आयोग ने अपने तर्क के समर्थन में यह भी कहा है कि बच्चों को धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध यानी अनुच्छेद 15(1) के अधिकार, बच्चों को स्वस्थ तरीक़े से और स्वतंत्रता और सम्मान की स्थिति में विकसित होने के अवसर और सुविधाओं से भी वंचित किया जा रहा है।