भारत के चुनाव आयोग (ECI) पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए वोट चोरी और बिहार में विशेष जांच रिपोर्ट (SIR) से संबंधित गंभीर आरोपों ने देश में सियासी हलचल मचा दी है। सी वोटर द्वारा किए गए एक ताजा सर्वे ने इन आरोपों को और बल दिया है, जिसके नतीजे सत्तारूढ़ मोदी सरकार को असहज करने वाले हैं। सर्वे के मुताबिक, 59% लोगों का मानना है कि राहुल गांधी के आरोपों में सच्चाई है, जबकि सिर्फ 34% ने इनसे असहमति जताई। यह आंकड़ा दर्शाता है कि जनता का एक बड़ा वर्ग चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है।
वोट चोरी के आरोपों को बीजेपी और चुनाव आयोग ने बार-बार खारिज किया। कई बार जब चुनाव आयोग चुप रहा, तो बीजेपी ने राहुल पर वोट चोरी के आरोपों पर हमला किया। वोट चोरी के आरोपों के दौरान ही राहुल गांधी ने 7 अगस्त को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वोट चोरी के सबूत पेश किए। ये सबूत कर्नाटक की सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र के थे। इन सबूतों पर देश की मीडिया ने सच्चाई का पता लगाने के लिए उन वोटरों के घरों पर पहुंच गए। वहां सच में पाया गया कि एक एक बिल्डिंग में 600-600 मतदाता दर्ज थे। सबूत पेश करने पर राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया और उनसे हलफनामा मांगा। लेकिन बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने जब वोट चोरी का आरोप वायनाड (प्रियंका गांधी), रायबरेली (राहुल गांधी) समेत कई लोकसभा क्षेत्रों पर लगाया तो चुनाव आयोग ने न तो जांच कराने की घोषणा की और न ही अनुराग ठाकुर को कोई नोटिस देकर आरोपों पर हलफनामा मांगा।
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चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए

जनता की राय सर्वे में एक और महत्वपूर्ण सवाल पूछा गया कि क्या चुनाव आयोग को राहुल गांधी के सवालों का जवाब देना चाहिए। इसके जवाब में 67% लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा कि हां, आयोग को इन सवालों का जवाब देना चाहिए। वहीं, मात्र 13% ने इसकी जरूरत से इनकार किया। यह जनता के बीच चुनाव आयोग की जवाबदेही को लेकर बढ़ती मांग को दर्शाता है।

वोटर लिस्ट विवाद: क्या बनेगा चुनावी मुद्दा?

वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने का मुद्दा भी सर्वे में छाया रहा। सर्वे में 60% लोगों ने माना कि यह एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन सकता है, जबकि 26% ने इसे नकार दिया। यह मुद्दा आम लोगों से सीधे तौर पर जुड़ा है, क्योंकि वोटर लिस्ट से नाम हटने की स्थिति में मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। बिहार में 65 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाने का मामला विशेष रूप से चर्चा में है। हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों को चुनाव आयोग ने मृत घोषित किया, उनमें से कुछ राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में जीवित नजर आए। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी दो ऐसे लोग उपस्थित हुए, जिन्हें चुनाव आयोग ने मृत बताया था। याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने कोर्ट को इसकी जानकारी दी, और कोर्ट की बेंच ने इन लोगों को अपनी आंखों से देखा। 

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा को जन समर्थन 

बिहार में वोट चोरी के खिलाफ राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा जोर पकड़ रही है। इस यात्रा को जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है, जो दर्शाता है कि लोग अपने मताधिकार को लेकर सजग और जागरूक हो रहे हैं। यह यात्रा न केवल वोटर लिस्ट से संबंधित अनियमितताओं को उजागर कर रही है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को भी मजबूती दे रही है।
सी वोटर का सर्वे और बिहार का वोटर लिस्ट विवाद एक गंभीर सवाल उठाता है: क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जनता का भरोसा डगमगा रहा है? राहुल गांधी के आरोप और सुप्रीम कोर्ट में सामने आए तथ्य इस मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हैं। अगर वोटर लिस्ट से लाखों लोगों के नाम गलत तरीके से हटाए जा रहे हैं, तो यह न केवल व्यक्तिगत मताधिकार का उल्लंघन है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करता है।

चुनाव आयोग के लिए यह समय है कि वह इन आरोपों का पारदर्शी और तथ्यपूर्ण जवाब दे। जनता की राय साफ है- 67% लोग चाहते हैं कि आयोग अपनी स्थिति स्पष्ट करे। अगर यह मुद्दा अनसुलझा रहा, तो यह न केवल आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, बल्कि जनता के बीच लोकतांत्रिक संस्थानों के प्रति विश्वास को और कमजोर कर सकता है।

वोट चोरी और वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने का मुद्दा अब केवल बिहार तक सीमित नहीं है। यह एक राष्ट्रीय बहस का रूप ले चुका है। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा और सी वोटर के सर्वे ने इस मुद्दे को और हवा दी है। अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है। क्या आयोग जनता के सवालों का जवाब देगा, या यह मुद्दा 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन जाएगा? 

राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा का हाल 

बिहार में वोटर लिस्ट से लाखों नाम हटाए जाने के मुद्दे को लेकर राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने जोर पकड़ लिया है। इस यात्रा को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है, जो दर्शाता है कि लोग अपने मताधिकार को लेकर कितने जागरूक और संवेदनशील हो चुके हैं। खासकर उन लोगों में उत्साह देखा जा रहा है, जिनके नाम गलत तरीके से वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर आम लोगों के बीच एक नई उम्मीद जगाई है। उनकी सभाओं में उमड़ रही भीड़ और लोगों का उत्साह इस बात का प्रमाण है कि यह मुद्दा अब केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों से जुड़ा एक बड़ा आंदोलन बन चुका है।
यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कई ऐसे लोगों से मुलाकात की, जिन्हें चुनाव आयोग ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन वे जीवित हैं और अपने वोटिंग अधिकार की मांग कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोग उनकी सभाओं में शामिल होकर अपनी आपबीती साझा कर रहे हैं, जिससे जनता में आक्रोश और जागरूकता दोनों बढ़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान भी दो ऐसे व्यक्तियों की उपस्थिति ने आयोग के दावों पर सवाल खड़े किए। राहुल गांधी ने इन घटनाओं को लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए कहा कि यह केवल वोटर लिस्ट का मसला नहीं, बल्कि आम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। उनकी यह बात जनता के बीच गहरी पैठ बना रही है, जिसके चलते उनकी यात्रा को व्यापक समर्थन मिल रहा है।
वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों को एकजुट किया है। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग इस आंदोलन से जुड़ रहा है, क्योंकि यह मुद्दा सीधे तौर पर उनके मताधिकार से जुड़ा है। सोशल मीडिया पर भी इस यात्रा को लेकर जबरदस्त चर्चा हो रही है, जहां लोग अपनी कहानियां और अनुभव साझा कर रहे हैं। यह समर्थन न केवल राहुल गांधी के नेतृत्व को मजबूती दे रहा है, बल्कि यह भी संदेश दे रहा है कि जनता अब अपने अधिकारों के प्रति सजग है। अगर यह लहर इसी तरह बढ़ती रही, तो वोटर लिस्ट विवाद आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, जो चुनाव आयोग और सरकार के लिए गंभीर चुनौती पेश करेगा।
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वोट चोरी के आरोपों ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को तहसनहस कर दिया है। चुनाव आयोग ने अभी तक अपने बचाव में विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है। इतना ही नहीं मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता ने राहुल गांधी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में धमकी दी है। जिसका विपक्ष ने जबरदस्त विरोध किया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने ज्ञानेश गुप्ता के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मुहिम शुरू कर दी है। कुल मिलाकर वोट चोरी का मुद्दा अब जन-जन की ज़ुबान पर है।