लिबटेक इंडिया के वरिष्ठ शोधकर्ता राहुल मुक्केरा ने कहा, “पिछले पांच साल में, मनरेगा श्रमिकों को केंद्र सरकार की तकनीकी आधारित की अनिवार्यता की वजह से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जिसमें एबीपीएस की अनिवार्यता और हाजिरी लगाने के लिए ऐप की शुरूआत ने सबसे बड़ी दिक्कत खड़ी की।''
रिपोर्ट के मुताबिक आधार लिंक और ऐप के लागू होने की वजह से ज्यादा श्रमिक हटे। क्योंकि बिना हाजिरी ऐप चलाए उन्हें काम मिल ही नहीं सकता था। इस वजह से काफी नाम उड़ा दिए गए, क्योंकि वो तकनीक नहीं जानते थे। यही वजह है कि एबीपीएस सिस्टम को लागू करने से सिर्फ 69 फीसदी श्रमिकों को और सक्रिय श्रमिकों में से 92 फीसदी को पैसे का भुगतान हो पाया। सक्रिय श्रमिक का यहां मतलब है कि एक व्यक्ति जिसने पिछले तीन वर्षों में एक दिन के लिए भी काम किया है, उसे सक्रिय श्रमिक माना जाता है।