लाल क़िला ब्लास्ट मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी समेत 25 ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापे मारे।
लाल क़िले के पास 10 नवंबर को हुई कार बम विस्फोट की घटना के बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मंगलवार सुबह बड़ी कार्रवाई करते हुए हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी, उसके ट्रस्ट, ट्रस्टी और इससे जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ बड़ा तलाशी अभियान चलाया।
रिपोर्टों के अनुसार सुबह 5:15 बजे से शुरू हुए इस समन्वित ऑपरेशन में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 25 से अधिक स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई। ये छापे मनी लॉन्ड्रिंग, शेल कंपनियों के इस्तेमाल, फर्जी संस्थाओं के माध्यम से धन शोधन और वित्तीय अनियमितताओं की चल रही जांच का हिस्सा हैं।
जाँच में सामने आया है कि लाल क़िले के पास आईईडी से लैस कार चलाने वाला मुख्य आरोपी उमर उन नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के जनरल मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत था। उमर पुलवामा का रहने वाला था और उसने 10 नवंबर को कार में विस्फोट कर आत्मघाती हमला किया था।
इसके अलावा यूनिवर्सिटी से जुड़े कम से कम तीन डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनाई, अदील अहमद राठर और शाहीन सईद पहले ही आतंकी मॉड्यूल के सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं। ये तीनों दक्षिण कश्मीर के रहने वाले हैं।
नौ शेल कंपनियाँ?
ईडी के शुरुआती निष्कर्षों में अल-फलाह ग्रुप से जुड़ी नौ शेल कंपनियों के संकेत मिले हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि-
- सभी कंपनियाँ एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं
- कोई भौतिक अस्तित्व या बिजली-पानी जैसी वास्तविक खपत नहीं
- सभी कंपनियों में एक ही मोबाइल नंबर और ईमेल का इस्तेमाल
- EPFO/ESIC में कोई रिटर्न नहीं, जबकि कर्मचारियों की बड़ी संख्या दिखाई गई
- डायरेक्टर एक ही व्यक्ति, KYC कमजोर
- बैंकिंग चैनल से न्यूनतम सैलरी, कोई HR रिकॉर्ड नहीं
- सभी कंपनियों का एक साथ रजिस्ट्रेशन और एक ही संपर्क विवरण
इसके अलावा यूनिवर्सिटी द्वारा यूजीसी और NAAC मान्यता के दावों में भी प्रथम दृष्टया गड़बड़ियाँ पाई गई हैं, जिनकी जाँच संबंधित प्राधिकारों से की जा रही है।
एनआईए ने दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार किए
इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया था। जासिर बिलाल वानी उर्फ दानिश को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया। वह अनंतनाग के काजीगुंड का रहने वाला है। ड्रोन में बदलाव कर हमले करने और रॉकेट बनाने की तकनीकी मदद देता था। आमिर राशिद अली दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। जम्मू-कश्मीर के पंपोर का रहने वाला है। विस्फोट में इस्तेमाल कार उसके नाम पर रजिस्टर्ड थी। एनआईए का दावा है कि दोनों आरोपी उमर उन नबी के साथ मिलकर इस हमले की साजिश रच रहे थे।2900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था
9-10 नवंबर को फरीदाबाद में छापों के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लगभग 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर, बैटरी, टाइमर, एक एके-56 राइफल और एक क्रिंकोव सहित हथियार बरामद किए थे। ये छापे “व्हाइट कॉलर” आतंकी मॉड्यूल के खुलासे के बाद हुए थे।
जांच एजेंसियों को अब तक के सबूतों से संदेह है कि यह 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद यानी जेईएम और उसके सहयोगी संगठन अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़ा हुआ है।
दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ-साथ अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर एनआईए और ईडी इस मामले की गहराई तक जाँच कर रही हैं। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियाँ तथा खुलासे होने की संभावना है।