भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी समूह की कई कंपनियों के निदेशक और गौतम अडानी के भतीजे प्रणव अडानी पर इनसाइडर ट्रेडिंग का गंभीर आरोप लगाया है। सेबी का दावा है कि प्रणव अडानी ने 2021 में अडानी ग्रीन एनर्जी की सॉफ्टबैंक समर्थित एसबी एनर्जी होल्डिंग्स के अधिग्रहण से संबंधित गोपनीय और मूल्य-संवेदनशील जानकारी (UPSI) अपने बहनोई कुणाल शाह के साथ साझा की, जो नियमों का उल्लंघन है। इस मामले की जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई थी।

सेबी के दस्तावेज के अनुसार, प्रणव अडानी को 16 मई, 2021 से दो-तीन दिन पहले इस अधिग्रहण की जानकारी मिली थी, जब सौदा अंतिम रूप से तय हुआ। सेबी का आरोप है कि प्रणव ने यह जानकारी कुणाल शाह को दी, जिसके बाद कुणाल और उनके भाई नृपाल शाह ने अडानी ग्रीन के शेयरों में ट्रेडिंग की और 90 लाख रुपये (लगभग 108,000 डॉलर) का “अनुचित मुनाफा” कमाया। सेबी ने अपनी जांच में कॉल रिकॉर्ड और ट्रेडिंग पैटर्न की समीक्षा की, जिसके आधार पर यह आरोप लगाया गया।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इस बारे में प्रणव अडानी से उनका पक्ष पूछा। प्रणव अडानी ने रॉयटर्स को ई-मेल के जरिए दिए जवाब में कहा कि वह इस मामले को खत्म करने के लिए सेबी के साथ समझौता करना चाहते हैं, बिना आरोपों को स्वीकार या खारिज किए। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कोई भी प्रतिभूति कानून का उल्लंघन नहीं किया है। एक सूत्र के अनुसार, समझौते की शर्तों पर चर्चा चल रही है, लेकिन सेबी की समझौता प्रक्रिया की चल रही समीक्षा के बाद ही प्रणव की याचिका पर विचार किया जाएगा।

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कुणाल और नृपाल शाह ने अपने वकील के जरिए बयान जारी कर कहा कि उनकी ट्रेडिंग “किसी गोपनीय जानकारी के आधार पर नहीं की गई और न ही इसमें कोई दुर्भावना थी।” उन्होंने दावा किया कि सौदे से संबंधित जानकारी पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध थी। सेबी ने इन दोनों को भी समझौते का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने शर्तों को बोझिल मानते हुए आरोपों का विरोध करने का फैसला किया।

यह मामला अडानी समूह के लिए एक और चुनौती बनकर सामने आया है। पिछले साल अमेरिकी अधिकारियों ने गौतम अडानी और अडानी ग्रीन के दो अधिकारियों पर अनुबंध हासिल करने के लिए कथित तौर पर रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। अडानी समूह ने इन आरोपों को “निराधार” बताकर खारिज किया था।

17 मई, 2021 को अडानी ग्रीन ने 3.5 बिलियन डॉलर मूल्य पर एसबी एनर्जी का अधिग्रहण किया, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है। इस सौदे ने अडानी ग्रीन को ऊर्जा के क्षेत्र में एक मजबूत खिलाड़ी बनाया, लेकिन अब सेबी के आरोपों ने इस सौदे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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सेबी ने इस मामले में रॉयटर्स के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला शेयर बाजार में पारदर्शिता और नियमों के पालन के महत्व को रेखांकित करता है। प्रणव अडानी के समझौते की याचिका का फैसला सेबी की समीक्षा प्रक्रिया के बाद ही होगा, जिससे इस मामले पर और स्पष्टता मिलने की उम्मीद है।

यह खबर ऐसे समय में आई है, जब अडानी समूह पहले से ही कई विवादों का सामना कर रहा है। निवेशकों और बाजार विश्लेषकों की नजर अब इस बात पर है कि यह मामला अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों और उनकी साख पर क्या असर डालेगा।