देश में पहले चरण के चुनाव के बाद पीएम मोदी की भाषा बदल गई है। वो कांग्रेस और मुसलमानों को अब सीधे टारगेट कर रहे हैं। उन्होंने रविवार को बांसवाड़ा में कांग्रेस पर हमला करते हुए मुसलमानों को घुसपैठिया कहा। लेकिन अलीगढ़ में सोमवार को उनका भाषण पिछले दिन के मुकाबले बहुत ही ज्यादा तीखा था। मोदी ने अलीगढ़ में कहा- "मैं देशवासियों को चेतावनी देना चाहता हूं। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की नजर आपकी कमाई और आपकी संपत्ति पर है। कांग्रेस के 'शहजादा' (राहुल गांधी) कहते हैं कि अगर उनकी सरकार आती है सत्ता में, वे जांच करेंगे कि कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी संपत्ति है... हमारी माताओं और बहनों के पास सोना (गोल्ड) है, इसे पवित्र माना जाता है, कानून भी इसकी रक्षा करता है महिलाओं का 'मंगलसूत्र', मां-बहनों का गोल्ड चुराना है इनका इरादा... अगर आपके गांव में किसी पुराने पूर्वज का घर है और आपने अपने बच्चों के भविष्य के लिए शहर में एक छोटा सा फ्लैट भी खरीदा है दोनों में से एक को छीन लेंगे...ये माओवादी सोच है, ये कम्युनिस्टों की सोच है ऐसा करके वो पहले ही कई देशों को बर्बाद कर चुके हैं अब यही नीति कांग्रेस पार्टी और इंडिया गठबंधन भारत में लागू करना चाहते हैं।"
हालांकि मोदी कांग्रेस और मुसलमानों को जिस तरह टारगेट कर रहे हैं, उसका कांग्रेस के घोषणापत्र से लेना-देना नहीं है। कांग्रेस के घोषणापत्र में यह कहीं नहीं लिखा है कि वो हिन्दुओं की संपत्ति छीन लेगी, उनके घर, दुकान, खेत छीन लेगी, उनकी महिलाओं का गोल्ड छीन लेगी। कांग्रेस के घोषणापत्र में एक लाइन भी ऐसी नहीं लिखी है। लेकिन फिर भी मोदी इसी अंदाज में बोल रहे हैं। इसी आधार पर मोदी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को माओवादी बोल दिया है।
निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आदर्श आचार संहिता या एमसीसी चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का एक दस्तावेज है। इन नियमों में चुनावी रैलियों में भाषण, बयान, मतदान वाले दिन, मतदान केंद्र और सामान्य आचरण से संबंधित मुद्दे शामिल हैं। जिस दिन चुनाव की तारीखों की घोषणा होती है उसी दिन संहिता लागू हो जाती है। वर्तमान चुनावी मौसम में, एमसीसी 16 मार्च को लागू है। उसी दिन चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था। इस दौरान चुनाव आयोग कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हेलिकॉप्टर की जांच करवा चुका है लेकिन मोदी के साम्प्रदायिक भाषण पर चुप है।
नफरती भाषण और चुनाव आयोग
हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं और 2023 में तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अगर किसी जगह साम्प्रदायिक भाषण से माहौल बिगाड़ा जाता है तो वहां के डीएम और एसपी इसके जिम्मेदार होंगे। उन्हें ऐसे लोगों के खिलाफ फौरन कोई कार्रवाई करना होगी। लेकिन चुनाव के दौरान जब सबसे ज्यादा हेट स्पीच हो रही है तो चुनाव आयोग चुप बैठा है। हालांकि आदर्श चुनाव आचार संहिता में नफरत फैलाने वाले भाषण पर कोई विशेष दिशानिर्देश नहीं हैं। हालाँकि, यह संहिता राजनेताओं को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकती है जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है। आचार संहिता के पहले ही पैराग्राफ में लिखा है, "कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकता है, या आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है।"