प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन दिन पहले ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे डेमोग्राफिक बदलाव पर गहरी चिंता व्यक्त की। पीएम ने कहा कि अवैध घुसपैठ के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है, जिससे भूमि पर कब्जा, महिलाओं की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा पैदा हो रहा है। तो क्या सच में ऐसा है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है? सरकार द्वारा कराई गई जनगणना के आँकड़े क्या सीमावर्ती राज्यों में इस संतुलन बिगड़ने के दावे की पुष्टि करते हैं?
क्या सीमावर्ती राज्यों में जनसंख्या तेज़ी से बढ़ी, हिंदी पट्टी का क्या? आँकड़े तो कुछ और कहते हैं
- देश
- |
- 18 Aug, 2025
क्या सीमावर्ती राज्यों में जनसंख्या तेज़ी से बढ़ी है और हिंदी पट्टी की स्थिति अलग है? आँकड़े जनसंख्या बदलाव और सामाजिक-राजनीतिक असर पर अहम संकेत देते हैं। पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।

इन सवालों के जवाब ढ़ंढने से पहले दो सीमावर्ती और मध्य भारत के दो राज्यों के आँकड़ों को देख लें। असम में जनसंख्या वृद्धि 1951-61 के दशक में 35 से घटकर 1991-2001 में 16.9 फीसदी रह गई। पश्चिम बंगाल में यह इस दौरान 27.6, से घटकर 13.9 फ़ीसदी हो गई। जबकि मध्य भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में यह 1951-61 में 13.8 फीसदी थी और 1991-2001 में 20.1 फीसदी थी। बिहार में इस दौरान क्रमश: 19.1 और 25.1 फीसदी रही।