25 साल बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर ‘सास भी कभी बहू थी’ के रिबूट में तुलसी बनकर टीवी पर लौट रही हैं। इस खबर के बाद ये सवाल उठ रहा है कि - क्या स्मृति ईरानी का राजनीतिक करियर अब खत्म हो चुका है? आखिर स्मृति ईरानी अब एक्टिंग की दुनिया में वापस क्यों लौट रही हैं? क्या इसके पीछे कोई बड़ी वजह है?


सास भी कभी बहू थी वो शो था, जिसने 2000 के दशक में भारतीय टेलीविजन पर तहलका मचा दिया था। टीवी पर्दे पर तुलसी और मिहीर यानी कि स्मृति ईरानी और अमर उपाध्याय की जोड़ी ने हर घर में और हर दिल में जगह बनाई थी। ये शो सिर्फ एक ड्रामा नहीं था, बल्कि एक भावना था, जो परिवारों को एक साथ टीवी के सामने लाता था। 

अब, 25 साल बाद ये शो वापस आ रहा है, और स्मृति फिर से तुलसी बन रही हैं। उनका पहला लुक भी सामने आ चुका है – वही मरून साड़ी, सुनहरे गहने, लाल बिंदी, और वो तुलसी वाली मुस्कान।

पिछले हफ्ते, स्मृति ईरानी ने भी अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने शो की 25वीं सालगिरह पर अपना शुक्रिया अदा किया। उन्होंने लिखा कि "25 साल पहले, एक कहानी भारतीय घरों में दाखिल हुई और धीरे-धीरे लाखों लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई। 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' सिर्फ एक शो नहीं था — वो एक एहसास था, एक याद थी, एक आदत बन गई थी। वो वक़्त था जब परिवार सारे काम छोड़कर एक साथ बैठते थे — कभी रोते थे, कभी हँसते थे, कभी उम्मीद करते थे। हर उस दर्शक को दिल से धन्यवाद, जिसने तुलसी को अपने परिवार का हिस्सा बनाया। ये सफर सिर्फ मेरा नहीं था, ये हम सबका था। और हमेशा रहेगा।"

लेकिन इस रिबूट में थोड़ी देरी हो रही है। शुरू में शो 3 जुलाई को लॉन्च होने वाला था, लेकिन इस शो की निर्माता एकता कपूर कुछ बदलाव चाहती थीं। अमर उपाध्याय ने बताया, “एकता एक परफेक्शनिस्ट हैं। सेट पर रंगों का कॉम्बिनेशन वैसा नहीं था, जैसा वो चाहती थीं। इसलिए सेट को फिर से तैयार किया गया।” यानी, शो की विरासत को बरकरार रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।

अब आते हैं असली सवाल पर - स्मृति ईरानी का राजनीतिक करियर क्या अब खत्म हो गया है? सीरियल  ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की तुलसी यानी कि स्मृति ने 2011 में बीजेपी जॉइन की और धीरे-धीरे राजनीति में बड़ा नाम बनाया। 2014 में वो अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ लड़ीं लेकिन हार का सामना करना पड़ा । 2019 में स्मृति ने राहुल गांधी को अमेठी में हराकर सबको चौंका दिया। 

वो केंद्रीय मंत्री बनीं, पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय संभाला, फिर कपड़ा मंत्रालय, और बाद में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में स्मृति को अमेठी से हार का सामना करना पड़ा।  राहुल गांधी ने अमेठी से खुद ना लड़ते हुए कांग्रेस के कैंपेन मिनिस्टर किशोरी लाल शर्मा को स्मृति के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा ।और ये हार स्मृति के लिए एक बड़ा झटका थी। इसके बाद, स्मृति को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। यही वजह है जो उनके राजनीतिक करियर के लिए एक और सवाल खड़ा करता है कि क्या ये हार और मंत्रिमंडल से बाहर होना उनकी टीवी में वापसी की वजह है?

तो, क्या स्मृति का राजनीतिक करियर सचमुच खत्म हो गया? 

ऐसा कहना शायद जल्दबाजी होगी। स्मृति ने हाल ही में लंदन में ‘वी द वीमेन’ कार्यक्रम में बताया कि क्योंकि सास भी कभी बहू थी  का रिबूट 2014 में ही प्लान हो गया था, लेकिन तब उनकी राजनीतिक जिम्मेदारियों ने उन्हें रोक दिया। स्मृति ने कहा, “ जब 2014 में मुझे शपथ के लिए दिल्ली बुलाया गया, और ऋषि कपूर ने कहा था कि देश की सेवा किसी टीवी शो से बड़ी जिम्मेदारी है।” यानी, स्मृति की एक्टिंग में वापसी कोई नया फैसला नहीं है; ये एक पुराना सपना है, जो अब पूरा हो रहा है। लेकिन उनकी हार और मंत्रिमंडल से बाहर होने ने जरूर सवाल उठाए हैं। कुछ लोग मानते हैं कि अमेठी में हार और बीजेपी में उनकी स्थिति कमजोर होना उनकी वापसी की वजह हो सकती है।

स्मृति ईरानी की अमेठी में हार के पीछे कई वजहें भी सामने आईं। एक बड़ी वजह यह हो है कि उन्होंने स्थानीय मुद्दों पर उतना ध्यान नहीं दिया, जितनी उम्मीद की जा रही थी। लोगों को लगा कि जीत के बाद वह अमेठी से थोड़ा दूर हो गई हैं। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस बार ज़मीन पर काफी मजबूत तैयारी की थी—चाहे वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल हो या घर-घर जाकर कैंपेन करना। जनता का मूड भी शायद बदलाव के पक्ष में था। इसके अलावा, बीजेपी के अंदर भी एक बदलाव की लहर चल रही है, जिसमें नए चेहरों को आगे लाया जा रहा है। शायद इसी वजह से स्मृति को इस बार मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली।

पब्लिक इमेज को फिर से मजबूत करने की तैयारी

अब जहां एक तरफ उनका राजनीतिक रोल थोड़े वक्त के लिए धीमा पड़ा, ना अमेठी रही, ना मंत्री पद, वहीं दूसरी ओर उन्होंने टीवी की दुनिया में वापसी का ऐलान कर दिया है। 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' जैसे आइकॉनिक शो में फिर से तुलसी बनकर आना कोई छोटा कदम नहीं है। इसे केवल एक्टिंग का मौका नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम भी माना जा सकता है। शायद स्मृति अपनी पब्लिक इमेज को दोबारा मजबूत करना चाहती हैं, ताकि जब अगली बार कोई बड़ा राजनीतिक अवसर आए, तो वे पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर सकें। राजनीति में इमेज और जनता से जुड़ाव बहुत मायने रखता है—और 'तुलसी' वाली इमेज तो वैसे भी लोगों के दिलों में आज भी ज़िंदा है।

स्मृति के प्रशंसक काफी खुश

सोशल मीडिया पर फैंस स्मृति की वापसी से बहुत खुश हैं। कोई कह रहा है, “तुलसी की वापसी हमारा बचपन लौटा रही है!” तो कोई मजाक में पूछ रहा है, “अमेठी का क्या होगा?” लेकिन देखा जाए तो स्मृति का ये कदम उनके करियर का एक नया अध्याय हो सकता है। वो पहले भी टीवी से राजनीति तक का सफर तय कर चुकी हैं, और अब शायद वो दोनों दुनिया को एक साथ जीना चाहती हैं। क्योंकि सास भी कभी बहू थी का रिबूट न सिर्फ पुरानी यादों को ताजा करेगा, बल्कि नए दर्शकों को भी जोड़ेगा। एकता कपूर की परफेक्शन और स्मृति-अमर की जोड़ी इस शो को फिर से हिट बनाने की पूरी कोशिश कर रही है।

स्मृति ईरानी की टीवी में वापसी एक बड़ा सरप्राइज है, लेकिन  ये सवाल लगातार उठ रहे हैं कि क्या स्मृति राजनीति छोड़ देंगी या सीरियल की दुनिया के साथ राजनीति में भी बनी रहेंगी ? आपको क्या लगता है एक बार फिर तुलसी सभी के मन पर छा जाने वाली हैं  या अबकी बार माहौल बदल जाएगा?