केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह सोचा भी नहीं होगा कि हिंदी दिवस के मौक़े पर पूरे देश की एक भाषा होने के ट्वीट पर उन्हें अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ेगा। दक्षिण के कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने तो शाह के इस ट्वीट का पुरजोर विरोध किया ही था और कहा था कि शाह उनके राज्यों में हिंदी को थोपने की कोशिश न करें। इस मुद्दे पर उनकी पार्टी के भीतर से भी आवाज़ उठी है।
‘हिंदी’ वाले बयान पर बुरे फंसे शाह, हो सकता है सियासी नुक़सान!
- देश
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- 17 Sep, 2019
अमित शाह ने यह सोचा भी नहीं होगा कि हिंदी दिवस के मौक़े पर पूरे देश की एक भाषा होने के ट्वीट पर उन्हें अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ेगा।

पहले जानते हैं कि अमित शाह ने अपने ट्वीट में क्या कहा था। शाह ने कहा था कि आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वह सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है। हालाँकि शाह ने यह भी कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है। शाह के इस ट्वीट के बाद से ही दक्षिणी राज्यों सहित पश्चिम बंगाल में भी बहस छिड़ गई है।