जाति जनगणना से भाग रही मोदी सरकार का जवाब इस मुद्दे पर कुछ और है। कानून मंत्री का कहना है कि सरकार के पास इस मामले में सीमित अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, हाईकोर्टों और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय के कॉलिजियम और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर ही आधारित होता है। मंत्री ने कहा- "सरकार केवल उन व्यक्तियों को जज के रूप में नियुक्त करती है, जिनकी सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम द्वारा की जाती है।" इसके अलावा, जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत तय होती है।
इस आंकड़े के सामने आने के बाद सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने न्यायपालिका में विभिन्न वंचित समुदायों के जजों की कमी पर सवाल उठाए हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऊपरी जातियों का यह प्रभुत्व देश की विविध आबादी के प्रतिनिधित्व को प्रभावित करता है। वहीं, कुछ का यह भी कहना है कि कॉलिजियम सिस्टम में पारदर्शिता और सुधार की जरूरत है ताकि सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।