भारत में कड़ी मेहनत करने की आदत नहीं रही है। यह हमारी गलती नहीं है, कभी-कभी ऐसी आदतें बन जाती हैं। लेकिन सच तो यह है कि हम यूरोपीय, जापानी, चीनी, रूसी या अमेरिकियों जितनी मेहनत नहीं करते हैं। मत करो। सोचिए कि क्या वे देश किसी जादू के कारण विकसित हुए या वे कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता के कारण विकसित हुए।
दरअसल पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 1974 में भारतीयों के "संतुष्ट" और "पराजयवादी रवैये" के बारे में बात की थी। दरअसल, इंदिरा गांधी ने कहा था- “दुर्भाग्य से, यह हमारी आदत बन गई है कि जब कोई काम ख़त्म हो जाता है, तो हम लापरवाह हो जाते हैं। जब कोई कठिनाई सामने आती है तो हम आशा खो देते हैं। कभी-कभी ऐसा महसूस होता है जैसे पूरे देश ने पराजयवादी रवैया अपना लिया है, लेकिन आशा छोड़ देने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।''