अब आरएसएस ने बेरोजगारी, गरीबी, असमानता  को सुर्खियों में ला दिया है। आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के एक वेबिनार में संघ के दूसरे सबसे बड़े ताक़तवर अधिकारी आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने देश में ग़रीबी, बेरोजगारी, असमानता जैसी समस्याओं को स्वीकार किया। होसबले ने कहा, 'देश में गरीबी हमारे सामने दानव की तरह खड़ी है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस राक्षस का वध करें। 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो हमें बहुत दुखी करता है। 23 करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आय 375 रुपये से कम है।'
ग़रीबी, बेरोजगारी बीजेपी के लिए क्यों बन गई है बड़ा सिरदर्द?
- देश
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- 4 Oct, 2022 
बेरोजगारी, गरीबी, असमानता के जिन आंकड़ों को केंद्र की बीजेपी सरकार खारिज करती रही है, अब उनको उसी बीजेपी का मातृ संगठन आरएसएस खुलेआम स्वीकार क्यों कर रहा है? क्या हालत इतनी ख़राब है?

उन्होंने कहा कि श्रम बल सर्वेक्षण कहता है कि हमारे पास 7.6% की बेरोजगारी दर है। उन्होंने आगे कहा, 'एक आँकड़ा कहता है कि भारत दुनिया की शीर्ष छह अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन क्या यह अच्छी स्थिति है? भारत की शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास देश की आय का पांचवाँ (20%) हिस्सा है। साथ ही देश की 50% आबादी के पास देश की आय का केवल 13% है।'




























