चुनाव आयोग ने शुक्रवार को तमिलनाडु और गुजरात के लिए मतदाता ड्राफ्ट सूची जारी की है। यह विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर प्रक्रिया के तहत हुआ है, जिसमें मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने के लिए लाखों नाम हटाए गए हैं। तमिलनाडु में 97 लाख से ज्यादा और गुजरात में 73 लाख से ज़्यादा नाम हटाए गए हैं। इस प्रक्रिया का मक़सद मतदाता सूची में मृतक लोगों के नाम, दूसरे जगह चले गए लोग या एक ही व्यक्ति के दोहराए नाम, गलत एंट्री को हटाना है।

तमिलनाडु में पहले मतदाताओं की कुल संख्या करीब 6.41 करोड़ थी। एसआईआर के बाद ड्राफ्ट रोल में सिर्फ 5.43 करोड़ मतदाता रह गए हैं। यानी क़रीब 97.37 लाख नाम हटाए गए हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी रिलीज में कहा गया है कि क़रीब 66.44 लाख लोग स्थानांतरित हो गए या अनुपस्थित पाए गए। यानी बूथ लेवल ऑफिसर उन्हें घर पर नहीं पा सके या फॉर्म नहीं मिला। 26.94 लाख लोग मृत पाए गए। 3.98 लाख नाम दो जगह दर्ज थे यानी डुप्लीकेट एंट्री थी।
तमिलनाडु के मुख्य चुनाव अधिकारी अर्चना पटनायक ने बताया कि 27 अक्टूबर, 2025 तक कुल वोटरों की संख्या 6 करोड़ 41 लाख 14 हज़ार 587 थी। अब ड्राफ्ट रोल के अनुसार, राज्य में कुल वोटरों की संख्या 5 करोड़ 43 लाख 76 हज़ार 756 है। चेन्नई में सबसे ज्यादा नाम हटे हैं- करीब 14.25 लाख, जो वहां की पुरानी सूची का 35.6% है। कोयंबटूर, चेंगलपट्टू, तिरुप्पुर और कांचीपुरम जैसे अन्य जिलों में भी लाखों नाम कम हुए।

चुनाव आयोग ने कहा कि यह ड्राफ्ट रोल अंतिम नहीं है। जिनके नाम गलती से हट गए हैं, वे अपना नाम वापस जुड़वा सकते हैं।
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गुजरात में 73.73 लाख नाम हटाए गए

गुजरात में पहले 5.08 करोड़ मतदाता थे। अब ड्राफ्ट रोल में सिर्फ 4.34 करोड़ रह गए हैं। यानी 73.73 लाख नाम हटाए गए। इन वजहों से नाम हटे-
  • 40.25 लाख लोग स्थानांतरित हो गए।
  • 18.07 लाख मृत पाए गए।
  • 9.69 लाख अनुपस्थित थे।
  • 3.81 लाख डुप्लीकेट एंट्री थी।
  • बाकी 1.89 लाख अन्य कारणों से हटाए गए।
गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी हरीत शुक्ला ने बताया कि एसआईआर अभियान 4 नवंबर से 14 दिसंबर तक चला। इस दौरान अच्छी भागीदारी हुई और सूची को पारदर्शी बनाया गया।

नाम हटाने की प्रक्रिया और सुरक्षा

चुनाव आयोग ने साफ़ किया कि किसी का नाम बिना नोटिस के नहीं हटाया जाता है। बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर जांच करते हैं। अगर कोई व्यक्ति दूसरे राज्य चला गया, पता पर नहीं मिला, फॉर्म नहीं जमा किया या दो जगह नाम मिले तो नाम हट सकता है। डुप्लीकेट नाम पाए जाने पर एक जगह ही नाम वोटर लिस्ट में रखा जाता है।
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जानें, पश्चिम बंगाल में कितने वोटर कटे

चुनाव आयोग ने 16 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के लिए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में कुल 58 लाख 20 हज़ार 898 नाम हटाए गए हैं, जो राज्य के कुल मतदाता करीब 7.08 करोड़ का क़रीब 4 प्रतिशत है। हटाए गए नामों की श्रेणियां मौत, स्थायी प्रवास, डुप्लिकेट एंट्री, फॉर्म न जमा करने और अन्य कारणों पर आधारित हैं। 

इनमें क़रीब 24 लाख मृत्यु, करीब 20 लाख स्थायी स्थानांतरण, 12 लाख से अधिक पता नहीं मिला, 1.38 लाख डुप्लिकेट एंट्री शामिल हैं। इसमें सबसे अहम आँकड़ा 'घोस्ट वोटर' या फर्जी वोटरों का है। 'घोस्ट वोटर' यानी ऐसे मतदाता जिनकी पहचान फील्ड वेरिफिकेशन में नहीं हो सकी, उनकी संख्या सिर्फ 1 लाख 83 हज़ार 328 है। चुनाव आयोग के अनुसार, यह संख्या एसआईआर प्रक्रिया के दौरान घर-घर जांच के बाद तय की गई।