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जालौर में यह भीड़ भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के इंतजार में जमा हुई।

जालौर कांडः चंद्रशेखर को फिर रोका गया, दलितों का प्रदर्शन

राजस्थान के जालौर में दलितों ने दलित बच्चे की मौत को लेकर गुरुवार को जबरदस्त प्रदर्शन किया। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद गुरुवार को फिर जोधपुर पहुंचे और वहां से जालौर जाना चाहते हैं लेकिन यह खबर लिखे जाने तक उनको जोधपुर में ही रोका गया है। उधर, सवर्ण समुदाय ने भी अपनी पंचायत की और कतिपय तत्वों को इस मामले को हवा देने का आरोप लगाया।

घटनास्थल सुराणा गांव से 20 किलोमीटर की दूरी पर सियावट में चौराहे पर लोग चंद्रशेखर आजाद का इंतजार कर रहे हैं। आजाद के सुराणा गांव जाने पर जहां रोक है, वहां बीजेपी समर्थक लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान सुराणा गांव पहुंचे। कई और दलित नेताओं का पहुंचना जारी है। 
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जालौर में दलित छात्र इंद्र मेघवाल की पिटाई से मौत का मामला बढ़ता ही जा रहा है। सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में राजपूत समुदाय के टीचर छैल सिंह पर छात्र को पीटने का आरोप है, जिसकी 23 दिनों बाद चोट की वजह से मौत हो गई। छात्र की गलती इतनी थी कि उसने टीचर के मटके से पानी पी लिया था। टीचर को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन अब स्कूल में सारे सबूत मिटा दिए गए हैं। मुख्यधारा का मीडिया इस मौत पर लीपापोती कर रहा है। दिल्ली-नोएडा से संचालित कुछ चैनल इसे जाति का विवाद नहीं बता रहे हैं। उनका सवाल उस मटकी को लेकर है, जो उन्हें अब वहां जाने पर नहीं मिली। 

दलित संगठन भीम आर्मी ने इसे बड़े मुद्दा बना दिया। चंद्रशेखर आजाद ने बुधवार को जालौर जाने की कोशिश की थी तो उन्हें जोधपुर एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया। पुलिस उनको रात में ही दिल्ली छोड़ आई। लेकिन चंद्रशेखर आजाद गुरुवार को फिर जोधपुर पहुंच गए। उनके साथ एक काफिला है, जिसे पुलिस और प्रशासन ने रोक रखा है। उधर, जालौर कलेक्ट्रेट पर दलित समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया। सियावट कस्बे के चौराहे पर बड़ी तादाद में लोग चंद्रशेखर का इंतजार कर रहे हैं। समझा जाता है कि प्रशासन सुराणा गांव में भीड़ छटने पर चंद्रशेखर को देर शाम या रात में जाने की इजाजत दे सकती है।

चंद्रशेखर आजाद ने मीडिया से जोधपुर में गुरुवार को कहा कि मैंने प्रशासन से यह तक कहा कि मुझे अकेले को पीड़ित परिवार के घर जाने दें। मुझे पुलिस के साथ जाने दें। मुझे पांच लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ जाने दें। लेकिन सरकार किसी भी बात राजी नहीं है। आखिर ऐसा क्यों है कि बीजेपी और कांग्रेस के नेता पीड़ित परिवार से मिल रहे हैं लेकिन उस समुदाय के ही नेता को मिलने से रोका जा रहा है। हर कोई जानता है कि दलितों के साथ अन्याय होने पर मैं हर जगह जाता हूं। मैं अपने समाज का दुख-दर्द नहीं सुनूंगा तो कौन सुनेगा। मैं हर हालत में सुराणा गांव जाऊंगा। आज नहीं तो कल जाऊंगा। लेकिन जाऊंगा जरूर। 
इस बीच, सवर्ण समुदाय भी इस मुद्दे पर एकजुट हो रहा है। उसने भी गुरुवार को जालौर में अपनी पंचायत की। पंचायत में लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ स्वार्थी तत्व इस मामले को उछाल रहे हैं। दलित छात्र इंद्र मेघवाल की मौत राजपूत समुदाय के टीचर छैल सिंह की पिटाई से नहीं हुई है। वो छात्र बीमार था। स्कूल के बाकी छात्रों ने भी टीवी चैनलों के सामने कहा कि टीचर ने उस लड़के को नहीं पीटा है। उस जगह पर कोई मटका नहीं था। इसलिए पानी पीने की बात भी गलत है।
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क़मर वहीद नक़वी
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