आने वाले सोमवार यानी 1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में ‘वंदे मातरम’ के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच एक बार फिर तीखी भिड़ंत के आसार हैं। जहाँ विपक्ष मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर अभियान में शिक्षकों-कर्मचारियों की मौतों, ऐप की तकनीकी ख़राबी और कथित पक्षपात के मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है, वहीं मोदी सरकार सत्र के शुरुआती दिनों में ही 'वंदे मातरम' पर एक दिन की विशेष चर्चा कराने की योजना बना रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार चाहती है कि सत्र शुरू होते ही सदन में वंदे मातरम पर चर्चा हो। यह चर्चा इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने के वर्षभर के कार्यक्रम का हिस्सा होगी। रविवार को होने वाली सर्वदलीय बैठक में इसके लिए विपक्ष से बात की जा सकती है।

संसद में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान विवाद होने के आसार इस वजह से हैं क्योंकि राज्यसभा के बुलिटिन में सांसदों को निर्देश दिया गया है कि राज्यसभा में 'जय हिन्द', 'वंदे मातरम', 'थैंक्यू' बोलने पर पाबंदी होगी। इसके अलावा हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मूल 'वंदे मातरम' गीत से कुछ लाइन हटाए जाने और इसके ज़रिए विभाजन का बीज बोने का कांग्रेस पर आरोप लगाया था।
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इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर वर्षभर के कार्यक्रम की शुरुआत के लिए 7 नवंबर को राजधानी में हुए एक आयोजन हुआ था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि 1937 में राष्ट्रगीत के 'ज़रूरी हिस्से' हटा दिए गए थे। उन्होंने कहा कि इससे 'बँटवारे के बीज बोए गए' और 'बाँटने वाली सोच' अभी भी देश के लिए एक चुनौती है। इसके जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि उनकी पार्टी गर्व से वंदे मातरम का झंडा उठाने वाली रही है, जिसने देश की आत्मा को जगाया और आज़ादी का नारा बन गया। खड़गे ने कहा कि इसके बजाय बीजेपी और उसकी सोच वाली संस्था आरएसएस ने राष्ट्रगीत से परहेज़ किया।

वंदे मातरम पर ताज़ा विवाद

वंदे मातरम को लेकर शीतकालीन सत्र से पहले एक राज्यसभा बुलेटिन के बाद भी विवाद हुआ था। बुलेटिन में सांसदों को सदन के शिष्टाचार के बारे में याद दिलाया है। इसमें कहा गया है कि सभापति के फ़ैसलों की आलोचना न तो सदन के अंदर और न ही बाहर की जानी चाहिए और सदन में 'जय हिन्द' या 'वंदे मातरम' सहित कोई भी नारा नहीं लगाया जाना चाहिए। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार संसदीय रीति-रिवाजों और परंपराओं का हवाला देते हुए, बुलेटिन में कहा गया है, "सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता की माँग है कि सदन में 'थैंक्स', 'थैंक यू', 'जय हिन्द', 'वंदे मातरम' या कोई अन्य नारा नहीं लगाया जाना चाहिए।"

मोदी सरकार के इस फ़ैसले से हंगामा मचा हुआ है। कांग्रेस और टीएमसी ने इस निर्देश की कड़ी आलोचना की है। यदि संसद में विशेष चर्चा होती है तो विपक्षी दल इसको मुद्दा बना सकते हैं।

टीएमसी प्रमुख ने कहा कि जय हिन्द या वंदे मातरम बोलने से रोका नहीं जा सकता है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा है- 'हैरान हूँ। आख़िर इन नारों पर कैसी आपत्ति। इनसे तो अंग्रेज़ों को दिक्कत थी, अब भाजपाइयों को भी है? किस मिट्टी के बने हैं वो लोग जिनको आज़ादी के दो सबसे प्रसिद्ध नारों को सदन में बोलना अखरता है?'

विपक्ष की तलवार: SIR पर बहस ज़रूरी

विपक्षी इंडिया गठबंधन ने साफ़ कर दिया है कि वह एसआईआर को सत्र का सबसे बड़ा मुद्दा बनाएगा। पिछले कुछ हफ्तों में गुजरात, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में एसआईआर ड्यूटी के दौरान कई बीएलओ की हार्ट अटैक व आत्महत्या से मौतें हुई हैं। पश्चिम बंगाल में ऐप की खराबी से काम ठप होने की शिकायतें भी जोरों पर हैं।
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लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि सरकार विपक्ष के उठाए मुद्दों पर चर्चा की इजाजत देगी। एसआईआर का रोलआउट, चुनाव आयोग का कथित पक्षपात, दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, बाढ़ प्रभावित राज्यों को राहत और बेरोजगारी- ये सभी मुद्दे हम उठाएंगे। संसद सिर्फ सरकार के तरीके से नहीं, विपक्ष के तरीके से भी चलनी चाहिए।'

सरकार का पुराना तर्क

मानसून सत्र में भी बिहार एसआईआर पर बहस की मांग को सरकार ने खारिज कर दिया था। उस समय सरकार ने कहा था कि चुनाव आयोग स्वायत्त संवैधानिक संस्था है और उसके कामकाज पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने फिर वही तर्क दोहराया।

उन्होंने कहा, 'संवैधानिक स्वायत्त संस्थाओं के कामकाज पर चर्चा उचित नहीं है। अगर एसआईआर पर बात करनी ही है तो विषय को व्यापक बनाना होगा- जैसे चुनाव सुधार। सुधार के प्रस्ताव पर हम विचार कर सकते हैं।'
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भारी-भरकम सुधार एजेंडा भी तैयार

बिहार चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत से उत्साहित सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार विधेयक लाने की तैयारी में है। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025, बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय राजमार्ग विधेयक में संशोधन, परमाणु ऊर्जा विधेयक में बदलाव की कोशिश की जा सकती है। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाने वाला संविधान (131वां संशोधन) विधेयक पंजाब बीजेपी और विपक्ष के तीखे तेवर के बाद सरकार ने फिलहाल टाल दिया है।

सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा, लेकिन एसआईआर, वंदे मातरम और सुधार विधेयकों के बीच जिस तरह दोनों पक्ष आमने-सामने हैं, उससे लग रहा है कि सदन में हंगामा और स्थगन का दौर फिर लौट सकता है। रविवार की सर्वदलीय बैठक में ही तस्वीर कुछ हद तक साफ हो जाएगी।