राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को मानवता के आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में एक ऐतिहासिक उदाहरण बताया। अपने 22 मिनट के संबोधन में राष्ट्रपति ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया की सराहना की और इसे आत्मनिर्भर भारत मिशन की सफलता का प्रमाण बताया। उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति, सामाजिक कल्याण योजनाओं और डिजिटल प्रौद्योगिकी में प्रगति पर भी विस्तार से चर्चा की।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में पहलगाम आतंकी हमले को कायरतापूर्ण और पूरी तरह अमानवीय करार दिया। इस हमले में छुट्टियां मनाने आए निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई थी। इस हमले ने देश को झकझोर दिया था। उन्होंने कहा कि भारत ने इस हमले का जवाब 'दृढ़ संकल्प और रणनीतिक स्पष्टता' के साथ दिया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इसे राष्ट्रपति ने 'मानवता के आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में एक मिसाल' बताया। उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास है कि ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में मानवता के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के एक उदाहरण के रूप में दर्ज होगा।'
राष्ट्रपति ने इस ऑपरेशन को आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए एक अहम परीक्षा बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि भारत की स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमता एक महत्वपूर्ण स्तर पर पहुंच चुकी है, जो देश को कई सुरक्षा ज़रूरतों में आत्मनिर्भर बनाती है। उन्होंने कहा कि 'ये स्वतंत्रता के बाद भारत के रक्षा इतिहास में ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं।'

राष्ट्रीय एकता और वैश्विक संदेश

राष्ट्रपति मुर्मू ने आतंकी हमले के बाद देश की एकता को सबसे प्रभावशाली प्रतिक्रिया बताया। उन्होंने कहा, 'हमारी एकता उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त जवाब थी जो हमें विभाजित करना चाहते थे।' उन्होंने संसद के विभिन्न दलों के सांसदों की उन बहु-पक्षीय प्रतिनिधिमंडलों की भी सराहना की, जिन्होंने विभिन्न देशों के साथ संपर्क कर भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को स्पष्ट किया। राष्ट्रपति ने कहा, 'विश्व ने भारत के रुख को नोट किया है कि हम आक्रामक नहीं होंगे, लेकिन अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।'

आर्थिक और सामाजिक प्रगति पर जोर

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में भारत की आर्थिक उपलब्धियों को भी गिनाया। उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के साथ भारत विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा, 'वैश्विक अर्थव्यवस्था में तनाव के बावजूद घरेलू मांग तेजी से बढ़ रही है। महंगाई नियंत्रण में है, निर्यात बढ़ रहा है और सभी प्रमुख संकेतक अर्थव्यवस्था के स्वस्थ होने की ओर इशारा करते हैं।' उन्होंने इस प्रगति का श्रेय 'सावधानीपूर्वक सुधारों, विवेकपूर्ण आर्थिक प्रबंधन और हमारे श्रमिकों और किसानों की कड़ी मेहनत' को दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छे शासन के माध्यम से लाखों लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। सरकार ने उन लोगों के लिए कई कल्याणकारी पहल शुरू की हैं, जो गरीबी रेखा से ऊपर उठ चुके हैं, लेकिन अभी भी कमजोर हैं, ताकि वे फिर से गरीबी में न फंसें।

स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल प्रगति

राष्ट्रपति ने आयुष्मान भारत योजना की सराहना की, जिसे उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना बताया। इस योजना ने 55 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य कवर प्रदान किया है और अब 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस लाभ का विस्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे गरीब और निम्न मध्यम वर्ग को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं।

डिजिटल क्षेत्र में भारत की प्रगति पर राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग सभी गांवों में 4जी कनेक्टिविटी उपलब्ध है और शेष कुछ हजार गांव जल्द ही कवर हो जाएंगे। उन्होंने कहा, 'विश्व में कुल डिजिटल लेनदेन का आधा से अधिक हिस्सा भारत में होता है, जिसने एक जीवंत डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाई है।' उन्होंने भारत-एआई मिशन का भी उल्लेख किया, जो देश की AI क्षमताओं को मजबूत कर रहा है।

पर्यावरण और स्वदेशी भावना

राष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, 'हमें अपनी आदतों और विश्वदृष्टि को बदलना होगा। हमें भूमि, नदियों, पहाड़ों और सभी जीवित प्राणियों के साथ अपने संबंध को फिर से परिभाषित करना होगा।' उन्होंने स्वदेशी भावना को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा दिवस और स्वदेशी आंदोलन का उल्लेख किया, जिसे महात्मा गांधी ने प्रोत्साहित किया था। उन्होंने कहा, 'हमें भारतीय उत्पादों को खरीदने और उपयोग करने का संकल्प लेना चाहिए।'

सैनिकों और नागरिकों को सम्मान

राष्ट्रपति ने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने वाले सैनिकों के लिए वीरता पुरस्कारों की मंजूरी की घोषणा की। उन्होंने सैनिकों, पुलिस, सिविल सेवकों, न्यायपालिका के सदस्यों, राजनयिकों और प्रवासी भारतीयों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह संबोधन भारत की एकता, आत्मनिर्भरता और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प पर जोर देता है। ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने न केवल एक सैन्य सफलता, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ मानवता की लड़ाई का प्रतीक बताया। इसके साथ ही, उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति, सामाजिक समावेशन और तकनीकी उन्नति की दिशा में देश की यात्रा को भी गिनाया।