Vote Chori ECI Rahul Gandhi: राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग पर ट्वीट के जरिए फिर हमला किया। उन्होंने आयोग को "चुनावों का चौकीदार" कहा और साथ में ये भी कहा कि जो "वोट चोरों" की रक्षा करता है। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता की मिट्टी पलीत हो चुकी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार 19 सितंबर को चुनाव आयोग पर फिर से तीखा और संक्षिप्त हमला बोला। राहुल ने उसे "चुनाव का चौकीदार" करार देते हुए आरोप लगाया कि यह संस्था "वोट चोरों" को बचाने का काम कर रही है।
राहुल गांधी ने एक्स पर अपनी टिप्पणी में हाल के विधानसभा चुनावों में कथित अनियमितताओं की ओर इशारा किया और दावा किया कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, "चुनाव का चौकीदार वोट चोरों को बचा रहा है।" उनके इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। उनका ट्वीट देखिएः
गांधी ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि देश की जनता को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया का अधिकार है, लेकिन चुनाव आयोग इस दिशा में अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक राहुल गांधी के इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। अलबत्ता गुरुवार को राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चुनाव आयोग ने आलंद में गड़बड़ी की बात स्वीकार करते हुए नेता विपक्ष के सबूतों को खारिज कर दिया था। लेकिन, इस तरह के बयान से सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पहले भी समय-समय पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। खासकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर काफी विवाद सामने आ चुके हैं।
भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की विश्वसनीयता पर हाल के वर्षों में गंभीर सवाल उठे हैं, और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को बार-बार उजागर किया है। मतदाता सूची में "हज़ारों फर्जी मतदाताओं" को हटाने और शामिल करने, कुछ क्षेत्रों में असामान्य मतदान पैटर्न जैसे सबूत सामने आ चुके हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जहां यूपी में वोट चोरी के कई मामलों को उठाया। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने बंगाल के मामले को उठाया, वहीं राहुल गांधी ने विशेष रूप से हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में ईसीआई की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश और ममता ने राहुल गांधी के बाद ही सक्रियता दिखाई। राहुल ने दावा किया है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ है, जिसकी वजह से वोटों की गिनती में गड़बड़ी हुई। उदाहरण के लिए, उन्होंने कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत और अंतिम नतीजों के बीच में विसंगतियों की ओर इशारा किया, जो उनके अनुसार तकनीकी खामियों या जानबूझकर हेरफेर का परिणाम हो सकता है।
ईवीएम की विश्वसनीयता से चुनाव आयोग पर सवाल उठे थे। कांग्रेस ने मांग की थी कि सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट (Voter Verifiable Paper Audit Trail) की 100% जाँच हो। राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि ईसीआई सरकार के दबाव में काम कर रहा है, जिससे उसकी स्वतंत्रता पर सवाल उठ रहे हैं। इन आरोपों को बल तब मिला जब कुछ स्वतंत्र विश्लेषकों और संगठनों ने मतदाता टर्नआउट डेटा में असामान्य वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसे गांधी ने अपने बयानों में सबूत के रूप में पेश किया।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया है कि उसकी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है। हालांकि, राहुल गांधी और विपक्ष का कहना है कि आयोग द्वारा इन मुद्दों पर ठोस कार्रवाई न करना और बार-बार उठने वाली शिकायतों का समाधान न करना उसकी विश्वसनीयता को और कमज़ोर करता है। गांधी ने यह भी तर्क दिया है कि ईसीआई की चुप्पी और कुछ मामलों में देरी से जवाब देना जनता के बीच अविश्वास को बढ़ावा देता है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने हाल के एक मामले का ज़िक्र किया जिसमें विपक्षी दलों द्वारा मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर की शिकायत के बावजूद आयोग ने त्वरित जाँच शुरू नहीं की। राहुल गांधी की यह आलोचना न केवल ईसीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है, बल्कि यह भी मांग करती है कि लोकतंत्र की मज़बूती के लिए एक स्वतंत्र और जवाबदेह चुनाव आयोग की जरूरत है। सबूतों के साथ "वोट चोरी" के खुलासे ने न केवल सियासी बहस को तेज़ किया है, बल्कि जनता के बीच चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास की चुनौती को भी उजागर किया है।