एलएंडटी मुंबई एलिवेटेड रोड और टनल प्रोजेक्ट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या पहुँची, मेघा इंजीनियरिंग फिर से सुर्खियों में आ गई। मुंबई एलिवेटेड रोड और टनल प्रोजेक्ट्स की कम बोली होने पर भी इसको टेंडर नहीं मिला। इसका टेंडर मेघा इंजीनियरिंग को दे दिया गया है। यह वही मेघा इंजीनियरिंग है जो इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी के रूप में सामने आई थी और जिसने 2019 से 2024 के बीच 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे थे।

यह मामला मुंबई के महत्वाकांक्षी एलिवेटेड रोड और टनल प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया से जुड़ा है। इस पर विवाद हुआ है। लार्सन एंड टुब्रो यानी एलएंडटी ने इस प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। एलएडंटी भारत की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनियों में से एक है। इसने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी एमएमआरडीए द्वारा गायमुख-फाउंटेन होटल और फाउंटेन होटल-भायंदर प्रोजेक्ट्स के लिए उनकी बोली को तकनीकी आधार पर अयोग्य ठहराए जाने के फ़ैसले को चुनौती दी। एलएंडटी की बोली मेघा इंजीनियरिंग की तुलना में 3,000-3,100 करोड़ रुपये कम थी। फिर भी एमएमआरडीए ने इसे खारिज कर दिया। ठाणे-बोरिवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट में भी एलएंडटी की बोली को जीएसटी शामिल न करने के कारण अयोग्य घोषित किया गया।

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एलएंडटी ने पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में इस फ़ैसले को चुनौती दी, लेकिन उनकी याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। एलएंडटी का तर्क था कि उनकी बोली तकनीकी और वित्तीय रूप से मज़बूत थी, और एमएमआरडीए का निर्णय पारदर्शी नहीं था। 

सुप्रीम कोर्ट ने टेंडर प्रक्रिया पर क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने एमएमआरडीए की टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने एमएमआरडीए से पूछा कि एलएंडटी को तकनीकी रूप से ग़ैर-ज़िम्मेदार क्यों माना गया, जबकि उनकी बोली काफी कम थी। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि यदि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित नहीं की गई, तो वह इस पर स्टे लगा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ इस बात की ओर इशारा करती हैं कि टेंडर प्रक्रिया में संभावित अनियमितताएँ हो सकती हैं, इसने एलएंडटी जैसे स्थापित खिलाड़ी को नुक़सान पहुँचाया।

कोर्ट का हस्तक्षेप इस मामले को और गंभीर बना रहा है, क्योंकि यह सरकारी धन और बुनियादी ढाँचे के प्रोजेक्टों की विश्वसनीयता से जुड़ा है।

मेघा इंजीनियरिंग को गायमुख-फाउंटेन होटल, फाउंटेन होटल-भायंदर, और ठाणे-बोरिवली टनल प्रोजेक्टों के टेंडर मिले। इसमें ठाणे-बोरिवली के पैकेज 1 के लिए उनकी बोली 7464 करोड़ रुपये थी। हालाँकि, मेघा इंजीनियरिंग को बोली मिलने के बाद इस पर विवाद हो गया। एलएंडटी ने इस पर सवाल उठाए। सोशल मीडिया पर भी मेघा इंजीनियरिंग को उसके इलेक्टोरल बॉन्ड चंदे की सुर्खियों का ज़िक्र किया जाने लगा। मेघा इंजीनियरिंग ने 2019 से 2024 के बीच 966 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे, जिनमें से 664 करोड़ रुपये बीजेपी को और बाक़ी अन्य दलों को दिए गए। ठाणे-बोरिवली टनल प्रोजेक्ट का टेंडर मिलने के बीच ही मेघा इंजीनियरिंग ने 115 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जो सभी बीजेपी को गए।

एक्स पर कई पोस्टों और कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि मेघा इंजीनियरिंग को टेंडर मिलने और उनके इलेक्टोरल बॉन्ड दान के बीच संबंध हो सकता है। इन दावों ने यह सवाल उठाया कि क्या मेघा इंजीनियरिंग की ऊंची बोली को स्वीकार करने में राजनीतिक प्रभाव शामिल था। हालाँकि, इन दावों का कोई ठोस सबूत नहीं है, और मेघा इंजीनियरिंग ने दावा किया है कि उसकी बोली तकनीकी और वित्तीय रूप से मज़बूत थी।

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मेघा इंजीनियरिंग के इलेक्टोरल बॉन्ड चंदे और टेंडर जीतने के बीच कोई प्रत्यक्ष कनेक्शन साबित नहीं हुआ है। लेकिन समय और टेंडर के रुपये को लेकर संदेह किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमएमआरडीए की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाने से यह मामला और संवेदनशील हो गया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता और टेंडर प्रक्रिया में कथित पक्षपात ने सार्वजनिक विश्वास को प्रभावित किया है। दूसरी ओर, एमएमआरडीए और मेघा इंजीनियरिंग का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया निष्पक्ष थी और सभी नियमों का पालन किया गया।

मुंबई के एलिवेटेड रोड और टनल प्रोजेक्ट शहर के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम हैं, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर उठ रहे सवाल और इलेक्टोरल बॉन्ड के चंदे ने इसे विवादों में घेर लिया है। एलएंडटी का सुप्रीम कोर्ट में जाना और कोर्ट द्वारा एमएमआरडीए की प्रक्रिया पर सवाल उठाना इस मामले की गंभीरता को दिखाता है। मेघा इंजीनियरिंग के इलेक्टोरल बॉन्ड चंदे के एंगल ने संदेह को और बढ़ाया है, लेकिन बिना ठोस सबूतों के यह कहना मुश्किल है कि टेंडर का फ़ैसला राजनीतिक प्रभाव में था। सुप्रीम कोर्ट की आगे की सुनवाई और संभावित जांच इस मामले में स्पष्टता ला सकती है।