दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट और भारत के चीफ जस्टिस ने रिजिजू के बयान को कभी महत्व नहीं दिया और पूरी बहस में शामिल होने से इनकार कर दिया है। रिजिजू ने बयानों के जरिए न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश की, जिससे मोदी सरकार की घोर बेइज्जती के कई मामले सामने आते हैं। इधर सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले भी सरकार को परेशान करने वाले थे।