चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि आधुनिक युद्ध को पुराने हथियारों से नहीं जीता जा सकता। नई दिल्ली में ड्रोन और काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (सी-यूएएस) के स्वदेशीकरण पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। जनरल ने भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए स्वदेशी तकनीक पर जोर दिया। जनरल चौहान ने मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा कि इस ऑपरेशन में पाकिस्तान ने मानवरहित ड्रोन और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स का इस्तेमाल किया, लेकिन भारतीय सेना ने इन्हें निष्प्रभावी कर दिया। जनरल अनिल चौहान ने एक तरह से यह इशारा करने की कोशिश की है कि भारत को अपने पुराने रक्षा हथियारों को बदलना होगा। 
उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के ड्रोन और हथियारों से भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं हुआ। अधिकांश ड्रोन को काइनेटिक और नॉन-कायनेटिक तरीकों से निष्प्रभावी किया गया।” सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि ड्रोन आधुनिक युद्ध में एक गेम-चेंजर बन गए हैं और इनका इस्तेमाल हाल के संघर्षों में रक्षा संतुलन को बदलने में महत्वपूर्ण रहा है।
जनरल चौहान ने विदेशी तकनीक पर निर्भरता को कम करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा, “आयातित तकनीकों पर निर्भरता हमारी तैयारियों को कमजोर करती है। हमें अपनी भौगोलिक और रणनीतिक जरूरतों के अनुसार स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम विकसित करने होंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि ड्रोन की तकनीक का विकास भले ही क्रमिक रहा हो, लेकिन इसका इस्तेमाल युद्ध में क्रांतिकारी साबित हुआ है।
ताज़ा ख़बरें
चौहान ने भारत को हुए नुकसान की बात मानी थी सीडीएस जनरल चौहान मई महीने में इसलिए चर्चा में आए थे, जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भारत के नुकसान की बात मानी थी। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में रायटर्स को दिए एक साक्षात्कार में ऑपरेशन के दौरान भारतीय वायुसेना के कुछ लड़ाकू विमानों के नुक़सान की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा कि उन नुक़सानों को तुरंत दुरुस्त किया गया और इसके बाद पाकिस्तान के काफ़ी भीतर तक शक्तिशाली जवाबी हमले किए गए। सीडीएस जनरल चौहान के इंटरव्यू में यह खुलासा भी हुआ कि ऑपरेशन के दौरान फर्जी ख़बरों और ग़लत सूचनाओं ने सेना की कार्यक्षमता को प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान द्वारा भेजे गए चीन और अन्य देशों की तकनीक वाले ड्रोन अपेक्षित परिणाम देने में विफल रहे। इसके बावजूद ग़लत सूचनाओं के कारण सेना को अपनी रणनीति को बार-बार बदलना पड़ा, जिससे अभियान की प्रभावशीलता पर असर पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि अभियान के दौरान फ़र्ज़ी ख़बरों और ग़लत सूचनाओं के कारण सेना का लगभग 15% समय बर्बाद हुआ।
यह कार्यशाला, जिसे मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ और सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज ने आयोजित किया था, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित थी। सीडीएस ने कहा कि आधुनिक युद्ध की मांगों को पूरा करने के लिए हथियारों को हल्का, तेज और अधिक प्रभावी बनाना होगा। उन्होंने कहा कि “पहले भारी और बड़े हथियार थे, अब वे हल्के, तेज और लंबी दूरी तक मार करने वाले हैं। ड्रोन और काउंटर-यूएएस तकनीक में भी यही बदलाव जरूरी है।”
देश से और खबरें
ऑपरेशन सिंदूर, जो अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, ने भारत की सैन्य क्षमताओं को प्रदर्शित किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को सटीक हमलों से नष्ट किया था। जनरल चौहान ने इस ऑपरेशन को भारत की स्वदेशी तकनीक और रणनीतिक ताकत का प्रतीक बताया।