एक RTI रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजेपी ने सरकारी योजनाओं के नाम का उपयोग कर पार्टी फंड्स और चंदा इकट्ठा किए। इससे सत्ता और पार्टी फंडिंग के बीच की रेखा धुंधली होने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
यदि कोई सरकारी योजनाओं में पैसे डालने के नाम पर अपने लिए लोगों से चंदा जुटाए तो इसे क्या कहेंगे? क्या यह कोई अपराध होगा? यदि कोई पार्टी ऐसा करे तो क्या कार्रवाई होगी? आरटीआई के जवाबों से खुलासा हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2021-22 में स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और किसान सेवा जैसी सरकारी कल्याण योजनाओं के नाम पर अवैध रूप से जनता से चंदा जुटाया था। द वायर ने यह रिपोर्ट दी है। इसके अनुसार चेन्नई के वरिष्ठ पत्रकार और सथियम टीवी के न्यूज एडिटर बी.आर. अराविंदाक्षन द्वारा दायर आरटीआई आवेदनों के जवाबों में केंद्रीय मंत्रालयों ने साफ़ किया है कि बीजेपी को इन योजनाओं के लिए फंड जुटाने की कोई विशेष अनुमति नहीं दी गई या अधिकृत नहीं किया गया था। फिर भी, नमो ऐप और narendramodi.in पोर्टल पर आज भी इन सरकारी योजनाओं के नाम पर चंदा के विकल्प दिखाए जा रहे हैं।
यह मामला 2021-22 के बीच चले ‘माइक्रो-डोनेशन’ अभियान से जुड़ा है, जिसमें बीजेपी ने चंदा देने वालों को सरकारी योजनाओं का विकल्प देकर पार्टी फंड में योगदान करवाया। रिपोर्ट के अनुसार अराविंदाक्षन ने इन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और किसान सेवा के नाम पर 100-100 रुपये दान दिए, तो उन्हें बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय से रसीदें ईमेल से मिलीं, लेकिन मंत्रालयों ने पुष्टि की कि ये फंड सरकारी योजनाओं तक नहीं पहुंचे। पत्रकार ने इसे ‘धोखाधड़ी’ करार देते हुए चेन्नई पुलिस कमिश्नर, सीबीआई के क्षेत्रीय निदेशक, प्रधानमंत्री, संबंधित मंत्रालयों के सचिवों और गृह मंत्रालय को शिकायत भेजी है। उन्होंने अदालत जाने की चेतावनी भी दी है।
माइक्रो-डोनेशन अभियान क्या था?
25 दिसंबर 2021 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने ‘माइक्रो-डोनेशन’ अभियान की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यह अभियान पार्टी को मजबूत करने और ‘मास मूवमेंट’ के लिए है, जो 11 फरवरी 2022 को हिंदुत्व विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर समाप्त होगा। उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल से अभियान का समर्थन किया और खुद 1,000 रुपये दान करते हुए स्क्रीनशॉट साझा किया। उन्होंने लिखा, 'आपका समर्थन लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगा जो राष्ट्र निर्माण के लिए निस्वार्थ भाव से समर्पित हैं।'
नमो ऐप और narendramodi.in पर दान पेज में दानदाताओं को विकल्प दिए गए थे- स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, किसान सेवा चुनें या सीधे ‘पार्टी फंड’ में योगदान दें। दानदाता ‘माइक्रो-डोनेट फॉर ए न्यू इंडिया’ के बैनर तले योगदान करते थे, लेकिन रसीदें बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय की आती थीं। अभियान ख़त्म होने के बाद भी ये विकल्प सक्रिय हैं, जो सवाल उठाता है कि क्या यह अनधिकृत संग्रह है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार अराविंदाक्षन ने कहा, 'वेबसाइट के पेमेंट लिंक्स और नमो ऐप के दान मॉड्यूल में सरकारी योजनाओं के नाम दिखाए गए, इसलिए मैं और अन्य नागरिकों ने विश्वास किया कि दान इन्हीं के लिए है। लेकिन वास्तव में फंड भाजपा के पास गया, जो धोखा है।'
मंत्रालयों ने क्या जवाब दिया?
रिपोर्ट के अनुसार अराविंदाक्षन ने जनवरी-फरवरी 2022 में तीनों योजनाओं के जिम्मेदार मंत्रालयों को आरटीआई भेजीं, पूछा कि क्या भाजपा, नमो ऐप या narendramodi.in को फंड जुटाने की अनुमति है? क्या कोई एनजीओ या व्यक्ति ऐसा कर सकता है?
- जल शक्ति मंत्रालय (स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण): केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी यानी सीपीआईओ ने कहा, 'एसबीएम(जी) फेज-2 दिशानिर्देशों में एनजीओ या व्यक्ति द्वारा स्वच्छ भारत परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने का कोई प्रावधान नहीं है।'
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ): सीपीआईओ रचना बोलीमेरा ने साफ़ किया, 'नमो ऐप के जरिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए फंड जुटाने की विशेष अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है।'
- कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग: सीपीआईओ चंदन कुमार ने पहले जानकारी अस्वीकार की और कहा, 'यह डिजिटल एग्रीकल्चर डिवीजन से संबंधित नहीं।' अपील पर डिवीजन डायरेक्टर विजय राज मोहन ने अप्रैल 2022 में कहा, 'विभाग द्वारा कोई ऐसी ऐप्स को प्रचारित नहीं किया जाता; भारत सरकार किसानों/कृषि समुदाय के लिए सूचना प्रसार से संबंधित कल्याण ऐप्स के लिए फंड नहीं जुटाती।' उन्होंने राज्य स्तर पर संपर्क करने की सलाह दी, क्योंकि कृषि राज्य विषय है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भेजी 16 सवालों वाली आरटीआई पीएमओ को ट्रांसफर हो गई, जहां सीपीआईओ ने कहा, 'यह जानकारी हमारे रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं।' अक्टूबर 2023 में पीएमओ को भेजी आरटीआई पर सीपीआईओ परवेश कुमार ने नवंबर 2023 में जवाब दिया, 'भारत के प्रधानमंत्री के नाम पर कोई आधिकारिक ऐप नहीं है।... पीएमओ के सोशल मीडिया अकाउंट्स का कोई विशेष अधिकारी प्रबंधन नहीं करता; अधिकारी इनपुट देते हैं।'
शिकायतें और कानूनी कार्रवाई की मांग
अराविंदाक्षन ने 8 दिसंबर 2025 को चेन्नई पुलिस कमिश्नर और सीबीआई को पत्र लिखा, जांच की मांग की। पहले उन्होंने प्रधानमंत्री, चार मंत्रालयों के सचिवों, गृह मंत्रालय को शिकायत भेजी। भाजपा अध्यक्ष नड्डा को 7 मार्च 2022 में पत्र लिखा, पूछा कि अभियान से जुटाया गया कुल कोष क्या है और क्या इसे सरकार को सौंपा जाएगा? कोई जवाब नहीं आया।
उन्होंने ‘द वायर’ को बताया, 'यह भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (यदि सरकारी अधिकारी शामिल) और प्रतिनिधित्व ऑफ द पीपल एक्ट के उल्लंघन का मामला लगता है। यदि केंद्र कार्रवाई नहीं लेता, तो मैं अदालत जाऊंगा। यह बड़े पैमाने पर गलत काम है, जहां अच्छे विश्वास में दान करने वाले नागरिकों को ठगा गया।'
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार इसने बीजेपी केंद्रीय कार्यालय और नड्डा को प्रश्नावली भेजी है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला राजनीतिक फंडिंग की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, खासकर इलेक्टोरल बॉन्ड्स को असंवैधानिक घोषित करने के बाद।