जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैबा (एलईटी) ने अपनी जिहादी पहचान को छिपाने के लिए नई रणनीति अपनाई है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इन संगठनों ने क्रमशः द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) और पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के रूप में खुद को रीब्रांड किया है, ताकि अपने आतंकी एजेंडे को "स्वतंत्रता संग्राम" और "प्रतिरोध" के रूप में पेश किया जा सके। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, लश्कर को 22 अप्रैल के हमले के लिए मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है। हालांकि, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) नामक एक प्रॉक्सी समूह ने शुरू में हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि टीआरएफ केवल लश्कर की गतिविधियों को छिपाने के लिए एक कवर है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह रणनीतिक बदलाव 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदले राजनीतिक परिदृश्य के कारण हुआ। इन संगठनों ने गैर-इस्लामवादी नामों को अपनाकर पश्चिमी देशों के प्रभावशाली मानवाधिकार समूहों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की। जो आमतौर पर "स्वतंत्रता" और "आत्मनिर्णय" जैसे नारों से प्रभावित होते हैं। यह रीब्रांडिंग आतंकी संगठनों की पुरानी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचना और विदेश में जनमत को अपने पक्ष में करना है।

हालांकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने जल्द ही इस रणनीति को भांप लिया। वर्ष 2020 में करन में एक भीषण मुठभेड़ के बाद टीआरएफ का नाम सामने आया, जबकि 2023 में पूंछ में चार सैनिकों की शहादत और 2024 में गुलमर्ग में चार लोगों की मौत के लिए पीएएफएफ ने जिम्मेदारी ली। दोनों ही मामलों में जांच से पता चला कि ये संगठन जेईएम और एलईटी के ही नए रूप थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह नाम बदलने की रणनीति भारतीय सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और वैश्विक निगरानी से बचने की कोशिश है।”

ताज़ा ख़बरें

इस रणनीति का एक प्रमुख कारण यह भी है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों को स्थानीय समर्थन जुटाने में कठिनाई हो रही है। गैर-इस्लामवादी नामों के जरिए ये संगठन अपनी विचारधारा को कम आक्रामक दिखाने और नए कैडर को भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, यह रणनीति उन्हें वैश्विक मंच पर अपनी हिंसक गतिविधियों को मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ "प्रतिरोध" के रूप में प्रचारित करने का मौका देती है।

हाल के पहलगाम हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, ने इस रणनीति पर फिर से ध्यान खींचा है। हालांकि टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन जांच में लश्कर-ए-तैबा की संलिप्तता सामने आई है। सुरक्षा बलों ने पूरे जम्मू-कश्मीर में अभियान तेज कर दिए हैं, और दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में हाई अलर्ट जारी है। लेकिन पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे की मौजूदगी चिंता का विषय बनी हुई है।

2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में अब सबसे घातक हमला हुआ है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों ने सुरक्षा एजेंसियों को 5-6 आतंकवादियों के एक समूह की संलिप्तता का पता लगाने में मदद की है, जिसमें पाकिस्तानी आतंकी और स्थानीय सहयोगी शामिल हैं। अधिकारियों द्वारा जारी स्केच में मुसा नामक एक कट्टर पाकिस्तानी लश्कर आतंकी को हमले का प्रमुख संदिग्ध बताया गया है, जिसका कश्मीर में हमलों को अंजाम देने का इतिहास रहा है। इसके अलावा, एक स्थानीय आतंकी, जो पाकिस्तान में प्रशिक्षित था और हाल ही में जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कर चुका था, को भी हमले में शामिल माना जा रहा है।

स्थानीय सहायकों में दो व्यक्तियों—अनंतनाग के आदिल थोकर और अवंतीपुरा के आसिफ शेख—को हमले के लिए रसद पहुंचाने, छिपने की जगह और रास्ता बताने वाले गाइड के रूप में पहचाना गया है। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “टीआरएफ का दावा हमले को स्थानीय विद्रोह के रूप में पेश करने की जानबूझकर की गई कोशिश है, लेकिन पूरी योजना को संचालित करने का तरीका सीधे लश्कर की ओर इशारा करते हैं।” अधिकारी ने कहा कि टीआरएफ को लश्कर ने अपनी गतिविधियों को छिपाने और अंतरराष्ट्रीय जांच से बचने के लिए बनाया था।

देश से और खबरें

पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने की निरंतर चुनौती को रेखांकित करता है, जिसमें लश्कर का नेटवर्क और टीआरएफ जैसे प्रॉक्सी समूह भारती सुरक्षा बलों के प्रयासों को जटिल बना रहे हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, अधिकारी इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने और भविष्य के हमलों को रोकने पर केंद्रित हैं। पीएम मोदी ने भी गुरुवार को बिहार के मधुबनी से सीधे चेतावनी दी है। मोदी ने कहा कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को चुन-चुन कर खत्म किया जाएगा। उनके बचे हुए पनाहगाह को भी खत्म कर दिया जाएगा।