Opposition hits at CEC Gyanesh Kumar: विपक्षी दलों ने सोमवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार गुप्ता चुनाव आयोग के सबसे बड़े दुश्मन हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडिया गठबंधन के अलावा टीएमसी और आप के नेता व सांसद शामिल थे।
सोमवार को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में विपक्ष की प्रेस कान्फ्रेंस
वोट चोरी और बिहार एसआईआर विवाद के बीच विपक्षी दलों ने सोमवार 18 अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार गुप्ता और चुनाव आयोग को जवाब दिया है। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, टीएमसी और अन्य विपक्षी नेताओं ने एक बार फिर चुनाव आयोग और उसकी कार्यवाही पर सवाल उठाए। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडिया गठबंधन के दलों के अलावा टीएमसी और आम आदमी पार्टी के सांसद भी शामिल थे।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 18 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में गौरव गोगोई ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह "पक्षपात करने वाले अधिकारियों के हाथों में है।" कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव आयोग विपक्ष द्वारा लगाए गए किसी भी आरोप की जाँच नहीं कर रहा है।
गौरव गोगोई ने कहा, हमारा लोकतंत्र आम लोगों के 'वोट देने के अधिकार' पर ही निर्भर है। इस अधिकार का संरक्षण केंद्रीय चुनाव आयोग का है। लेकिन जब देश के राजनीतिक दल, चुनाव आयोग से महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, तो चुनाव आयोग जवाब नहीं दे पा रहा है। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने जितनी भी बातें रखी, कोर्ट ने उन सबको नकार दिया। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता की। इस वार्ता में उन्हें चुनाव आयोग की कमजोरी बतानी थी और विपक्ष के जायज सवालों के जवाब देने थे। जवाब देने के विपरीत, चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए, उनके ऊपर आक्रमण किया।
गौरव गोगोई के सवाल
कांग्रेस सांसद ने कहा कि चुनाव आयुक्त को जवाब देना थाः
⦁ SIR की प्रक्रिया इतनी हड़बड़ी में क्यों लाई गई?
⦁ जब चुनाव सिर्फ 3 महीने बाद है, ऐसे में बिना विपक्षी दलों से चर्चा किए SIR लाने का क्या कारण था?
⦁ महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के बीच बड़ी संख्या में वोटर कहां से आ गए?
⦁ ये निर्णय क्यों लिया गया कि पोलिंग बूथ के CCTV फुटेज को 45 दिनों में डिलीट कर दिया जाएगा?
⦁ महादेवापुरा में 1 लाख फर्जी वोटर कहां से आए?
⦁ आखिर कैसे मशीन रीडेबल इलेक्टोरल वोट प्राइवेसी का उल्लंघन हैं?
⦁ बिहार के 65 लाख मतदाताओं के नाम आखिर क्यों काटे गए, वे इसका कारण एक सर्चेबल फॉर्मेट में क्यों नहीं दे पाए?
⦁ आखिर क्यों वे वोटर आईडी के लिए आधार के खिलाफ थे? प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग ने एक निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से नकार दिया।
कांग्रेस सासंद ने कहा- ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग कुछ ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी एक पार्टी का पक्ष लेते हैं। चुनाव आयोग को लगता है कि वो बड़ी-बड़ी बातें करके राजनीतिक दलों को डरा देंगे। हम उनसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा और उनकी कार्रवाई की गवाही देगा। हम उन पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम ऊठाएंगे।
सपा के रामगोपाल यादव का आरोप
सपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने रविवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राहुल गांधी ने जो आरोप लगाया गया है, उसका एफिडेविट देना होगा। इसलिए मैं आपको बताना चाहता हूं कि 2022 में यूपी चुनाव के समय जब अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के वोट काटे गए हैं, तब चुनाव आयोग ने नोटिस देकर कहा कि आप एफिडेविट के माध्यम से बताइए।
यादव ने बताया कि सपा ने 18,000 मतदाताओं का एफिडेविट दिया, लेकिन आज तक चुनाव आयोग ने एक पर भी कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं 2024 में जब उत्तर प्रदेश में चुनाव हुआ तो उसमें इन्होंने BLOs को बदल दिया। इसकी भी शिकायत हमने की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह मैनपुरी में चुनाव के समय सिर्फ एक बिरादरी के लोगों की पोस्टिंग की गई थी। उसकी भी शिकायत हमने की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव आयोग हमेशा से विपक्ष की शिकायतों को नजरअंदाज करता रहा है। BJP सरकार और चुनाव आयोग की मंशा साफ है कि कैसे लोगों से वोट का अधिकार छीन लिया जाए।
लोकसभा को भंग किया जाएः टीएमसी
तृणमूल कांग्रेस सांसद
महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग पर गैरजिम्मेदार होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डुप्लिकेट ईपीआईसी वोटर कार्ड का मुद्दा उठाया था, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है। मोइत्रा ने "फर्जी मतदाता सूचियों के लिए पूर्व चुनाव आयोगों" के खिलाफ कार्रवाई करने और "लोकसभा को तुरंत भंग करने" की भी मांग की।
महुआ ने कहा कि रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीईसी ज्ञानेश कुमार बीजेपी की कठपुतली की तरह बोल रहे थे। चुनाव आयोग का काम विपक्ष पर हमला करना नहीं है। उनके कुछ बेहद हास्यास्पद दावे थे: एसएसआर जनवरी 2025 में पूरा हुआ और जून तक लगातार संशोधन किया गया। यही वह सूची थी जिस पर चुनाव आयोग ने हस्ताक्षर किए थे। कल चुनाव आयोग ने कहा कि जिन 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं, उनमें से 22 लाख लोग मृत हैं। अगर वे यह कहना चाहते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव फर्जी थे, तो सभी चुनाव आयुक्तों - वर्तमान और पूर्व पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
महुआ ने सवाल किया कि चुनाव आयोग विपक्ष से हलफनामा क्यों मांग रहा है? जब कोई आपत्ति उठाता है तो वे खुद जाँच कर सकते हैं। हम तो बस उनके अपने दस्तावेज़ों में खामियाँ बता रहे हैं। क्या वे हमसे अपने दस्तावेज़ों की पुष्टि माँग रहे हैं, जबकि वे कह रहे हैं कि ये सूचियाँ पिछले सालों से गलत रही हैं?
महुआ ने कहा कि वे उस समय झूठ बोल रहे होते हैं जब वे कहते हैं कि डेटा मशीन-पठनीय (Machine Readable) नहीं हो सकता। क्योंकि, 2018 में, जस्टिस सीकरी ने अपने एक फैसले में कहा था कि "इस पहलू पर गौर करना ज़रूरी नहीं है", लेकिन इसमें यह नहीं कहा गया है कि मशीन-पठनीय डेटा किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करेगा।
आरजेडी सांसद मनोज झा का आरोप
आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने विपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आपने पहले कभी पूरे विपक्ष को, अपने ही चुनाव आयोग के खिलाफ ऐसा प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देखा होगा। हम सबने देखा कि चुनाव आयोग विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे रहा था, उल्टा किसी और के इरादे को सार्वजनिक तौर पर सामने रख रहा था। चुनाव आयोग ने रविवार का दिन चुना और 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। ये इसलिए किया गया, ताकि सासाराम में उसी समय शुरू हो रही विपक्ष की 'वोटर अधिकार यात्रा' के संदेश को लोगों तक पहुंचने न दिया जाए। हमने देखा कि चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक भी पत्रकार के सवाल का जवाब नहीं दिया।
झा ने कहा कि हमने कुछ जिंदा लोगों को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया, जिनको चुनाव आयोग ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन इससे चुनाव आयोग को कोई फर्क नहीं पड़ा। मुख्य चुनाव आयुक्त कह रहे थे कि विपक्ष हमसे सवाल पूछकर संविधान का अपमान कर रहा है। इसलिए मैं चुनाव आयोग से कह देना चाहता हूं आप संविधान के पर्याय नहीं हैं, बल्कि आप इससे जन्में हैं। चुनाव आयोग, संविधान की आड़ लेकर इसकी धज्जियां ना उड़ाए।
'चुनाव आयोग सरकार की बी टीम'
हालाँकि, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि एसआईआर प्रक्रिया एक साज़िश है और इसे जल्दबाजी में अंजाम दिया जा रहा है। डीएमके के तिरुचि शिवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा कि सत्ताधारी पार्टी एसआईआर के संचालन में "जल्दबाज़ी" पर संसद में चर्चा क्यों नहीं होने दे रही है? उन्होंने बिहार एसआईआर पर विपक्ष के हंगामे के कारण मानसून सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही कई बार स्थगित होने का हवाला दिया। सीपीएम के जॉन ब्रिटास ने भी ज्ञानेश कुमार पर निशाना साधा और कहा कि उनसे "मुख्य चुनाव आयुक्त बने रहने का अधिकार छीन लिया गया है"। ब्रिटास ने आगे कहा, "लगता है मुख्य चुनाव आयुक्त ने विपक्षी दलों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है और चुनाव आयोग सरकार की बी टीम बन गया है।"