इंडिगो एयरलाइंस की सैकड़ों उड़ानें लगातार सातवें दिन भी रद्द रहीं। नवंबर में ही इसने 1200 से ज़्यादा उड़ानें रद्द कर दी थीं। लेकिन दिसंबर में तो स्थिति बेकाबू हो गई। अफरा-तफर मच गई। तो इसकी वजह क्या रही? एयरलाइन ने कहा कि एक सुनियोजित 'रीबूट' का हिस्सा थी। एक बड़ी वजह नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन यानी एफ़डीटीएल नियमों को बताया जा रहा है। तो क्या इंडिगो ने अक्टूबर के आखिर तक डीजीसीए से एफ़डीटीएल नियमों में कुछ नियमों से छूट पाने या इसके लागू होने को 1 नवंबर की डेडलाइन से आगे टालने के लिए लॉबीइंग करने में समय बर्बाद किया, बजाय इसके कि वह इसके लिए तैयारी करे?

वैसे, इंडिगो एयरलाइन पर लॉबीइंग करने का आरोप काफ़ी ज़्यादा लग रहा है। ऐसा इस वजह से भी कि इसका नाम चुनावी बॉन्ड के मामले में आ रहा है। इंडिगो के इस संकट के बीच एयरलाइन की राजनीतिक चंदे की राशि पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों ने 2023 में लोकसभा चुनावों से पहले इंडिगो द्वारा खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की बड़ी मात्रा पर उंगली उठाई है। चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों से पता चलता है कि इंडिगो को संचालित करने वाली इंटरग्लोब ग्रुप ने 36 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे, जो परिवहन क्षेत्र का सबसे बड़ा खरीदार बना।
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चुनावी बॉन्ड का नाम क्यों उछल रहा?

इंटरग्लोब की तीन इकाइयों- इंटरग्लोब एविएशन, इंटरग्लोब एयर ट्रांसपोर्ट और इंटरग्लोब रियल एस्टेट वेंचर्स ने कुल 36 बॉन्ड खरीदे, प्रत्येक 1 करोड़ रुपये के। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 31 बॉन्ड मई 2019 में खरीदे गए, जबकि बाक़ी अक्टूबर 2023 में। इसके अलावा, इंटरग्लोब के प्रमोटर राहुल भाटिया ने अप्रैल 2021 में व्यक्तिगत रूप से 29 बॉन्ड खरीदे, जिनकी कुल कीमत 20 करोड़ रुपये थी। दिलचस्प बात यह है कि भाटिया के ये बॉन्ड उस समय खरीदे गए जब विमानन क्षेत्र कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित था।

परिवहन क्षेत्र में चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली एकमात्र अन्य एयरलाइन स्पाइसजेट थी, जिसने जनवरी से जुलाई 2021 के बीच 65 लाख रुपये के 20 बॉन्ड खरीदे। इंडिगो के पास विमानन बाजार का 63% हिस्सा है, जबकि एयर इंडिया का बाजार हिस्सा केवल 13.6% है। 

इंडिगो को कोविड-19 के बाद के वर्षों में क्षेत्र में लगभग एकाधिकार जैसी स्थिति होने देने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। इसने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि चुनावी बॉन्ड खरीदने के बाद इंडिगो के प्रति ज़्यादा उदारता बरती गई।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने कहा है कि इंडिगो का यह संकट कोई दुर्घटना नहीं है, बल्कि मोदी सरकार की 'क्षेत्र में डुओपॉली यानी दो प्रमुख एयरलाइनों का वर्चस्व बनाने की निरंतर कोशिश' का नतीजा है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में डुओपॉली है; विमानन उद्योग भी उनमें से एक है। उदारीकरण और खुली अर्थव्यवस्था प्रतिस्पर्धा पर आधारित है। लोगों को सोचना चाहिए कि भारत में एक जीवंत और प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग को कैसे और क्यों दो खिलाड़ियों का कारोबार बना दिया गया।'

कांग्रेस की एक प्रेस ब्रीफिंग में लोकसभा सदस्य शशिकांत सेंथिल ने आरोप लगाया कि सरकार ने इंडिगो को यात्रियों के लिए अराजक स्थिति पैदा करने दिया, जबकि एयरलाइन ने दो साल पहले जनवरी 2024 में जारी नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन यानी एफडीटीएल नियमों को लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि एफडीटीएल को केवल आंशिक रूप से जुलाई 2025 में लागू किया गया। सेंथिल ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू से पूछा कि क्या वे इस अभूतपूर्व संकट की जिम्मेदारी लेंगे?
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उन्होंने कहा, 'डीजीसीए जनवरी 2024 में जारी एफडीटीएल नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने में क्यों विफल रहा, जो जुलाई 2025 से आंशिक रूप से और 1 नवंबर से पूरी तरह लागू होने थे? क्या सरकार ने कभी इंडिगो को चेतावनी या अनुपालन नोटिस जारी किया, या एयरलाइन को कार्रवाई से पूरी तरह छूट दी गई थी?'

चुनावी बॉन्ड से जोड़ा इंडिगो को मिली छूट को

सेंथिल ने इंडिगो को मिली छूट को चुनावी बॉन्ड से जोड़ते हुए कहा, 'चुनावी बॉन्ड के खुलासे से पता चलता है कि इंटरग्लोब ग्रुप की इकाइयों और उसके प्रमोटरों द्वारा बड़े पैमाने पर खरीदारी की गई... क्या बीजेपी की इंडिगो से वित्तीय निकटता ही यात्री सुरक्षा की क़ीमत पर दिखाई गई इस असाधारण उदारता का असली कारण है? हम हमेशा कहते रहे हैं- यह चुनावी बॉन्ड बहुत, बहुत, बहुत खतरनाक चीज है। यह कॉरपोरेट्स को नियंत्रित करने की अनुमति देगा और यह एक उदाहरण है।'

तमिलनाडु से कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह संकट कोई प्राकृतिक विफलता नहीं है, बल्कि बीजेपी सरकार की नीतियों का नतीजा है, जो प्रतिस्पर्धा को कुचलने, पसंदीदा को पुरस्कृत करने और पूरे राष्ट्रीय उद्योग को कॉरपोरेट सहयोगियों के एक छोटे घेरे के अनुरूप बदलने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि क्यों केवल एक कॉरपोरेट ग्रुप को बार-बार इतने बड़े, रणनीतिक रूप से अहम संपत्तियां मिलती हैं? सेंथिल ने कहा, 'सरकार और एयरलाइन की पूरी उदासीनता है। क्या उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू इस अभूतपूर्व संकट की जिम्मेदारी लेंगे या सामान्य बयानों के पीछे छिपेंगे।' उन्होंने केंद्र से इंडिगो को नए नियमों का अनुपालन कराने के लिए किए गए कार्यों पर एक श्वेत पत्र की मांग की।
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नए नियमों की तैयारी में देरी क्यों हुई?

इंडिगो की उड़ान संकट की जांच कर रही चार सदस्यीय सरकारी समिति इस बात की जांच करेगी कि क्या एयरलाइन ने नए एफडीटीएल नियमों के कुछ हिस्सों से छूट पाने या 1 नवंबर की समय सीमा से आगे बढ़ाने के लिए अक्टूबर के अंत तक डीजीसीए से लॉबीइंग की, बजाय इसके कि तैयारी पर समय लगाये? समिति उन आरोपों की भी जाँच करेगी कि एयरलाइन ने जानबूझकर अपने क्रू और पायलटों को ड्यूटी नहीं सौंपी, साथ ही कई अन्य कमियाँ की, जिन्होंने संचालन को ठप कर दिया और अन्य एयरलाइनों को भी प्रभावित किया।

नए फ्लाइट ड्यूटी नियमों के कार्यान्वयन में देरी को बोइंग-स्वामित्व वाले जेप्पेसन क्रू रोस्टरिंग सॉफ्टवेयर को अपडेट करने में देरी के रूप में देखा जा रहा है, जिसकी समिति द्वारा जांच की जाएगी। इंडिगो ने इन दो मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं की। समिति एयरलाइन की डीजीसीए को तैयारी रिपोर्ट न देने की विफलता की जांच करेगी। जानकारों का कहना है कि डीजीसीए अधिकारियों ने एफडीटीएल के रोलआउट के लिए स्पष्ट हाई कोर्ट आदेश के बावजूद इंडिगो के प्रतिनिधित्व को क्यों सहन किया, इसकी भी जांच होगी।

बहरहाल, यह संकट न केवल इंडिगो के कॉरपोरेट प्रबंधन पर सवाल उठा रहा है, बल्कि राजनीतिक-कॉरपोरेट गठजोड़ और नियामकीय ढील पर भी बहस छेड़ रहा है। सरकार की जांच के नतीजे आने वाले दिनों में और अधिक खुलासे कर सकते हैं, जबकि यात्री अभी भी उड़ानों के रद्द होने और देरी से परेशान हैं।