कांग्रेस और अन्य दलों ने जाति जनगणना के लिए दबाव बनाकर सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। जाति की राजनीति चुनाव नतीजों को तय करने में प्रमुख भूमिका निभाती है, चाहे वह लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव। हिन्दू वोट बैंक के लिए मेहनत करने वाली भाजपा जाति की राजनीति से घबराती है।
रोहिणी आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट का मसौदा तैयार करते समय किए गए एक अध्ययन में पाया था कि ओबीसी की लगभग 5,000-6,000 उप-श्रेणियों/समूहों में से सिर्फ 40 में एक फीसदी आबादी ने केंद्रीय आरक्षण के 50 फीसदी लाभ पर कब्ज़ा कर लिया है। यह लाभ सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों तक फैला हुआ है।