loader

लद्दाख: भारतीय सीमा के 15 किलोमीटर अंदर तक घुस आई है चीनी सेना!

पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी चीनी सेना ने एलएसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सीमा के 15 किलोमीटर अंदर आकर ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है, स्थायी निर्माण कर लिए हैं और अपने सैनिकों को तैनात कर दिया है।

ये वे इलाक़े हैं, जिन्हें पीएलए ने 2020 में दोनों सेनाओं के बीच हुई बातचीत और आम सहमति बनने के बाद खाली कर दिया था। इतना ही नहीं, पीएलए ने अपनी सीमा के अंदर लेकिन भारतीय सीमा से बिल्कुल सटे हुए इलाक़े में सैन्य साजो सामान बड़ी मात्रा में इकट्ठा कर लिया है। 

रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ल ने 'रेडिफ़.कॉम' में छपे अपने एक लेख में ये सनसनीखेज दावे किए हैं। 

ख़ास ख़बरें

चीन के लिए सबसे अहम डेपसांग

उन्होंने कहा है कि चीनी सेना ने कराकोरम दर्रा की तलहटी में डेपसांग- दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में अपने सैनिक तैनात कर दिए हैं। यह भारत का सुदूरतम उत्तरी छोर है, यहाँ तक पहुँचना भारतीय सेना के लिए दुष्कर काम होता है।

लेकिन पीएलए ने इस इलाक़े पर न सिर्फ क़ब्ज़ा कर लिया है, बल्कि भारतीय सेना को वहाँ से आगे पैट्रोलिंग प्वाइंट 9,10,11,12,13 की ओर जाने पर से भी रोक दिया है। यह वही इलाक़ा है, जहाँ भारतीय सेना अप्रैल 2020 तक गश्त लगाया करती थी। 

अजय शुक्ला का मानना है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी का पूरा ज़ोर डेपसांग पर है, वह हर हाल में इस पर नियंत्रण चाहती है और इस रणनीति पर काम कर रही है कि भारतीय सेना को उस क्षेत्र से पूरी तरह काट दे।

PLA advances across LAC in ladakh - Satya Hindi

चीनी चिंता

इसकी वजह साफ है। यदि भारतीय सीमा डेपसांग के इस इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लेगी तो वह चीन की मुख्य सड़क जी-219 पर भी क़ब्ज़ा कर सकती है। वह सड़क आगे तिब्बत और उसके आगे शिनजियांग को जोड़ती है। 

युद्ध की स्थिति में भारत ने यदि इस सड़क पर मजबूत पकड़ बना ली और पीएलए उसे रोकने में नाकाम रहा तो भारतीय सेना तिब्बत और शिनजियांग तक पहुँच सकती है। यह बीजिंग के लिए भयावह स्थिति होगी।

दौलत बेग ओल्डी

इस मामले का दूसरा पहलू यह है कि दौलत बेग ओल्डी का दूसरा सिरा सियाचिन सेक्टर को जोड़ता है। चीनी सेना की रणनीति यह हो सकती है कि वह भारत को दौलत बेग ओल्डी-कराकोरम-सियाचिन में थोड़ा भी आगे न बढ़ने दे। 

इसमें उसे पाकिस्तानी सेना मदद कर सकती है क्योंकि पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी सियाचिन सेक्टर में है। हालांकि भारतीय सेना अधिक ऊँचाई पर और रणनीतिक रूप से लाभ की स्थिति में है, पर पाकिस्तान के साथ मिल कर चीन भारत को उस क्षेत्र में बढ़त बनाने से रोक सकती है।

PLA advances across LAC in ladakh - Satya Hindi

अहम कराकोरम!

चीनी सेना ने इसी कारण से कराकोरम की तलहटी पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, हालांकि यह साल 2020 की सहमति का उल्लंघन है। इस क़रार के मुताबिक चीन और भारत दोनों ने ही अपने-अपने सैनिकों को वहाँ से बुला लिया था। चीनी सेना ने अब अपने कुछ सैनिक उस इलाक़े में और उन्हीं जगहों पर एक बार फिर भेज दिए हैं। 

रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस इलाक़े से सटे अक्साई चिन 1962 की लड़ाई के बाद से ही चीन के कब्जे में है। वहाँ चीन ने सड़कें बना ली हैं और पूरे अक्साई चिन में उसकी गाड़ियाँ तमाम साजो- सामान के साथ कहीं जा सकती है।

भारत ने इस इलाक़े में दार्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी तक ही सड़क बनाई है, उससे आगे डेपसांग तक भारत के पास सड़क नहीं है। भारत जब जब वहाँ सड़क बनाने की कोशिश करता है, चीनी सेना बाधा डालती है।

एस-400

लेकिन वहाँ से डेपसांग दूर है, वह भारत का अंतिम उत्तरी छोर है और वहाँ तक बहुत तकलीफ से ही पहुँचा जा सकता है। 

चीनी सेना ने उत्तर लद्दाख में पैंगोंग त्सो के आगे अपनी सीमा के अंदर भारी साजो सामान जमा कर लिया है। उसने वहाँ रूस से खरीदा हुआ एस-400 एअर डिफेंस सिस्टम भी लगा लिया है। यह मिसाइल और हवाई जहाज को ट्रैक कर उसे नष्ट करने की प्रणाली है। इसकी तैनाती से साफ संकेत है कि चीन भारतीय वायु सेना को यहाँ रोकना चाहता है। 

भारतीय सेना का आकलन है कि पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर पीएलए ने तोपें लगा रखी हैं और सैनिकों की तीन बटालियन तैनात कर दी है। 

पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अपनी सीमा के अंदर स्थायी निर्माण, बंकर वगैरह बना लिए हैं। ये बंकर तिब्बत को जोड़ने वाली सड़क जी-219 के किनारे हैं। ये बंकर शायीदुल्ला, कांग्सीवार और दहोंगलियुतान में बनाए गए हैं।

गलवान

वहाँ हेलीपैड भी बनाए गए हैं और कई बार हेलीकॉप्टरों को उड़ता हुआ देखा गया है। 

गलवान घाटी में भी स्थिति चिंताजनक है। बीते साल भारत ने वाई नाला जंक्शन तक अपनी सेना वापस बुला ली। लेकिन यह पहले के वास्तविक नियंत्रण रेखा से एक किलोमीटर अंदर भारतीय सीमा में है। अब इसे ही वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया जाएगा और इस तरह भारतीय सेना पहले के पोजीशन से पीछे हटी है और उस जगह चीनी सेना काबिज है।

इसी तरह जो बफ़र ज़ोन बना है, यानी वह इलाक़ा जहाँ किसी देश की सेना नहीं रहेगी, वह भी भारतीय ज़मीन पर ही बनी है। इस तरह भारत के क़ब्जे़ वाला पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 अब इस बफ़र ज़ोन में है। 

दक्षिण गलवान घाटी की भी यही स्थिति है। वहाँ गोगरा हॉट स्प्रिंग के पास पीएलए के सैनिक तैनात हैं और वे भारतीय सैनिकों से सिर्फ आधा किलोमीटर की दूरी पर जमे हुए हैं।

पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 से 23 तक पीपल्स लिबरेशन आर्मी के लोग डेरा डाले हुए हैं। वे पूरे साजो सामान के साथ हैं। तोपखाना, बख़्तरबंद गाड़ियाँ, भारी सैन्य उपकरण, एअर डिफेंस सिस्टम और भारी तादाद में सैनिक, सब कुछ पीएलए के पास मौजूद है।

इस तरह साल 2020 की सहमति बेकार साबित हो चुकी है, चीनी सेना कई पुराने इलाक़ों में लौट आई है, पूरे साजो सामान के साथ है। यह निश्चित तौर पर भारत के लिए चिंता की बात है। 

इस पृष्ठभूमि में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक ताज़िकिस्तान की राजधानी दुशानबे में पिछले दिनों हुई। इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने और दोनों सेनाओं के बीच कमान्डर स्तर की बातचीत फिर शुरू करने पर सहमति बनी।

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं इन बातचीत क्या नतीजा निकलेगा। आने वाले कुछ महीने भारत-चीन रिश्तों और इस तरह पूरे दक्षिण एशिया के लिए बहुत ही अहम होने वाले हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें