loader

पाक ने छोड़ी ज़हरीली गैस, फैला वायु प्रदूषण- बीजेपी नेता

यदि आपका मानना है कि पराली जलाने, पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों या धुआँ उगलने वाले उद्योगों से दिल्ली के आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण फैला है तो आप ग़लत हैं। असली वजह तो पाकिस्तान है। जी हाँ! चौंकने की बात नहीं है, न ही हम यह कह रहे हैं। यह कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता विनीत अग्रवाल शारदा का। 

देश से और खबरें
शारदा ने समाचार एजेन्सी यूएनआई से बात करते हुए कहा, ‘ये जो ज़हरीली हवा आ रही है, ज़हरीली गैस आई है, हो सकता है किसी बगल के मुल्क ने छोड़ी हो जो हमसे घबराया हुआ है। मुझे लगता है पाकिस्तान या चीन हमसे घबराए हुए हैं।’ 

मतलब साफ़ है, वायु प्रदूषण इसलिए है कि चीन या पाकिस्तान ने ज़हरीली गैस छोड़ दी है, क्योंकि वे भारत से घबराए हुए हैं। 

वे यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा ही भारत से हारता आया है, जबसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह सत्ता में आए हैं, वह बेहद कुंठित हो गया है। 

वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाने को ज़िम्मेदार ठहराने वाले दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल को उन्होंने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा किसान देश की रीढ़ हैं, न तो किसानों को उद्योगों को प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, अरविंद केजरीवाल जैसे लोग कह रहे हैं कि किसान पराली जलाते हैं, इसलिए प्रदूषण फैलता है, यह ग़लत है। किसान देश की रीढ़ हैं। किसानों या उद्योग धंधों को कुछ नहीं कहा जाना चाहिए। 

कौन हैं शारदा

ये वही शारदा हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अद्भुत भाषण दिया था। वे माइक पर सिर्फ ‘नमो, नमो, नमो’ बोलते रहे। उन्होंने किसी दल का नाम नहीं लिया, किसी की नीति का विरोध नहीं किया, किसी के बारे में कुछ नहीं कहा। वे सिर्फ ‘नमो नमो नमो’ ही बोलते रहे। लोग हँस-हँस कर लोट-पोट होते रहे, वह ‘नमो नमो’ का जाप करते रहे। उसके पहले उन्होंने उसी सुर में ‘कमल, कमल, कमल’ का जाप किया था। 

लेकिन इस तरह की बातें करने वाले वह अकेले बीजेपी नेता नहीं हैं। बीजेपी में ऊल-जलूल बातें कर सुर्खियोें में छाने वाले नेताओं की कमी नही है। 

दिलीप घोष

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने गाय पर एक अजीब बयान दे दिया। उन्होंने कहा, देसी गाय के दूध में सोना होता है और इसीलिये इसका रंग सोने जैसा होता है। देसी और विदेशी गाय की तुलना करते हुए घोष ने यह भी ‘ज्ञान’ दिया कि कौन सी गाय को माँ कहना चाहिए और कौन सी गाय को आंटी। घोष ने कहा कि केवल देसी गाय ही हमारी माँ है जबकि विदेशी गाय आंटी जैसी हैं। घोष इससे पहले पुलिस कर्मियों को धमकी देने को लेकर भी विवादों में रहे हैं।  
घोष ने कहा, ‘जो लोग समाज के बौद्धिक वर्ग से संबंध रखते हैं और सड़क किनारे बीफ़ खाते हैं, वे गाय ही क्यों खाते हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि वे कुत्ते का मांस भी खाएं। यह सेहत के लिये अच्छा होता है।’ घोष यहीं नहीं रुके और उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग दूसरे पशुओं का भी मांस खाएं, कौन उन्हें रोक रहा है? लेकिन वे अपने घर पर खाएं। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत

इस साल जुलाई में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि कि गाय सांस लेते समय तो ऑक्सीजन लेती है ही, वह ऑक्सीजन छोड़ती भी है। रावत ने यह भी कहा था कि गाय को सहलाने से सांस से जुड़े रोग ठीक हो जाते हैं और गाय के पास रहने से टीबी ठीक हो जाती है।

प्रज्ञा ठाकुर

कुछ महीने पहले भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की मौत के पीछे विपक्ष का हाथ है और वह कोई ‘मारक शक्ति’ का उपयोग कर रहा है। इससे पहले प्रज्ञा ठाकुर अपने श्राप से शहीद एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे की मौत होने का भी दावा कर चुकी हैं।

बिप्लब देब

त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री बिप्लब देब भी अपने कई विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहे हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएँ उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे। कुछ समय पहले उत्तर-प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा था कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएँ पौराणिक काल में ही शुरू हुई थीं। 
बीजेपी नेताओं के ऐसे बयानों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन यह समझ नहीं आता कि इस तरह के बयान वे क्यों देते हैं। बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है, केंद्र में उनके नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है और कई राज्यों में वह सरकार चला रही है। लेकिन आख़िर वह ऐसे नेताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती जो इस तरह के उल-जूलूल बयान देते हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें