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नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास 

नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हो गया है। सोमवार को हुई लंबी बहस के बाद विधेयक को लेकर वोटिंग हुई। विधेयक के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक में अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, पारसी, सिख, जैन और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है और इसे संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ बताया है। राज्यसभा में बुधवार को इस विधेयक पर चर्चा होगी।
लोकसभा में विधेयक के पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुशी जताई है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं विधेयक का समर्थन करने वाले सांसदों और राजनीतिक दलों को धन्यवाद देता हूं।’ प्रधानमंत्री ने विधेयक पास होने पर गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने सदन में विधेयक से जुड़ी सभी बातों के विस्तार से जवाब दिये। 
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सोमवार रात को हुई चर्चा में विधेयक को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के सवालों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) और इस विधेयक को आपस में न जोड़ा जाए। शाह ने कहा कि एनआरसी से जुड़े सवालों का भी वह जवाब देंगे। 

शाह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ऐसी सेक्युलर पार्टी है जो केरल में मुसलिम लीग के साथ है जबकि महाराष्ट्र में इसकी सहयोगी शिवसेना है।

शाह ने पूर्वोत्तर में विधेयक के विरोध को लेकर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम इनर लाइन परमिट से सुरक्षित हैं और उन्हें इस विधेयक को लेकर डरने की ज़रूरत नहीं है। दीमापुर के छोटे इलाक़े को छोड़कर पूरा नगालैंड इनर लाइन परमिट से सुरक्षित है, इसलिए उन्हें भी डरने की ज़रूरत नहीं है।’ गृह मंत्री ने कहा कि रोहिंग्या बांग्लादेश से होते हुए आते हैं। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। 

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‘शरणार्थी और घुसपैठिए में अंतर’ 

शाह ने कहा कि शरणार्थी और घुसपैठिए में अंतर होता है। जो लोग धार्मिक प्रताड़ना के कारण और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए भारत में आये हैं वे शरणार्थी हैं और जो यहां अवैध रूप से आये हैं, वे घुसपैठिए हैं। शाह ने कहा, ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हमारा है और वहां के लोग भी हमारे हैं। आज भी हमने जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 24 सीटें उनके लिए आरक्षित की हैं।’ 

विधेयक के पास होने के बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह भारत के संविधान के लिए काला दिन है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह मुसलमानों के ख़िलाफ़ है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है और समानता के मूल अधिकार के ख़िलाफ़ है। तिवारी ने कहा कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 25 और 26 के ख़िलाफ़ है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक असम समझौते का उल्लंघन करता है। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सेक्युलरिज्म देश के मूलभूत ढांचे का हिस्सा है और यह विधेयक संविधान के ख़िलाफ़ है।

बीजेपी के नेतृत्व वाली पिछली एनडीए सरकार ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान से आने वाले ग़ैर मुसलिमों, ख़ासकर हिंदू आप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने की बात की थी। दूसरी बार सरकार बनते ही बीजेपी ने तीन तलाक़, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद इसे अपने एजेंडे में प्राथमिकता से रखा है। 

विधेयक को लेकर केंद्र सरकार का तर्क यह है कि इन देशों में हिंदुओं समेत दूसरे अल्पसंख्यकों का काफ़ी उत्पीड़न होता है, जिसके कारण वे भागकर भारत में शरण लेते हैं और मानवीय आधार पर ऐसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जानी चाहिए। सरकार का कहना है कि इसीलिए नागरिकता विधेयक लाया गया और इसमें इन देशों से आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, ईसाईयों को नागरिकता देना तय किया गया। इन देशों से आए मुसलिम शरणार्थियों को नागरिकता क़ानून से बाहर रखने के पीछे सरकार का तर्क यह है कि इन मुसलिम देशों में धर्म के आधार पर मुसलमानों का उत्पीड़न नहीं हो सकता। 

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क़मर वहीद नक़वी
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