केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ किसान संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया था।
कृषि विधेयकों के विरोध में बुलाए गए भारत बंद के दौरान देश के कई राज्यों में किसान सड़क पर उतरे। पंजाब, हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार में भी इन विधेयकों के ख़िलाफ़ जोरदार प्रदर्शन हुआ। दिल्ली-उत्तर प्रदेश और दिल्ली-हरियाणा से लगने वाले बॉर्डर्स पर पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रही। भारतीय किसान यूनियन, रिवॉल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने जालंधर के फिल्लौर में अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे को जाम कर दिया।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी किसान एकत्रित हुए और उन्होंने प्रदर्शन किया। लगभग 200 की संख्या में किसान दिल्ली की ओर जाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें सेक्टर 14ए के पास रोक लिया। उत्तर प्रदेश के बाक़ी इलाक़ों की बात करें तो अयोध्या-लखनऊ हाईवे को किसानों ने जाम कर दिया। ग़ाजियाबाद में दिल्ली-मेरठ हाईवे के पास किसानों ने प्रदर्शन किया और खीरी जिले में भी किसान सड़क पर उतरे।
किसानों के इस आंदोलन को अधिकतर विपक्षी राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य दलों ने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन विधेयकों के ख़िलाफ़ एलान-ए-जंग का आह्वान किया है।
24 सितंबर से पंजाब में रेल रोको आंदोलन भी शुरू हो गया है और यह तीन दिन तक चलेगा। रेल रोको आंदोलन के पहले दिन किसान अमृतसर सहित कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर धरने पर बैठ गए। किसानों के आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने 14 जोड़ी विशेष ट्रेनों को 26 सितंबर तक रद्द कर दिया है।
कृषि विधेयकों के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद इन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने का इंतजार है जिससे ये क़ानून बन सकें। हालांकि विपक्ष ने राष्ट्रपति से दरख़्वास्त की है कि वे इन विधेयकों पर दस्तख़त न करें।
किसान आंदोलन को समझिए इस चर्चा के जरिये-
पंजाब में पहले से ही कई जगहों पर किसानों का धरना चल रहा है और ऐसे में जब मोदी सरकार इन विधेयकों को लेकर अड़ गई है तो इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में किसानों का आंदोलन और तेज होगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार किसान संगठनों के साथ खड़ी है और धारा 144 को तोड़ने को लेकर किसानों के ख़िलाफ़ कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की जाएगी। लेकिन पड़ोसी राज्य हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी की सरकार इन विधेयकों के पक्ष में है और किसानों के आंदोलन के ख़िलाफ़ है, ऐसे में यहां टकराव के हालात बने हुए हैं।
कुछ दिन पहले कुरूक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद से ही हरियाणा की सियासत गर्म है। किसानों पर लाठीचार्ज करने वालों पुलिसकर्मियों पर एफ़आईआर करने की मांग की जा रही है। पंजाब-हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश सहित बाक़ी राज्यों की सरकारों ने भी किसानों के आंदोलन को देखते हुए पूरी तैयारियां की हुई हैं।
किसान आंदोलन पर देखिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह।
एनडीए में रार
कृषि विधेयकों को लेकर मोदी सरकार घिरी हुई है। पंजाब और हरियाणा में चल रहे किसानों के जोरदार आंदोलन के अलावा एनडीए की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने सरकार में मंत्री रहीं
हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफ़ा करवा दिया है। इसके अलावा हरियाणा में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी उधेड़बुन में है कि वह क्या करे। क्योंकि पार्टी को किसानों का समर्थन हासिल है और उस पर इन विधेयकों को लेकर सरकार से बाहर निकलने का दबाव है।