हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी को NAAC ने मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। क्या विश्वविद्यालय ने मान्यता मानकों का उल्लंघन किया?
अल फलाह विश्वविद्यालय
फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिविर्सिटी को नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल यानी NAAC ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस यूनिवर्सिटी की मान्यता से जुड़े दावों को लेकर दिया गया है। इसमें पूछा गया है कि लोगों को भ्रामक और ग़लत जानकारी देने के लिए क्यों न उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की जाए। विश्वविद्यालय पर आरोप है कि उसने अपनी वेबसाइट और अन्य दस्तावेजों पर अपनी दो संस्थाओं की ख़त्म हो चुकी NAAC मान्यता को अभी भी वैध दिखाया है, जो पूरी तरह गलत और भ्रामक है। इधर, विश्वविद्यालय की वेबसाइट बंद हो गई है।
फरीदाबाद के धौज गांव स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय तब सुर्खियों में आया जब उसके अल-फलाह स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के तीन स्टाफ़ डॉ. उमर नबी भट, डॉ. मुजम्मिल शकील गनाई और डॉ. शाहीन सईद सोमवार शाम दिल्ली के लाल क़िले पर हुए विस्फोट से जुड़े पाए गए। इस घटना के ठीक एक दिन बाद विश्वविद्यालय ने बयान जारी कर इन डॉक्टरों से दूरी बनाई थी।
अल-फलाह विश्वविद्यालय ने बुधवार को साफ़ किया कि उसके इन डॉक्टरों से कोई संबंध नहीं है सिवाय इसके कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद पर कार्य किया था। इनमें से एक को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 'अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय आतंक मॉड्यूल' से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया है और दूसरा लाल क़िला विस्फोट का मुख्य संदिग्ध है।
NAAC के निदेशक प्रोफेसर गणेशन कन्नाबीरन द्वारा 12 नवंबर को जारी नोटिस में कहा गया है कि विश्वविद्यालय के दो घटक कॉलेज अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और डिपार्टमेंट ऑफ टीचर एजुकेशन की NAAC मान्यता कई वर्ष पहले ख़त्म हो चुकी है। दोनों कॉलेजों ने अभी तक साइकल-2 असेसमेंट और एक्रेडिटेशन (A&A) प्रक्रिया के लिए स्वेच्छा से आवेदन नहीं किया है।
फिर भी विश्वविद्यालय अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर दावा करता है, 'अल-फलाह विश्वविद्यालय, अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की एक पहल है... 1997 से, ज्ञानभूति रावल बिमल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (2008 से), और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, NAAC द्वारा 'A' ग्रेड प्राप्त)।" NAAC ने इसे 'पूरी तरह ग़लत और भ्रामक' बताया है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार NAAC की कार्यकारी समिति ने विश्वविद्यालय से सात बिंदुओं पर सफ़ाई मांगी है-
अन्य चार सवालों में वेबसाइट से भ्रामक जानकारी तुरंत हटाने, ग़लत दावों के सबूत और जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी शामिल है।
अल-फलाह यूनिविर्सिटी को NAAC से नोटिस मिलने के बीच इसकी वेबसाइट बंद कर दी गई है। हालाँकि, विश्वविद्यालय की ओर से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि इसको बंद करने के पीछे क्या वजह है।
इन सब के बीच सवाल उठ रहे हैं कि यूनिवर्सिटी के ख़िलाफ़ NAAC का नोटिस क्यों जारी किया गया है? क्या इसलिए कि कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल कुछ लोग इस यूनिवर्सिटी में काम करते थे? यूनिवर्सिटी पर इससे जुड़ा कोई आरोप नहीं है। कम से कम आधिकारिक तौर पर अभी तक नहीं ही लगा है।