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जेईई का एक अभ्यर्थी।फ़ोटो साभार: ट्विटर/11 पिटीशनर्स इन सुप्रीम कोर्ट फ़ोर जेईई_नीट

आईआईटी और नीट परीक्षा की तारीख़ आगे क्यों बढ़वाना चाहते हैं छात्र?

कोरोना संकट के बीच ही जेईई और नीट परीक्षा से अभ्यर्थी और उनके अभिभावक घबराए हुए हैं और वे तारीख़ को आगे बढ़वाना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाने और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी व शिक्षा मंत्री को ख़त लिखने के बाद भी जब कोई असर नहीं हुआ तो इन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। 11 राज्यों से 11 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। कोर्ट में सुनवाई और फ़ैसला होना बाक़ी है, लेकिन उनकी दलीलें क्या है? वे क्यों चाह रहे हैं कि ये परीक्षाएँ टाली जाएँ और परीक्षा लेने वाली एजेंसियाँ क्या तर्क रख रही हैं? 

लेकिन इससे पहले यह जान लें कि इन परीक्षाओं के मामले में अब तक हुआ क्या है? 7 मई को घोषणा की गई थी कि जेईई एडवांस की परीक्षा 23 अगस्त को होगी। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पहले घोषणा की थी कि नीट परीक्षा 26 जुलाई को होगी जबकि आईआईटी जेईई (मेन) 18, 20, 21, 22 और 23 जुलाई को होगी। लेकिन पिछले महीने ही निशंक ने घोषणा की थी कि कोरोना महामारी से छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये परीक्षाएँ टाल दी गई हैं और ये अब सितंबर महीने में आयोजित की जाएँगी। नई घोषणा के अनुसार जेईई (मेन) परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक जबकि जेईई एडवांस 27 सितंबर को और नीट परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जानी हैं। 

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अब इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र कोरोना महामारी को लेकर सितंबर में तय इन परीक्षाओं को टलवाना चाहते हैं। उनकी दलीलें हैं कि जब कोरोना संक्रमण के मामले आज के अपेक्षाकृत काफ़ी कम आ रहे थे तो परीक्षाएँ टाल दी गई थीं तो अब क्यों नहीं? वैसे, उनकी दलीलें भी ठीक ही जान पड़ती हैं। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरिया निशंक ने पिछली बार कोरोना संकट को लेकर ही परीक्षाओं को टाल दिया था। बता दें कि जुलाई में महीने में कोरोना के 35-45 हज़ार केस हर रोज़ आ रहे थे और अब हर रोज़ क़रीब 65 हज़ार केस आ रहे हैं।

परीक्षा को टलवाने के लिए छात्रों ने सोशल मीडिया से लेकर मंत्री और परीक्षा लेने वाली एजेंसियों को ख़त लिखने तक का सहारा लिया है। वे अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गए हैं। रिदिपनाथ नाम के एक छात्र ने भी इस संबंध में कई दलीलें पेश की हैं-

उनकी दलीलें हैं कि देशभर में आईआईटी के लिए 10 लाख से ज़्यादा छात्रों ने फ़ॉर्म भरे हैं जबकि नीट की परीक्षा के लिए 16 लाख से ज़्यादा छात्रों ने आवेदन दिया है। ऐसे में यदि इनके एक-एक अभिभावक भी परीक्षा स्थल पर छात्र के साथ आए तो 52 लाख लोग बाहर निकलेंगे जिनमें कई डायबिटीज़, हार्ट डिज़ीज जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। ऐसे में उनके लिए ख़तरा रहेगा।

छात्रों की एक अन्य दलील है कि परीक्षा केंद्र को दोगुना कर देने के बाद भी भीड़ काफ़ी होगी और कोविड नियमों का पालन नहीं हो सकेगा जैसा कि हाल में आयोजित कई परीक्षाओं में देखने को मिला है। 

छात्र पूछते हैं कि गंभीर हालत में कोरोना पॉजिटिव मरीज़ छात्र कैसे परीक्षा में शामिल होंगे। परीक्षा के दौरान स्टाम्प या दस्तख़त देने के दौरान इनविजिलेटर से लेकर अलग-अलग छात्र तक उसे छुएँगे। ऐसे में संक्रमण बढ़ने का ख़तरा रहेगा।

लॉकडाउन की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा अधिकतर राज्यों या जगहों पर नहीं है। ख़ासकर कंटेनमेंट ज़ोन में तो घर से निकलना भी मुश्किल है। यदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिलता भी है तो संक्रमण फैलने का ख़तरा बहुत ज़्यादा रहेगा। 

इसके अलावा भी छात्रों ने कई दलीलें रखी हैं। उनका कहना है कि महाराष्ट्र, आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों में काफ़ी ज़्यादा संक्रमण के मामले हैं, बिहार और असम जैसे राज्यों में बाढ़ की स्थिति है। ऐसे में छात्र और उनके अभिभावक कैसे परीक्षा दे पाएँगे। 

हालाँकि, इन सवालों के बावजूद सरकार की ओर से भी पुख्ता व्यवस्था होने के दावे किए जा रहे हैं। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक़ इस बार आईआईटी के लिए  600 सेंटर बनाए गए हैं, जो पहले 450 हुआ करते थे। नीट की परीक्षा के लिए इस बार क़रीब 4000 सेंटर हैं, जो पहले 2500 हुआ करते थे। महामारी की वजह से परीक्षा केंद्र में एक ही समय पर सभी छात्र ना पहुँचें, इसकी बात कही गई है। एडमिट कार्ड में इसका ज़िक्र होगा। 

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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक विनीत जोशी ने 'बीबीसी' से बातचीत में कहा कि छात्रों को परीक्षा केंद्र पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था मिलेगी और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था होगी। कंटेनमेंट ज़ोन में परीक्षा का एडमिट कार्ड गेट पास का काम करेगी। स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में पहले से सूचित किया जाएगा। बिहार के बाढ़ पर उनका कहना था कि अभी भी परीक्षा में तकरीबन महीने भर का वक़्त बचा है। उम्मीद की जा रही है कि तब तक परिस्थितियाँ सुधर जाएँगी। उनका कहना है कि सरकार ने अपनी तरफ़ से पूरी तैयारी की है। उन्होंने दावा किया कि एजेंसी ने जुलाई के महीने में छात्रों को सेंटर बदलने का विकल्प भी दिया था। 

इन सब दावों के बावजूद छात्र इससे सहमत नज़र नहीं आ रहे हैं। छात्रों की यह भी दलील है कि लंबे समय तक मास्क और ग्लास पहनकर परीक्षा देना बेहद मुश्किल होगा। छात्रों का कहना है कि नवंबर-दिसंबर तक वैक्सीन आने की उम्मीद है तो क्या इसके बाद परीक्षा नहीं कराई जा सकती है? छात्रों का कहना है कि हम सभी परीक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन हम भविष्य हैं और इसलिए ज़िंदगी अधिक महत्वपूर्ण है।

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