दिल्ली को दहला देने वाले लाल किला धमाके की जाँच में अब सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। जाँच में संकेत मिले हैं कि 10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए इस विस्फोट के तार हरियाणा के फरीदाबाद में पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद यानी जेईएम के आतंकी मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने खुलासा किया है कि यह ट्रांसनेशनल और इंटरस्टेट मॉड्यूल है। यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवातुल हिंद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ है। कुछ संकेत ऐसे मिले हैं जिसमें फरीदाबाद में पकड़े गए लोगों में से ही एक शख्स लाल क़िला में विस्फोट करने वाला हो सकता है। वह अभी फरार है। हालाँकि, सरकार ने अभी तक यह साफ़ नहीं किया है कि लाल किला पर हुआ विस्फोट आतंकी हमला था या नहीं। 

विस्फोट से पहले के दिनों में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। सबसे पहले पुलवामा के डॉ. मुजम्मिल अहमद गनी को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद काजीगुंड के डॉ. अदील मजीद राठर को पकड़ा गया। गनी फरीदाबाद के अल फलाह अस्पताल में कार्यरत था। पुलिस ने उसके फरीदाबाद के धौज गांव स्थित किराए के मकान से 358 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की। इसकी पहचान अमोनियम नाइट्रेट के रूप में हुई है। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में हथियारों का जखीरा भी बरामद किया गया।
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अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ाव

रिपोर्टों में अब पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि गनी की गिरफ्तारी के बाद लापता हो गए तीसरे डॉक्टर उमर नबी को विस्फोट का मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है। उमर नबी पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला है और अल फलाह यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में कार्यरत था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीसीटीवी फुटेज में हुंडई आई20 कार में दिख रहा व्यक्ति उमर नबी ही हो सकता है। गनी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उमर के लिए तलाशी अभियान शुरू किया। दोनों डॉक्टर एक ही गांव के रहने वाले हैं।

इस जैश मॉड्यूल में 4 डॉक्टर शामिल!

पुलिस सूत्रों के संकेत के अनुसार, 'जैश मॉड्यूल' में कम से कम चार डॉक्टर शामिल थे– गनी, राठर, उमर और लखनऊ की एक महिला डॉक्टर हैं। इन्हें भी मामले से जुड़े होने के शक में पूछताछ के लिए उठाया गया है।

यह कथित मॉड्यूल श्रीनगर शहर के बाहरी इलाक़ों में जैश के पोस्टर लगने की जाँच के दौरान पकड़ा गया था। पुलिस का मानना है कि यह मॉड्यूल अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय स्तर पर सक्रिय था, जिसमें डॉक्टरों की भर्ती कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची जा रही थी।

जम्मू कश्मीर पुलिस ने बताया है कि यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद यानी जेईएम और अंसार गजवात-उल-हिंद यानी एजीयूएच जैसे प्रतिबंधित संगठनों से जुड़ा था। यह 'व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम' का हिस्सा था, जहां पढ़े-लिखे पेशेवर आतंकी गतिविधियों में लिप्त थे। मॉड्यूल का सरगना पुलवामा का डॉक्टर उमर फरार चल रहा है, जो कथित तौर पर धमाके वाली कार में सवार था। 
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जम्मू कश्मीर पुलिस की कार्रवाई

घटना से ठीक एक दिन पहले 9 नवंबर की रात को जम्मू-कश्मीर पुलिस, हरियाणा पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो की संयुक्त टीम ने फरीदाबाद के धौज इलाके में एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था। इस ऑपरेशन में सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें ज़्यादातर कश्मीरी डॉक्टर शामिल थे। उनके कब्जे से 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, एक AK-56 राइफल, पिस्टलें, 83 जिंदा कारतूस, 20 टाइमर, 24 रिमोट कंट्रोल, वॉकी-टॉकी और आईईडी बनाने का अन्य सामान बरामद हुआ।

जाँच के अनुसार यह ऑपरेशन श्रीनगर में जेईएम के समर्थन वाले पोस्टरों से शुरू हुआ। 27 अक्टूबर को लगे इन पोस्टरों की सीसीटीवी फुटेज से आदिल का पता चला, जिसे 6 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया। उसके लॉकर से AK-47 बरामद हुई। पूछताछ में उसने फरीदाबाद कनेक्शन का खुलासा किया। सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान और अन्य देशों में बैठे हैंडलर इस नेटवर्क को चला रहे थे।
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उमर की तलाश तेज

दिल्ली पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम इस मामले की गहन जाँच कर रही है। सीसीटीवी फुटेज, बरामद विस्फोटकों और गिरफ्तार व्यक्तियों के बयानों से जुड़े तथ्यों को जोड़ा जा रहा है। उमर नबी की तलाश तेज कर दी गई है और पुलवामा में छापेमारी जारी है।
यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी मानी जा रही है, क्योंकि इसमें डॉक्टर जैसे शिक्षित पेशेवरों का जुड़ाव सामने आया है। केंद्र सरकार ने भी इसकी उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। 

वैसे, कुछ रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि यह आत्मघाती हमला भी हो सकता है। डीएनए टेस्ट से पुष्टि होगी कि क्या विस्फोट करने वाला कार में संदिग्ध सवार कौन था।