रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरे में रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, भू-राजनीति और यूक्रेन युद्ध से जुड़े मुद्दों पर अहम बातचीत होगी। भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को लेकर क्या बड़े फैसले हो सकते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत का दो दिवसीय राजकीय दौरा करेंगे। यह दौरा भारत-रूस के बीच ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को मजबूत करने का अहम अवसर साबित होगा। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में कहा कि इस दौरान दोनों देशों के नेतृत्व द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे, साझेदारी को मजबूत करने का विजन तैयार करेंगे और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान होगा।
यह 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा, जो 2000 से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। अब तक 22 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं, जो वैकल्पिक रूप से भारत और रूस में आयोजित होते रहे हैं। पिछला सम्मेलन जुलाई 2024 में मॉस्को में हुआ था, जब पीएम मोदी ने वहाँ दौरा किया था। पुतिन ने अक्टूबर 2000 से भारत का नियमित दौरा किया है, लेकिन उनका आखिरी दौरा 2021 में था।
हालिया मुलाक़ातें क्यों?
पुतिन और मोदी की हालिया मुलाकातें इस दौरे की पृष्ठभूमि तैयार करती नजर आ रही हैं। सितंबर 2025 में चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने मुलाकात की थी। वहाँ मोदी ने पुतिन को दिसंबर में भारत आने की पुष्टि की थी। एससीओ के सत्र से इतर दोनों ने रूसी राष्ट्रपति के लिमोजीन में लगभग एक घंटे तक निजी बातचीत की, जिसमें यूक्रेन संकट पर शांति प्रयासों पर जोर दिया गया। मोदी ने कहा था कि मानवता शांति चाहती है और संघर्ष को जल्द ख़त्म होना ज़रूरी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ़ लगाने के बाद भी भारत ने रूसी तेल खरीद को जारी रखा है। हालाँकि, अब रिपोर्टें हैं कि रूस से तेल की ख़रीद में काफ़ी कमी आई है। ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर व्यापार और रूसी तेल आयात कम करने पर चर्चा की, लेकिन नई दिल्ली ने साफ़ किया है कि उसकी आयात नीतियाँ भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए हैं, खासकर ऊर्जा बाजार की अस्थिरता में।
दौरे का एजेंडा: क्या-क्या होगा चर्चा में?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मॉस्को में अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाक़ात के दौरान कहा था कि पुतिन के दौरे के दौरान कई द्विपक्षीय समझौते अंतिम रूप देंगे। उन्होंने कहा था, 'ये समझौते हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाएंगे। हम वैश्विक जटिलताओं पर भी खुलकर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे, जिसमें यूक्रेन संघर्ष, मध्य पूर्व, अफगानिस्तान आदि शामिल हैं।'रक्षा सहयोग
पुतिन की भारत यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग पर भी बड़ी घोषणा की संभावनाएँ हैं। एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की पाँच अतिरिक्त स्क्वाड्रन की खरीद और मिसाइल स्टॉक पर चर्चा हो सकती है। ऑपरेशन सिंदूर में एस-400 की प्रभावशीलता के बाद यह प्रस्ताव अहम है। सुखोई-57 फाइटर जेट्स का नाम भी है, लेकिन रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इस बार इस पर जोर शायद नहीं रहे। देरी वाले अनुबंधों पर समयसीमा तय करने का प्रयास होगा।
ऊर्जा और व्यापार
रूसी तेल, गैस और यूरेनियम आयात पर लंबी अवधि के अनुबंध पर बात हो सकती है। अमेरिकी टैरिफ के बाद रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम करने का दबाव है। द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य 2030 तक 100 अरब डॉलर और निवेश 50 अरब डॉलर का है। ऊर्जा सहयोग में परमाणु ऊर्जा, तेल-गैस और नवीकरणीय ऊर्जा पर फोकस रहेगा।नागरिक उड्डयन, महत्वपूर्ण खनिज, निवेश परियोजनाएँ और श्रम प्रवास को लेकर भी पहल की जा सकती है। व्यापार में संतुलन के लिए रूस भारतीय दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स की खरीद बढ़ाएगा। सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर भी समझौते के आसार हैं।
इसके अलावा यूक्रेन संकट पर शांति का प्रयास होगा। जयशंकर ने कहा है, 'भारत हालिया शांति प्रयासों का समर्थन करता है। सभी पक्ष रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाएँ। संघर्ष का शीघ्र अंत और स्थायी शांति वैश्विक हित में है।' मध्य पूर्व, अफगानिस्तान और एससीओ सुधारों पर भी बात होगी।