ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत सरकार की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडिया ब्रीफिंग में बुधवार को कई खास बातें कहीं। लेकिन पूरा ऑपरेशन 25 मिनट में कैसे हुआ, उसकी उन्होंने कुछ जानकारियां मीडिया को दीं। लेकिन खुफिया सूत्र इस ऑपरेशन के बारे में और भी विस्तार से बता रहे हैं।

बात शुरू करते हैं कर्नल सोफिया कुरैशी से। कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि कैसे भारतीय सशस्त्र बलों ने गुलपुर आतंकी शिविर, कोटली को निशाना बनाया, जो एलओसी से 30 किलोमीटर दूर स्थित था और लश्कर-ए-तैबा का अड्डा था। यह शिविर राजौरी-पुंछ क्षेत्र में सक्रिय था। पुंछ में 20 अप्रैल, 2023 को हुए हमले और 9 जून, 2024 को तीर्थयात्रियों की बस पर हुए हमले में शामिल आतंकवादियों को इसी शिविर में प्रशिक्षित किया गया था। कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया, "पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था। नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया और उन्हें नष्ट कर दिया गया।" उन्होंने बताया कि भारत ने किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं किया, सिर्फ आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया गया।

'ऑपरेशन सिन्दूर' के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में ज्यादातर ठिकाने थे। भारत ने स्पष्ट किया है कि इन हमलों में कार्रवाई पूरी तरह आतंकवादी ढांचे पर केंद्रित थी। गैर सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस हमले में 80 आतंकियों के मारे जाने की सूचना है। कुछ खुफिया सूत्रों ने मरने वाले आतंकियों की संख्या 70 बताई गई है। इन नौ ठिकानों का इस्तेमाल विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जाता था, जिनका विवरण इस प्रकार है:

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मरकज़ सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर (पंजाब, पाकिस्तान)

यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है, जिसे आतंकी सरगना मसूद अजहर संचालित करता है। इस ठिकाने का इस्तेमाल आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण और हमलों की योजना बनाने के लिए किया जाता था। 2019 के पुलवामा हमले सहित कई बड़े आतंकी हमलों की साजिश यहीं रची गई थी। यहाँ जिहादी मदरसों के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा सिखाई जाती थी।

मरकज़ तैय्यबा, मुरीदके (पंजाब, पाकिस्तान)

लश्कर-ए-तैबा का यह मुख्यालय हाफिज सईद द्वारा संचालित है। इस परिसर का उपयोग आतंकियों को सैन्य प्रशिक्षण देने, हथियारों का भंडारण करने और भारत में हमलों की योजना बनाने के लिए किया जाता था। 2008 के मुंबई हमले (26/11) की साजिश भी यहीं तैयार की गई थी। यह ठिकाना जिहादी प्रचार और भर्ती का प्रमुख केंद्र रहा है।

कोटली (PoK): कोटली में स्थित आतंकी शिविर का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैबा और हिज्बुल मुजाहिदीन द्वारा भारत में घुसपैठ के लिए आतंकियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता था। यहाँ से आतंकी जम्मू-कश्मीर में हमलों के लिए हथियार और विस्फोटक तस्करी की योजना बनाते थे।

मुजफ्फराबाद (PoK): यहां दो ठिकानों को निशाना बनाया गया, जो लश्कर-ए-तैबा और जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविरों के रूप में उपयोग किए जाते थे। इन शिविरों में आतंकियों को हथियार चलाने, विस्फोटक बनाने और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी जाती थी। यहाँ से पहलगाम जैसे हमलों की साजिश रची गई थी।

चक अमरू (पंजाब, पाकिस्तान): यह ठिकाना जैश-ए-मोहम्मद के लिए एक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में काम करता था, जहाँ हथियारों और विस्फोटकों का भंडारण किया जाता था। यहाँ से आतंकी समूह भारत में हमलों के लिए सामग्री की आपूर्ति करते थे।

भिम्बर (PoK): भिम्बर में स्थित शिविर का उपयोग हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य आतंकी समूहों द्वारा भारत में घुसपैठ और हमलों की योजना बनाने के लिए किया जाता था। यह ठिकाना सीमा पार आतंकवाद के लिए एक प्रमुख लॉन्च पैड था।

गुलपुर (PoK): गुलपुर में आतंकी शिविर का इस्तेमाल आतंकियों को गुरिल्ला युद्ध और विस्फोटक हमलों की ट्रेनिंग देने के लिए किया जाता था। यहाँ से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए निर्देश दिए जाते थे।

सियालकोट (पंजाब, पाकिस्तान): सियालकोट में एक आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया गया, जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए हथियारों और धन की तस्करी का केंद्र था। यहाँ से भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट प्रदान किया जाता था।

मुजफ्फराबाद (दूसरा ठिकाना, PoK): मुजफ्फराबाद का दूसरा ठिकाना जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी समूहों के लिए एक कमांड सेंटर के रूप में काम करता था। यहाँ से आतंकी हमलों की रणनीति तैयार की जाती थी और भारत में सक्रिय आतंकियों को निर्देश दिए जाते थे।

आतंकी गतिविधियों का स्वरूप

ये नौ ठिकाने आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैबा और हिजबुल मुजाहिदीन के लिए बहुआयामी गतिविधियों के केंद्र थे। इनका इस्तेमाल इन गतिविधियों के लिए किया जाता था:  

  • आतंकियों की भर्ती और प्रशिक्षण: युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा के साथ सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था।  


  • हमलों की योजना: पहलगाम, पुलवामा और मुंबई जैसे बड़े हमलों की साजिश इन ठिकानों से रची गई।  


  • हथियार और विस्फोटक आपूर्ति: भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए हथियार, विस्फोटक और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट प्रदान किया जाता था।  


  • घुसपैठ और सीमा पार आतंकवाद: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ और हमलों के लिए लॉन्च पैड के रूप में उपयोग।  


  • फंडिंग और प्रचार: आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और जिहादी प्रचार के लिए मदरसों और अन्य सुविधाओं का उपयोग।

पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों से दूरी

भारत ने अपनी कार्रवाई में अत्यधिक संयम बरता और स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया, "हमारी कार्रवाई केंद्रित, संयमित और गैर-उत्तेजक थी। कोई भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा निशाना नहीं बनी। भारत ने लक्ष्यों के चयन और कार्रवाई के तरीके में काफी संयम दिखाया है।" यह कदम भारत की नीति को दर्शाता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, लेकिन अनावश्यक सैन्य टकराव से बचना चाहता है।

ऑपरेशन की तकनीक और रणनीति

भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें स्कैल्प क्रूज मिसाइल, हैमर स्मार्ट बम और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स जैसे अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग किया गया। हमलों के लिए सटीक निर्देशांक भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) द्वारा प्रदान किए गए थे। भारतीय बलों ने केवल भारतीय क्षेत्र से ही हमले किए, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप हो।

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ऑपरेशन सिन्दूर के तहत निशाना बनाए गए नौ ठिकाने आतंकवाद के लिए एक सुनियोजित नेटवर्क का हिस्सा थे, जो भारत के खिलाफ हमलों की साजिश रचते थे। भारत की इस कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति को फिर से रेखांकित किया है। साथ ही, पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना न बनाकर भारत ने वैश्विक समुदाय को यह संदेश दिया कि उसका उद्देश्य केवल आतंकवाद को खत्म करना है, न कि युद्ध को बढ़ावा देना।