीरे-धीरे अपने आप में मठ बन जाते हैं। चूँकि इनके पास जन समर्थन होता है, इसलिए राजनीतिक दल इनका काम करते हैं या इनके पास आते हैं।
स्वामी चिन्मयानंद के मामले में भी यही हुआ कि उसके पास एक बड़ा आश्रम था, उसके कई स्कूल-कॉलेज थे। उसने धीरे धीरे अपनी ऐसी राजनीतिक स्थिति बना ली कि ख़ुद राजनीति का चेहरा बन गया। वह व्यक्ति अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री था।