क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने जोधपुर सेंट्रल जेल से पहली बार संदेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि वे लद्दाख में हालिया हिंसा के दौरान हुई चार मौतों की स्वतंत्र न्यायिक जांच का आदेश आने तक वह जेल में ही रहने के लिए तैयार हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए के तहत गिरफ्तार वांगचुक ने अपने वकील मुस्तफा हाजी और अपने बड़े भाई त्सेतन दोर्जे ले के माध्यम से यह संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखने और गांधीवादी अहिंसा के मार्ग पर चलने की अपील की। यह बयान लद्दाख में छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को नई दिशा दे रहा है, जबकि उनकी पत्नी डॉ. गीतांजली अंगमो की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है।

जोधपुर जेल में वकील और भाई से मुलाकात के दौरान वांगचुक ने कहा, 'मैं शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक हूं। सभी की चिंता और प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद। मारे गए चार लोगों के परिवारों को हार्दिक संवेदना और घायलों व गिरफ्तार लोगों के लिए प्रार्थनाएं।' उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा, 'हमारे चार लोगों की हत्या की स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए और जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में रहने को तैयार हूं।' वांगचुक ने एलएबी, केडीए और लद्दाख के लोगों के साथ एकजुटता जताते हुए कहा, 'मैं छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की संवैधानिक मांग के लिए दृढ़ हूँ। एलएबी जो भी कदम लद्दाख के हित में उठाए मैं पूरे मन से उनके साथ हूँ।'
वांगचुक ने लद्दाखवासियों से शांति, एकता बनाए रखने और 'सच्चे गांधीवादी अहिंसा' के रास्ते पर संघर्ष जारी रखने की अपील की। यह संदेश वांगचुक की गिरफ्तारी के नौवें दिन आया, जब लेह में तनाव अभी भी बना हुआ है।

वांगचुक की गिरफ्तारी

लद्दाख में 24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया था। अनशन के दौरान कुछ लोगों की हालत बिगड़ने पर युवा भड़क गए थे और सड़कों पर निकल आए थे। प्रदर्शन के दौरान बीजेपी के कार्यालय पर हंगामा हुआ था और इस दौरान बवाल तब बढ़ गया था जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी थी। पुलिस ने बल का प्रयोग किया, पथराव हुआ, आंसू गैस के गोले चले और गोलियाँ भी चलीं। इसमें चार युवाओं की मौत हो गई थी और कई युवा और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस फायरिंग में हुई इन मौतों ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया। इस बीच वांगचुक को गिरफ़्तार कर लिया।

हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख यानी एचआईएएल के संस्थापक सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से अनशन शुरू किया था। हिंसा भड़कने पर उन्होंने अनशन तोड़ दिया था। 26 सितंबर को लेह पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और एनएसए के तहत जोधपुर सेंट्रल जेल भेद दिया।

प्रशासन का आरोप है कि वांगचुक के भड़काऊ के भाषणों, नेपाली आंदोलनों और अरब स्प्रिंग का ज़िक्र करने वाले वीडियो ने हिंसा भड़काई।

पत्नी की याचिका पर फैसला तय करेगा भविष्य

वांगचुक की पत्नी गीतांजली अंगमो ने 3 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कार्पस याचिका दायर की, जिसमें एनएसए के तहत 'अवैध और मनमानी' हिरासत को चुनौती दी गई। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 का हवाला दिया गया। मांग है कि वांगचुक को तुरंत अदालत में पेश किया जाए, हिरासत आदेश रद्द हो, चिकित्सकीय जांच हो और रिहा किया जाए। अंगमो ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के बाद उन्हें पति से मिलने या बात करने की अनुमति नहीं मिली। जस्टिस अरविंद कुमार और एन.वी. अंजरिया की बेंच 6 अक्टूबर को सुनवाई करेगी, जो दशहरा अवकाश के बाद पहली सुनवाई होगी।
अंगमो ने एक्स पर लिखा, 'एक हफ्ता बीत गया, लेकिन स्वास्थ्य, हालत या हिरासत के आधार की कोई जानकारी नहीं। उन्होंने ख़त लिखकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की।

विपक्ष ने वांगचुक की गिरफ्तारी को 'लोकतंत्र पर हमला' बताया। कांग्रेस ने न्यायिक जाँच की मांग दोहराई, जबकि आम आदमी पार्टी ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। जम्मू-कश्मीर सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि शांतिपूर्ण कार्यकर्ता को एनएसए के तहत दबाना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। सरकार ने कहा कि एनएसए 'सार्वजनिक व्यवस्था' के लिए ज़रूरी था। 

वैश्विक पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने वांगचुक की रिहाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला लद्दाख आंदोलन के भविष्य को तय करेगा- यदि जांच का आदेश हुआ, तो यह सरकार पर दबाव बढ़ाएगा, नहीं तो तनाव और बढ़ सकता है।