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गलवान घाटी- चीन मई से सेना तैनात करता रहा, समझौते का उल्लंघन किया: केंद्र सरकार

भारत चीन सीमा विवाद पर चीन की तरफ़ से लगातार किए जा रहे दावों को विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को खारिज कर दिया और कहा कि यह चीनी सेना है जिसने आपसी समझौते में तय मानकों को तोड़ा है। केंद्र ने कहा कि एलएसी पर चीन द्वारा ढाँचा खड़ा करना 6 जून के समझौते का उल्लंघन था जब दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करने के लिए सहमति व्यक्त की थी। गलवान घाटी का यह वही इलाक़ा है जहाँ पर दोनों सेनाओं के बीच ख़ूनी झड़प हुई थी और इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद भी दोनों पक्षों के बीच भारत चीन कमांडर स्तर की बैठक हुई। लेकिन इस बीच चीन ताबड़तोड़ भारत पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा। 

अब भारत की ओर से इस पर वास्तविक स्थिति साफ़ की गई है और चीन को संदेश दिया गया है कि यह चीनी सेना की ग़लती है। भारत के विदेश मंत्रालय ने आज एक मज़बूत बयान जारी किया और कहा, 'जहाँ अतीत में कभी-कभार ऐसा होता था, इस साल चीनी बलों का व्यवहार सभी परस्पर सहमत मानदंडों का पूरी तरह उल्लंघन करता है।'

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विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है, 'इस मुद्दे के केंद्र में मामला यह है कि मई की शुरुआत से ही चीनी पक्ष एलएसी के साथ सेनाओं की एक बड़ी टुकड़ी और हथियार इकट्ठा करता रहा है। यह भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के हमारे विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों, विशेष रूप से 1993 के प्रमुख समझौते के प्रावधानों के अनुसार नहीं है।'

बयान के अनुसार, इस समझौते में कहा गया है कि 'प्रत्येक पक्ष अपने सैन्य बलों को वास्तविक नियंत्रण की रेखा के साथ क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों के अनुकूल न्यूनतम स्तर पर रखेगा।'

भारत सरकार का यह विस्तृत बयान तब आया है जब चीन ने एक दिन पहले ही 15 जून की हिंसा के लिए भारत को ज़िम्मेदार बताया था।

चीन के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने यह बेतुका बयान देकर सबको चौंका दिया था कि 6 जून को दोनों देशों के कमांडरों के बीच में जो क़रार हुआ था, उसका पालन भारत ने नहीं किया है और वो अपने वादे से मुकर गया है। चीन के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने एक सुर में कहा था कि भारत ने इस बातचीत में यह मान लिया था कि वो गलवान घाटी में पैट्रोल नहीं करेगा और न ही वह इस इलाक़े में कोई निर्माण करेगा।

चीन का यह बयान तब आया जब अभी तक यह ख़बर आ रही थी कि चीन और भारत के बीच में यह समझौता हुआ था कि चीनी सेना जो भारत की सीमा में घुस आयी थी वो अपनी पुरानी जगह पर चली जाएगी। यह ख़बर भी आयी थी कि दोनों तरफ़ की सेनाएँ अपनी-अपनी जगह से पीछे हटी थीं। इसी संदर्भ में भारत चीन कमांडर बैठक में सोमवार को 11 घंटे तक वार्ता चली थी।

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लेकिन इस बीच चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झा लिजियान ने कह दिया, ‘भारतीय पक्ष द्विपक्षीय समझौते से पीछे हटा है। भारतीय पक्ष गलवान घाटी खाली करने को तैयार हो गया था और उसने ऐसा किया भी; उसने चीनी निवेदन के अनुसार निर्माण कार्य को तोड़ दिया था। 6 जून को हुई मीटिंग में भारतीय पक्ष ने वादा किया था कि वो गलवान घाटी में पैट्रोल नहीं करेगा और न ही कोई निर्माण करेगा। दोनों पक्ष गलवान नदी के दोनों तरफ़ निगरानी पोस्ट बनाने को भी राज़ी हो गये थे लेकिन भारतीय पक्ष वादे से मुकर गया और उसने चीन से कहा कि वो अपने पोस्ट को हटा ले और उसने एलएसी भी पार की जिसकी वजह से संघर्ष हुआ।’ चीनी विदेश मंत्रालय की तरह ही चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू शियान ने भी भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे।

चीन के इस बयान से साफ़ है कि वो ग़लतबयानी कर रहा है और उसकी कोई नियत गलवान घाटी को छोड़ने की नहीं है।
चीन के ये इरादे इससे भी समझे जा सकते हैं कि गलवान घाटी की सैटेलाइट तसवीरें दिखाती हैं कि चीन एक तरफ़ तो बातचीत से मुद्दे को हल करने का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ़ उसने बड़े पैमाने पर सैनिक ढाँचे को खड़ा कर लिया है।
यह उन क्षेत्रों में है जहाँ पहले भारतीय सेना पैट्रोलिंग करती रही थी। गलवान घाटी की ताज़ा सैटेलाइट तसवीरों में देखा जा सकता है कि चीनी सेना ने भारत के पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 यानी PP14 पर बड़ा ढाँचा तैयार कर लिया है और वहाँ चीनी सेना तैनात है। 
गलवान घाटी की ताज़ा सैटेलाइट तसवीरें तब आई हैं जब ख़बर है कि चीन दूसरे क्षेत्रों में घुसपैठ कर रहा है। लद्दाख के देपसांग सीमांत इलाक़े में, जहाँ 2013 में चीनी सेना 20 किलोमीटर भीतर घुसी थी और जिसे तब की सरकार ने वापस जाने को मजबूर किया था वहाँ चीनी सेना के फिर घुसने की रिपोर्टें हैं। चीनी सेना द्वारा अरुणाचल प्रदेश के इलाक़े में भी घुसपैठ करने की रिपोर्टें मिली हैं। अब ताज़ा रिपोर्ट है कि चीन ने डोकलाम इलाक़े में सौ मीटर और आगे तक अपने सैनिकों को बढ़ा दिया है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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