लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्र का दर्जा देने की मांग वर्षों से चली आ रही है। 2019 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने गहन विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार को सिफारिश की थी कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। आयोग ने गृह, जनजातीय कार्य एवं विधि एवं न्याय मंत्रालयों से परामर्श किया था, जहां तीनों मंत्रालयों ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। हालांकि, छह साल बाद भी यह मांग अधर में लटकी हुई है, और हालिया हिंसक प्रदर्शनों और सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है। सरकार समझ रही है कि सोनम की गिरफ्तारी के बाद यह मांग लद्दाख के लोग भूल जाएंगे, ऐसा नहीं है।