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महिला पहलवानों की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट सक्रिय, केंद्र को नोटिस  

सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की याचिका पर सरकार, दिल्ली पुलिस आदि को नोटिस जारी करते हुए शुक्रवार तक जवाब मांगा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला पहलवानों के नाम सार्वजनिक करने से मना किया है। महिला पहलवानों की ओर से याचिका जाने-माने वकील कपिल दायर की है। 

देश की 7 नामी महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। महिला पहलवानों ने पहले दिल्ली पुलिस से एफआईआर का अनुरोध किया लेकिन दिल्ली पुलिस जांच के नाम पर मामले को लटकाए हुए है। उसने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है। ब्रजभूषण शरण सिंह बीजेपी के सांसद भी हैं, इसलिए उनके रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज मंगलवार 25 अ्प्रैल को याचिका पर विचार किया और कहा- गंभीर आरोप हैं जो याचिका में शामिल हैं ... अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। हमारे विचार में इस मामले पर इस अदालत के दखल की आवश्यकता है। कोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए नोटिस जारी किया और इस पर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है। 
अदालत ने शिकायतकर्ताओं के नाम सार्वजनिक करने के मामले में निर्देश दिया कि कार्यवाहियों के उद्देश्य से, याचिकाकर्ताओं की पहचान को संशोधित किया जाएगा। याचिका के केवल संशोधित हिस्से को ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि शिकायतकर्ताओं में एक नाबालिग भी शामिल है। उन्होंने कहा कि एक समिति की रिपोर्ट है जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है और कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है।

महिला पहलवानों ने रविवार से दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना शुरू किया है। उनका कहना है कि वो इंसाफ लेकर ही जाएंगी। महिला पहलवानों के समर्थन में अन्य खिलाड़ी और पहलवान भी जंतर मंतर पहुंच गए हैं।
एक नाबालिग सहित 7 पहलवानों की ओर से अनुच्छेद 32 के तहत यह रिट याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर को डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा जाए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि WFI अध्यक्ष के खिलाफ यौन अपराधों से लेकर बच्चों की रोकथाम के लिए बने कानून (POCSO) सहित गंभीर आरोपों के बाद भी एफआईआर दर्ज करने में अत्यधिक देरी हो रही है। करीब तीन महीने से पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ सच बताने का अभियान छेड़ रखा है लेकिन मामले को दबाने का चौतरफा प्रयास हो रहा है।
जनवरी में भी कुछ महिला पहलवानों ने बीजेपी सांसद पर महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। एक महिला पहलवान ने तो यह तक कहा था कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह वर्षों से महिला पहलवानों को परेशान कर रहे थे। इसलिए सरकार ने मामले की गहराई से पड़ताल करने के लिए वरिष्ठ पहलवान योगेश्वर दत्त और मैरी कॉम को शामिल करते हुए एक समिति का गठन किया। हालांकि, रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। समझा जाता है कि केंद्रीय जांच पैनल ने भी इस मामले में लीपापोती की है।

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महिला पहलवानों के मामले में सबसे ज्यादा दिल्ली पुलिस ने निराश किया। दिल्ली पुलिस मामूली आरोप पर भी विपक्षी नेताओं के खिलाफ एफआईआर कर लेती है। लेकिन इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कहा कि एफआईआर से पहले हम आरोपों की जांच करना चाहते हैं। उचित हुआ तो एफआईआर करेंगे। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय पैनल की उस जांच रिपोर्ट को मांग लिया, जिसे खुद उस जांच पैनल ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। दिल्ली पुलिस के इस अजीबोगरीब रवैए से महिला पहलवान काफी हताश हो गईं। दिल्ली महिला आयोग ने भी एफआईआर का निर्देश दिया लेकिन दिल्ली पुलिस ने उस निर्देश को भी अंगूठा दिखा दिया।
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क़मर वहीद नक़वी
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