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पीएम के 'अधिक बच्चे वाले' बयान पर विपक्ष में रोष, चुनाव आयोग से कड़े सवाल

प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी भाषण पर बवाल मचा हुआ है। इस पर विपक्षी दलों ने तो तीखी प्रतिक्रिया दी ही है, सोशल मीडिया पर नागरिक समाज ने भी धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या मुसलमानों के बारे में उन्होंने जो कहा वह नफ़रती बयान नहीं है? क्या चुनाव आयोग उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगा?

ऐसे ही सवालों को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सोमवार को भारत के चुनाव आयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस दावे को लेकर तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में फिर से बांट देगी। सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग को पीएम मोदी की टिप्पणी की निंदा करनी चाहिए और उन्हें नोटिस जारी करना चाहिए। कपिल सिब्बल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'आप भाषण दे रहे हैं कि कांग्रेस महिलाओं की संपत्ति घुसपैठियों और आतंकवादियों को दे देगी। क्या इस देश के 20 करोड़ लोगों का कोई महत्व नहीं है? क्या उनकी कोई आकांक्षा नहीं है?'

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सिब्बल ने कहा, 'राजनीति इस स्तर तक गिर गई है और ऐसा इतिहास में नहीं हुआ है और मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो। मैं चुनाव आयोग से सवाल पूछना चाहता हूं कि तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। आपको इसकी निंदा करनी चाहिए और पीएम मोदी को नोटिस देना चाहिए।'

उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर आई है। राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस लोगों की मेहनत की कमाई घुसपैठियों को देने की योजना बना रही है।

पीएम मोदी ने रविवार को चुनावी रैली में कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।' कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है, '

वे देश को हिंदू-मुसलमान के नाम पर झूठ परोसकर बांट रहे हैं। मेरी पीएम मोदी को चुनौती है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में कहीं भी 'हिंदू-मुसलमान' शब्द लिखा हो तो दिखा दें। यह चुनौती स्वीकार करें, या झूठ बोलना बंद कर दें।


पवन खेड़ा, कांग्रेस नेता

पार्टी ने एक फैक्ट चेक को भी ट्वीट किया है जिसमें यह साफ़ किया गया है कि मनमोहन सिंह ने कभी भी नहीं कहा है कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।

मनमोहन सिंह के जिस बयान को लेकर पीएम मोदी ने जो हमला किया है वह दरअसल, क़रीब 18 साल पहले के एक बयान से संबंधित है। 9 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल यानी राष्ट्रीय विकास परिषद को संबोधित किया था। उन्होंने भाषण अंग्रेजी में दिया था। उसका हिंदी अनुवाद है- 'मैं मानता हूँ कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं साफ़ हैं। ये हैं- कृषि, सिंचाई- जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में अहम निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए ज़रूरी सार्वजनिक निवेश। इसके साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम भी सामूहिक प्राथमिकताएँ हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला अधिकार है। केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, और पूरे संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों को शामिल करना होगा।'

इस तरह मनमोहन सिंह के भाषण में कहीं नहीं कहा गया है कि देश के संसाधनों पर एक समुदाय का पहला अधिकार है। वह एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों, सभी की बात कर रहे थे।
राहुल गांधी ने पीएम के भाषण पर कहा कि पहले चरण के मतदान में निराशा हाथ लगने के बाद नरेंद्र मोदी के झूठ का स्तर इतना गिर गया है कि घबरा कर वह अब जनता को मुद्दों से भटकाना चाहते हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'प्रधानमंत्री ज़हरीली भाषा में दुनिया भर की बातें बोलते हैं। उन्हें एक सीधे से सवाल का जवाब भी देना चाहिए - 1951 से हर दस साल के बाद जनगणना होती आ रही है। इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का वास्तविक डेटा सामने आता है। इसे 2021 में कराया जाना चाहिए था लेकिन आज तक किया नहीं गया। इस पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? यह बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान को ख़त्म करने की साज़िश है।'

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'मोदी ने आज मुसलमानों को घुसपैठिए बुलाया और कहा कि उनके ज़्यादा बच्चे होते हैं। 2002 से लेकर अब तक, मोदी की बस एक ही गारंटी रही है: भारत के मुसलमानों को गालियां दो और वोट बटोरो। अगर बात मुल्क की संपत्ति की हो रही है तो मोदी सरकार में देश के धन पर पहला हक़ उनके अरबपति दोस्तों का रहा है। भारत के 1% लोग आज देश का 40% धन खा गए। आम हिन्दुओं को मुसलमानों का डर दिखाया जा रहा है, पर सच तो यही है कि आपके पैसों से कोई और अमीर हो रहा है।'

कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने कहा है, 'ये देश का दुर्भाग्य है कि ये व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री है, और उससे भी बड़ी त्रासदी है कि भारत का चुनाव आयोग अब जिंदा नहीं रहा। हार की बौखलाहट के चलते खुलेआम भारत के प्रधानमंत्री नफरत का बीज बो रहे हैं, मनमोहन सिंह जी के 18 साल पुराने अधूरे बयान को ग़लत कोट करते हुए ध्रुवीकरण कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग (मोदी का परिवार) नतमस्तक है।' 
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एक दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी और अमित शाह के पुराने भाषणों पर कार्रवाई करने को कहा है। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने पिछले साल चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री शाह द्वारा दिए गए भाषणों के दो वीडियो क्लिप दिखाए। उन्होंने चुनाव आयोग से कहा कि पहले वह यह बताए कि दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। पहले वीडियो क्लिप में प्रधानमंत्री मोदी कथित तौर पर कहते सुने जा सकते हैं, 'जब आप वोट देने के लिए बटन दबाएँ तो जय बजरंग बली कहकर बटन दबाएँ।' दूसरे क्लिप में अमित शाह कथित तौर पर कहते नजर आ रहे हैं, '3 दिसंबर को मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाएँ, यह सरकार सभी को रामलला के मुफ्त दर्शन कराएगी।'

उद्धव ठाकरे ने कहा, 'जब मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में चुनाव हुए थे, हमने इस संबंध में चुनाव आयोग से शिकायत की थी। क्या चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को छूट दे दी है? क्या कानून बदल गया है?' उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह के भाषणों का ज़िक्र करते हुए कहा, 'क्या यह चुनाव आचार संहिता के अनुरूप है? बार-बार याद दिलाने के बावजूद आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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