स्कूल में औसत दर्जे का होने से ही क्या आदमी की तकदीर तय हो जाती है? इसी हफ़्ते हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मानें तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह खुद इसके उदाहरण हैं। उन्होंने लिखा है कि वह स्कूल में औसत दर्जे का छात्र थे यानी परीक्षा में अंक लाने में औसत दर्जे के थे, लेकिन वह बेहद सम्मानित और गर्व करने वाला 'शौर्य चक्र' का सम्मान पाने वाले शख्स हैं।